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70 साल की कृष्णा बम ने किया देवघर में भोलेनाथ का जलाभिषेक, कहा- सावन का हर दिन पावन

बाबा भोलेनाथ की भक्त 70 साल की कृष्णा बम (Krishna Bam) ने एक बार फिर देवघर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया. कृष्णा बम डाक कांवड़िए के रूप में पिछले 40 साल से देवघर आती रही हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी उनके हौसले में कोई कमी नहीं दिखी.

देवघर जाते हुए कृष्णा बम
देवघर जाते हुए कृष्णा बम
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Published : Jul 28, 2022, 12:14 PM IST

पटनाः जिस उम्र में लोगों को चलने फिरने में भी परेशानी होती है, उस उम्र में कृष्णा बम (70 साल) ने भागलपुर से बाबा धाम देवघर (Baba Dham Deoghar) तक का सफर तय किया. कृष्णा बम (Krishna Bam did Jalabhishek of Bholenath) ने 26 जुलाई को बाबा भोलेनाथ को जलार्पण किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सावन का हर दिन पावन है, हर दिन शिव का है. सोमवार को ही जल चढ़ाने से पुण्य होता है, ऐसी कोई बात नहीं है. वहीं, देवघर मंदिर में व्यवस्था देखकर वो काफी खुश हुईं.

ये भी पढ़ें-मिलिए भोले की भक्त 'कृष्णा बम' से, 70 की उम्र में भी दौड़कर जाती हैं बाबाधाम

सुरक्षा में दुम्मा तक लगाए गए थे पुलिसकर्मीः देवघर पहुंचने के बाद कृष्णा बम ने पहले बाबा मंदिर में प्रांगण में जलार्पण किया, फिर बाह्य अर्घा में गंगाजल अर्पित किया. इस उम्र में कृष्णा बम का डाक कांवर ले जाने को देखते हुए प्रशासन ने उनकी सुरक्षा और मदद के लिए फोर्स लगा दी थी. कृष्णा बम को बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा तक बिहार सरकार की ओर से डीएसपी की अगुवाई में फोर्स दी गई थी. दो साल के कोरोना काल के बाद कृष्णा बम गंगाजल के लिए सुल्तानगंज पहुंची थीं. वहां उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई. पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच कृष्णा बम वहां पहुंची थीं.

मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं कृष्णा बमः दरअसल, हर साल भगवान शिव को देवघर में जाकर जल चढ़ाने वाली कृष्णा बिहार में कृष्णा बम के नाम से मशहूर हैं. जो मूलरूप से मुजफ्फरपुर की रहनेवाली हैं. सोमवार को सुल्तानगंज से जल उठाने के बाद उन्होंने देवघर बाबाधाम तक की 108 किलोमीटर लंबी की यात्रा महज 18 घंटे में पूरी कर फिर सबको हैरत में डाल दिया. कोरोना काल को छोड़कर हर साल वे श्रावणी मास में भोलेनाथ का जलाभिषेक करती आईं हैं और इस बार भी से इस बुजुर्ग महिला ने पूरी भक्ति भाव के साथ 26 जुलाई को बाबा भोलेनाथ को जलार्पण किया.

2013 में प्रधानाध्यापिका के पद से हुई सेवानिवृत्त: कृष्णा बम वर्ष 2013 में प्रधानाध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त हुईं थी. सावन के हर सोमवार को कृष्णा बम सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर देवघर तक का सफर 12 से 14 घंटे में पूरा कर चुकी हैं. कोरोना काल में पिछले दो सालों से जलाभिषेक नहीं कर पाने के कारण इस बार का उनका ये सफर काफी खास था. पिछले कई वर्षों से मिल रहे देवघर प्रशासन की सुरक्षा को 2019 से प्रशासन ने बंद कर दिया है. इसी बात से नाराज होकर उन्होंने इस साल सिर्फ एक बार 25 जुलाई के सोमवारी को बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने का मन बनाया था.

कृष्णा बम  का पैर छूते लोग
कृष्णा बम का पैर छूते लोग

कृष्णा बम के दर्शन के लिए उमड़ती है भीड़: कृष्णा बम का दर्शन कर उनके पैर छूने के लिए लोग लालायित रहते हैं. खासकर सुलतानगंज, मासूमगंज, असरगंज, तारापुर, रामपुर, कटोरिया, सुइया, दर्शनियां, गोडिय़ारी, दुम्मा से लेकर देवघर तक यही नजारा होता है. सुलतानगंज से लेकर रामपुर तक तो उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ होती है और कांवरिया पथ के दोनों ओर कांवरियों व स्थानीय लोगों की लंबी लाइन लग जाती है.

