पटना: बिहार में करीब 1 लाख 25 हजार शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. कई वजहों से नियोजन प्रक्रिया में व्यवधान आता रहा है. ऐसे में शिक्षक अभ्यर्थी परेशान हैं. अभ्यर्थियों को इस बात का डर सताने लगा है कि चुनाव से पहले अगर नियोजन नहीं होता है, तो ये प्रक्रिया ठंडे बस्ते में जा सकती है. दूसरी तरफ विपक्ष ने इस मुद्दे को साध लिया है. विपक्ष लगातार पीड़ित अभ्यर्थियों के टच में है.
बिहार के लाखों शिक्षक अभ्यर्थी परेशान हैं, आक्रोश में हैं. वजह साफ है कि करीब 94 हजार प्राथमिक शिक्षक और 30 हजार माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों का नियोजन 14 महीने में भी पूरा नहीं हो पाया है. नौकरी के इंतजार में बेसब्र हो रहे अभ्यर्थियों का मानना है कि सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है. इस बारे में एनआईओएस डीएलएड संघ के अध्यक्ष पप्पू कुमार ने कहा बिहार सरकार के ढुलमुल रवैया के कारण नियोजन की प्रक्रिया में इतनी देरी हो रही है. उन्होंने डिमांड की है कि नियोजन से जुड़े मामलों में सुनवाई के लिए बिहार सरकार एडवोकेट जनरल को इंवॉल्व करें. ताकि जल्द से जल्द पटना हाईकोर्ट में चल रहे मामले का निपटारा हो सके.
कोर्ट में मामला
दरअसल, पटना हाईकोर्ट में 8 सितंबर को इस नियोजन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वकील उपस्थित नहीं हुए, जिसकी वजह से मामला 28 सितंबर तक टल गया. हालांकि, सरकार का इसमें स्पष्ट कहना है कि हम लोग नियोजन की प्रक्रिया समय पर पूरा कराने के लिए पूरी तरह प्रयासरत हैं. इसके लिए हर जरूरी काम किया जा रहा है. अगली सुनवाई में एक कोशिश होगी कि सरकारी वकील उपस्थित रहें और अपना पक्ष रखें ताकि बहाली समय पूरी हो सके.
प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन में कहां फंसा है पेंच
- नियोजन की प्रक्रिया के दौरान सरकार ने पिछले साल दिसंबर में एक पत्र जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि क्लास 1 से 5 के लिए शिक्षकों के नियोजन में डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
- इस प्राथमिकता शब्द के उल्लेख के कारण अभ्यर्थी पटना हाई कोर्ट चले गए और इसी मामले की सुनवाई अब 28 सितंबर को होगी.
- दूसरा मामला सीटेट अभ्यर्थियों से जुड़ा है. दिसंबर 2019 में सीटेट पास करने के बाद शिक्षा विभाग से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें भी इस नियोजन प्रक्रिया में शामिल होने दिया जाए.
- लेकिन सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि जुलाई 2019 तक टेट या सीटीईटी पास करने वाले अभ्यर्थियों को ही इस नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलेगा.
- इस मामले में सरकार जवाब दाखिल कर चुकी है. इसके अगली सुनवाई 21 सितंबर को होनी है.
माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन में कहां फंसा है पेंच
माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया आखिरी चरण में है. कुछ दिन पहले नेत्रहीन अभ्यर्थियों की ओर से एक पटना हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया गया है, जिसमें मेधा सूची के दौरान दिव्यांग अभ्यर्थियों की श्रेणी में नेत्रहीन अभ्यर्थियों के कोटे पर सवाल उठाए गए हैं. हालांकि, सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि इसमें नेत्रहीन अभ्यर्थियों को कुछ कंफ्यूजन हुआ है. इस मामले में सिर्फ फाइनल मेरिट लिस्ट निकालकर अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र देना बाकी है. पटना हाई कोर्ट का फैसला आते ही माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का नियोजन कार्य जल्द पूरा होने की संभावना है.
ईटीवी भारत से नियोजन पर खास बातचीत करते हुए प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि पटना हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी नियोजन से जुड़े सभी कामों को जल्दी-जल्दी निपटाया जा रहा है. 1 से 5 और 6 से 8 की मेधा सूची तैयार की जा रही है, ताकि पटना हाईकोर्ट का जो भी निर्णय हो. उसके बाद जल्द से जल्द नियोजन की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके.
शिक्षक अभ्यर्थियों से अपील
डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने शिक्षक अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे किसी के बहकावे में ना आएं. सरकार पूरी तरह इस नियोजन को लेकर गंभीर है और हर वो प्रयास किया जा रहा है, जिससे नियोजन सही समय पर पूरा सकें. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि चुनाव के कारण इस नियोजन प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस नियोजन प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए ऑनलाइन तरीके और कैंप के जरिए नियोजन समेत तमाम उपाय विभाग की ओर से किए जाएंगे.
नियोजन तो होगा ही- प्राथमिक शिक्षा निदेशक
- बिहार में शिक्षकों की कमी. इसके चलते नियोजन तो होगा ही.
- 1 से 5 तक के नियोजन के लिए भी हम प्रयासरत हैं.
- सरकार ने वैकेंसी निकाली है, तो वो पूरी होगी ही.
- जब तक शिक्षक नहीं होंगे, तो शिक्षा व्यवस्था बेहतर नहीं होगी, हम ये जानते हैं. बहाली में देर हो रही है, लेकिन ये पूरा होगा.
- आपत्ति दर्ज करने के लिए लिंक प्रोवाइड किये गये हैं.
- नियोजन इकाई से मिल रही शिकायतों को दूर किया जा रहा है.
- लाखों की संख्या में आपत्तियां आ रही हैं. उन्हें दूर किया जा रहा है.