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कैसे होती है वोटों की गिनती?, इस बार नतीजों के लिए क्यों करना पड़ेगा इंतजार

मतों की गिनती इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट (ईटीपीबी) और पोस्टल बैलेट (पीबी) की गणना से शुरू होती है. इन मतों को सीधे आरओ की निगरानी में गिना जाता है.

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Published : May 23, 2019, 6:36 AM IST

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पटना: मतगणना से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में हेरफेर के आरोपों के बीच बुधवार को स्वतंत्र शोध संस्थान पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने बताया कि मतगणना किस तरह से की जाएगी.

सवालों के घेरे में आई ईवीएम का इस्तेमाल साल 2000 के चुनावों से हो रहा है. चुनाव आयोग अब तक 113 विधानसभाओं के चुनाव और लोकसभा के तीन चुनाव ईवीएम से करा चुका है. पारदर्शिता और व्यवस्था में मतदाता का विश्वास बढ़ाने के लिए साल 2013 में ईवीएम से वीवीपैट सिस्टम को जोड़ा गया.

मतगणना प्रक्रिया को इस तरह स्पष्ट किया गया है :

मतों की गिनती के लिए कौन जिम्मेदार है?
किसी क्षेत्र में चुनाव कराने के लिए चुनाव अधिकारी (आरओ) उत्तरदायी होता है. इसमें मतों की गणना भी शामिल है. आरओ की तैनाती प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव आयोग, राज्य सरकार के परामर्श से करता है.

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मतगणना कहां होती है?
आरओ यह तय करता है कि संसदीय क्षेत्र की मतगणना कहां कराई जानी है. आदर्श स्थिति यही है कि मतगणना एक ही स्थान पर कराई जानी चाहिए और इसमें भी निर्वाचन क्षेत्र के आरओ के मुख्यालय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मतगणना आरओ के प्रत्यक्ष निरीक्षण में होनी चाहिए.

लेकिन, हर संसदीय क्षेत्र में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं. इस हालत में मतगणना एक से अधिक स्थानों पर सहायक चुनाव अधिकारी (एआरओ) की निगरानी में हो सकती है.
संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा खंड में मतगणना एक हाल में की जाती है. मतगणना के हर दौर में 14 ईवीएम के मत गिने जाते हैं.

अगर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए हों, जैसे इस बार ओडिशा, आंध्र में हुए हैं, तो पहली सात मेज विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती के लिए आरक्षित की जाती हैं, बाकी पर लोकसभा चुनाव की मतगणना होती है.
अगर किसी क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक है तो चुनाव आयोग की अनुमति से हाल और मेजों की संख्या बढ़ाई जा सकती है. हाल में एक बार में एक ही विधानसभा खंड के मतों की गिनती की जा सकती है. यह जरूर है कि इस खंड की गिनती पूरी होने पर दूसरे विधानसभा खंड के मतों की गिनती इसी हाल में की जा सकती है.

मतगणना की प्रक्रिया :
मतगणना आरओ द्वारा नियुक्त मतगणना सुपरवाइजरों द्वारा की जाती है. मतगणना हाल में उम्मीदवार अपने मतगणना एवं चुनाव एजेंटों के साथ मौजूद रहते हैं.

मतों की गिनती इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट (ईटीपीबी) और पोस्टल बैलेट (पीबी) की गणना से शुरू होती है. इन मतों को सीधे आरओ की निगरानी में गिना जाता है.

पीबी की गणना शुरू होने के आधा घंटे बाद ईवीएम मतों की गणना शुरू की जाती है. हर राउंड की समाप्ति पर 14 ईवीएम के नतीजों का ऐलान किया जाता है.

