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न कैंडल जलेगी न कटेगा केक, 'गरीब सम्मान दिवस' के रूप में मनेगा लालू का बर्थ डे

लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन 'गरीब सम्मान दिवस' के रूप में मनाकर उनकी पार्टी इस बात की गवाही देना चाहती है कि लालू यादव जमीन से जुड़े थे और गरीबों के लिए थे. 2020 बिहार में चुनावी साल भी है और इस बार कोरोना महामारी के दौर में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी काफी अहम है. राजद यह मौका अपने हाथ से जाने देना नहीं चाहती.

लालू यादव
लालू यादव
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Published : Jun 11, 2020, 8:55 AM IST

पटना: बिहार की राजनीति में अपने अनोखे अंदाज से सालों तक शासन करने वाले आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का आज 73वां जन्म दिन है. खुद को गरीबों का नेता कहने वाले लालू यादव का जन्मदिन भी इस बार गरीबों के बीच ही मनाया जाएगा. पार्टी ने इस साल राजद सुप्रीमो का जन्मदिन 'गरीब सम्मान दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया है.

73 हजार गरीबों को खाना खिलाएगा राजद
इस बार लालू यादव के जन्म दिन पर न कैंडल जलेगी न केक कटेगा, बल्कि राजद इसे पूरी सादगी से मनाएगा. लालू प्रसाद यादव की सालगिरह के मौक पर सभी प्रखंड मुख्यालयों में गरीब सम्मान दिवस आयोजित होगा. इस मौके पर हर जगह कम से कम 151 गरीबों को पार्टी की ओर से मुफ्त में भोजन कराया जाएगा. राजद के नेता और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ इस आयोजन में लगे हुए हैं. पार्टी के लोगों का कहना है कि राजद इस मौके पर 73 हजार गरीबों को खाना खिलाएगा.

लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव

वहीं, इस मौके पर लालू यादव से मिलने के लिए उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव रांची गए हैं. जहां वह अपने पिता को उपहार के रूप में बिहार के 4 लाख बूथ सदस्यों की सूची सौंपकर उन्हें जन्मदिन की बधाई देंगे.

आज के दिन विरोधी भी पहुंचते थे बधाई देने घर
एक जमाना था जब लालू यादव का जन्म दिन बिहार के राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय होता था. एक अन्ने मार्ग उनके आवास पर काफी चहल-पहल होती थी. हर कोई ये जानने की ललक रखता था कि आखिर लालू अपनी सालगिरह किस अंदाज में मनाने वाले हैं. वो दौर भी था जब आज के कट्टर विरोधी भी फूलों के गुलदस्ते लेकर लालू यादव के घर बधाई देने पहुंचते थे.

लालू यादव
71वें बर्थ डे पर परिवार के साथ केक काटते लालू यादव

अपनी हाजिरजवाबी, मसखरेपन और राजनीतिक कूटनीति के सहारे लालू यादव ने हिंदुस्तान की राजनीति में एक अलग पहचान बनाई. चार दशक की सियासत में उनका अंदाज ए बयां और आम लोगों के साथ जुड़े रहने का उनका सलिका इस कदर लोगों को भाता था कि विरोधी भी कायल हो जाते थे.

लालू यादव को गुलाब का फूल देती पत्नी राबड़ी देवी
लालू यादव को फूल देती पत्नी राबड़ी देवी

गोपालगंज जिले के गरीब परिवार में हुआ था जन्म
वक्त ने करवट ली और सत्ता के महिर लालू यादव को भी सब कुछ गंवाना पड़ा. बता दें कि चारा घोटाले में रांची के होटवार जेल में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को गोपालगंज जिले के गरीब परिवार में हुआ था. जेपी आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर शुरू करने वाले लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने. उनकी पहचान गरीबों के नेता के रूप में होती है. लेकिन विडंबना है कि गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले लालू यादव पर गरीबों का हक मारने और बिहार की जनता को बदहाल करने के आरोप भी उन्हीं के सिरों पर है.

लालू यादव (फाइल फोटो)
लालू यादव (फाइल फोटो)

ताकि कायम रहे गरीबों के नेता की छवी
आज फिर उनकी पार्टी उनके जन्म दिन पर गरीबों के सम्मान में आयोजन करके इस बात की गवाही देना चाहती है कि लालू यादव जमीन से जुड़े थे और गरीबों के लिए थे. 2020 बिहार में चुनावी साल भी है और इस बार कोरोना महामारी के दौर में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी काफी अहम है. राजद यह मौका अपने हाथ से जाने देना नहीं चाहती. प्रवासी मजदूरों को अहम मुद्दा बनाकर रादज इस चुनाव में कूदना चाहती है. हालांकि मुद्दे और भी हैं, लेकिन पार्टी की गरीब परवर पहचान को बरकरार रखने के लिए ये मुद्दा काफी सटीक है.