क्या होते हैं डाक बम: डाक बम ऐसे कांवड़िए होते हैं, जो एक बार यात्रा शुरू करने के बाद शिव का अभिषेक करने तक कहीं आराम नहीं करते. यात्रा में विराम लेने पर माना जाता है कि डाक बम का गंगाजल अपवित्र हो जाता है और उनकी संकल्प और यात्रा खंडित हो जाती है. सुल्तानगंज से देवघर की दूरी करीब 105 किलोमीटर है. कृष्णा बम अपने पैरों से इस दूरी को कई सालों तक सावन के हर सोमवार को नापती रहीं हैं.

पटनाः जिस उम्र में लोगों को चलने फिरने में भी परेशानी होती है, उस उम्र में कृष्णा बम (70 साल) ने भागलपुर से बाबा धाम देवघर (Baba Dham Deoghar) तक का सफर तय किया. कृष्णा बम (Krishna Bam did Jalabhishek of Bholenath) ने 26 जुलाई को बाबा भोलेनाथ को जलार्पण किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सावन का हर दिन पावन है, हर दिन शिव का है. सोमवार को ही जल चढ़ाने से पुण्य होता है, ऐसी कोई बात नहीं है. वहीं, देवघर मंदिर में व्यवस्था देखकर वो काफी खुश हुईं.

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सुरक्षा में दुम्मा तक लगाए गए थे पुलिसकर्मीः देवघर पहुंचने के बाद कृष्णा बम ने पहले बाबा मंदिर में प्रांगण में जलार्पण किया, फिर बाह्य अर्घा में गंगाजल अर्पित किया. इस उम्र में कृष्णा बम का डाक कांवर ले जाने को देखते हुए प्रशासन ने उनकी सुरक्षा और मदद के लिए फोर्स लगा दी थी. कृष्णा बम को बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा तक बिहार सरकार की ओर से डीएसपी की अगुवाई में फोर्स दी गई थी. दो साल के कोरोना काल के बाद कृष्णा बम गंगाजल के लिए सुल्तानगंज पहुंची थीं. वहां उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई. पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच कृष्णा बम वहां पहुंची थीं.

मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं कृष्णा बमः दरअसल, हर साल भगवान शिव को देवघर में जाकर जल चढ़ाने वाली कृष्णा बिहार में कृष्णा बम के नाम से मशहूर हैं. जो मूलरूप से मुजफ्फरपुर की रहनेवाली हैं. सोमवार को सुल्तानगंज से जल उठाने के बाद उन्होंने देवघर बाबाधाम तक की 108 किलोमीटर लंबी की यात्रा महज 18 घंटे में पूरी कर फिर सबको हैरत में डाल दिया. कोरोना काल को छोड़कर हर साल वे श्रावणी मास में भोलेनाथ का जलाभिषेक करती आईं हैं और इस बार भी से इस बुजुर्ग महिला ने पूरी भक्ति भाव के साथ 26 जुलाई को बाबा भोलेनाथ को जलार्पण किया.

2013 में प्रधानाध्यापिका के पद से हुई सेवानिवृत्त: कृष्णा बम वर्ष 2013 में प्रधानाध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त हुईं थी. सावन के हर सोमवार को कृष्णा बम सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर देवघर तक का सफर 12 से 14 घंटे में पूरा कर चुकी हैं. कोरोना काल में पिछले दो सालों से जलाभिषेक नहीं कर पाने के कारण इस बार का उनका ये सफर काफी खास था. पिछले कई वर्षों से मिल रहे देवघर प्रशासन की सुरक्षा को 2019 से प्रशासन ने बंद कर दिया है. इसी बात से नाराज होकर उन्होंने इस साल सिर्फ एक बार 25 जुलाई के सोमवारी को बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने का मन बनाया था.

कृष्णा बम  का पैर छूते लोग
कृष्णा बम का पैर छूते लोग

कृष्णा बम के दर्शन के लिए उमड़ती है भीड़: कृष्णा बम का दर्शन कर उनके पैर छूने के लिए लोग लालायित रहते हैं. खासकर सुलतानगंज, मासूमगंज, असरगंज, तारापुर, रामपुर, कटोरिया, सुइया, दर्शनियां, गोडिय़ारी, दुम्मा से लेकर देवघर तक यही नजारा होता है. सुलतानगंज से लेकर रामपुर तक तो उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ होती है और कांवरिया पथ के दोनों ओर कांवरियों व स्थानीय लोगों की लंबी लाइन लग जाती है.

क्या होते हैं डाक बम: डाक बम ऐसे कांवड़िए होते हैं, जो एक बार यात्रा शुरू करने के बाद शिव का अभिषेक करने तक कहीं आराम नहीं करते. यात्रा में विराम लेने पर माना जाता है कि डाक बम का गंगाजल अपवित्र हो जाता है और उनकी संकल्प और यात्रा खंडित हो जाती है. सुल्तानगंज से देवघर की दूरी करीब 105 किलोमीटर है. कृष्णा बम अपने पैरों से इस दूरी को कई सालों तक सावन के हर सोमवार को नापती रहीं हैं.

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