पटना: बिहार की राजनीति में अपने अनोखे अंदाज से सालों तक शासन करने वाले आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का आज 73वां जन्म दिन है. खुद को गरीबों का नेता कहने वाले लालू यादव का जन्मदिन भी इस बार गरीबों के बीच ही मनाया जाएगा. पार्टी ने इस साल राजद सुप्रीमो का जन्मदिन 'गरीब सम्मान दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया है.

73 हजार गरीबों को खाना खिलाएगा राजद
इस बार लालू यादव के जन्म दिन पर न कैंडल जलेगी न केक कटेगा, बल्कि राजद इसे पूरी सादगी से मनाएगा. लालू प्रसाद यादव की सालगिरह के मौक पर सभी प्रखंड मुख्यालयों में गरीब सम्मान दिवस आयोजित होगा. इस मौके पर हर जगह कम से कम 151 गरीबों को पार्टी की ओर से मुफ्त में भोजन कराया जाएगा. राजद के नेता और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ इस आयोजन में लगे हुए हैं. पार्टी के लोगों का कहना है कि राजद इस मौके पर 73 हजार गरीबों को खाना खिलाएगा.

लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव

वहीं, इस मौके पर लालू यादव से मिलने के लिए उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव रांची गए हैं. जहां वह अपने पिता को उपहार के रूप में बिहार के 4 लाख बूथ सदस्यों की सूची सौंपकर उन्हें जन्मदिन की बधाई देंगे.

आज के दिन विरोधी भी पहुंचते थे बधाई देने घर
एक जमाना था जब लालू यादव का जन्म दिन बिहार के राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय होता था. एक अन्ने मार्ग उनके आवास पर काफी चहल-पहल होती थी. हर कोई ये जानने की ललक रखता था कि आखिर लालू अपनी सालगिरह किस अंदाज में मनाने वाले हैं. वो दौर भी था जब आज के कट्टर विरोधी भी फूलों के गुलदस्ते लेकर लालू यादव के घर बधाई देने पहुंचते थे.

लालू यादव
71वें बर्थ डे पर परिवार के साथ केक काटते लालू यादव

अपनी हाजिरजवाबी, मसखरेपन और राजनीतिक कूटनीति के सहारे लालू यादव ने हिंदुस्तान की राजनीति में एक अलग पहचान बनाई. चार दशक की सियासत में उनका अंदाज ए बयां और आम लोगों के साथ जुड़े रहने का उनका सलिका इस कदर लोगों को भाता था कि विरोधी भी कायल हो जाते थे.

लालू यादव को गुलाब का फूल देती पत्नी राबड़ी देवी
लालू यादव को फूल देती पत्नी राबड़ी देवी

गोपालगंज जिले के गरीब परिवार में हुआ था जन्म
वक्त ने करवट ली और सत्ता के महिर लालू यादव को भी सब कुछ गंवाना पड़ा. बता दें कि चारा घोटाले में रांची के होटवार जेल में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को गोपालगंज जिले के गरीब परिवार में हुआ था. जेपी आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर शुरू करने वाले लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने. उनकी पहचान गरीबों के नेता के रूप में होती है. लेकिन विडंबना है कि गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले लालू यादव पर गरीबों का हक मारने और बिहार की जनता को बदहाल करने के आरोप भी उन्हीं के सिरों पर है.

लालू यादव (फाइल फोटो)
लालू यादव (फाइल फोटो)

ताकि कायम रहे गरीबों के नेता की छवी
आज फिर उनकी पार्टी उनके जन्म दिन पर गरीबों के सम्मान में आयोजन करके इस बात की गवाही देना चाहती है कि लालू यादव जमीन से जुड़े थे और गरीबों के लिए थे. 2020 बिहार में चुनावी साल भी है और इस बार कोरोना महामारी के दौर में प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी काफी अहम है. राजद यह मौका अपने हाथ से जाने देना नहीं चाहती. प्रवासी मजदूरों को अहम मुद्दा बनाकर रादज इस चुनाव में कूदना चाहती है. हालांकि मुद्दे और भी हैं, लेकिन पार्टी की गरीब परवर पहचान को बरकरार रखने के लिए ये मुद्दा काफी सटीक है.

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