VVPAT पर्चियों की गणना की प्रक्रिया क्या है :

  • प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा खंड की एक-एक ईवीएम को रैंडम तरीके से वीवीपैट मिलान के लिए चुना जाता है.
  • वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन हाल में स्थित एक सुरक्षित वीवीपैट मतगणना बूथ के अंदर किया जाता है.
  • ईवीएम मतों की गिनती के बाद हाल में किसी भी मतगणना मेज को वीवीपैट मतगणना बूथ में बदला जा सकता है.
  • संसदीय क्षेत्र में आम तौर से पांच से दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

रैंडम तरीके से होगा VVPAT पर्चियों का मिलान
इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने तय किया है कि हर विधानसभा खंड के पांच रैंडम तरीके से चुने गए मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम के नतीजों से किया जाएगा. इसका अर्थ यह हुआ कि हर संसदीय क्षेत्र में वीवीपैट पर्चियों का मिलान 25 से 50 ईवीएम से करना होगा. यह प्रक्रिया सीधे आरओ-एआरओ की निगरानी में होगी.

आरओ करेगा निर्वाचन क्षेत्र के अंतिम नतीजों का ऐलान
चुनाव आयोग ने तय किया है कि पांच वीवीपैट की गणना क्रमानुसार की जाएगी. वीवीपैट मिलान प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरओ निर्वाचन क्षेत्र के अंतिम नतीजों का ऐलान कर सकता है.

अगर वीवीपैट गणना और ईवीएम के नतीजों में समानता नहीं रही तो छपी हुई पेपर स्लिप की गणना को अंतिम माना जाएगा. चुनाव आयोग ने इसका खुलासा नहीं किया है कि पांच वीवीपैट में से किसी एक की गणना में भी असंगति पाए जाने पर आगे क्या कार्रवाई की जाएगी.

पटना: मतगणना से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में हेरफेर के आरोपों के बीच बुधवार को स्वतंत्र शोध संस्थान पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने बताया कि मतगणना किस तरह से की जाएगी.

सवालों के घेरे में आई ईवीएम का इस्तेमाल साल 2000 के चुनावों से हो रहा है. चुनाव आयोग अब तक 113 विधानसभाओं के चुनाव और लोकसभा के तीन चुनाव ईवीएम से करा चुका है. पारदर्शिता और व्यवस्था में मतदाता का विश्वास बढ़ाने के लिए साल 2013 में ईवीएम से वीवीपैट सिस्टम को जोड़ा गया.

मतगणना प्रक्रिया को इस तरह स्पष्ट किया गया है :

मतों की गिनती के लिए कौन जिम्मेदार है?
किसी क्षेत्र में चुनाव कराने के लिए चुनाव अधिकारी (आरओ) उत्तरदायी होता है. इसमें मतों की गणना भी शामिल है. आरओ की तैनाती प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव आयोग, राज्य सरकार के परामर्श से करता है.

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मतगणना कहां होती है?
आरओ यह तय करता है कि संसदीय क्षेत्र की मतगणना कहां कराई जानी है. आदर्श स्थिति यही है कि मतगणना एक ही स्थान पर कराई जानी चाहिए और इसमें भी निर्वाचन क्षेत्र के आरओ के मुख्यालय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मतगणना आरओ के प्रत्यक्ष निरीक्षण में होनी चाहिए.

लेकिन, हर संसदीय क्षेत्र में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं. इस हालत में मतगणना एक से अधिक स्थानों पर सहायक चुनाव अधिकारी (एआरओ) की निगरानी में हो सकती है.
संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा खंड में मतगणना एक हाल में की जाती है. मतगणना के हर दौर में 14 ईवीएम के मत गिने जाते हैं.

अगर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए हों, जैसे इस बार ओडिशा, आंध्र में हुए हैं, तो पहली सात मेज विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती के लिए आरक्षित की जाती हैं, बाकी पर लोकसभा चुनाव की मतगणना होती है.
अगर किसी क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक है तो चुनाव आयोग की अनुमति से हाल और मेजों की संख्या बढ़ाई जा सकती है. हाल में एक बार में एक ही विधानसभा खंड के मतों की गिनती की जा सकती है. यह जरूर है कि इस खंड की गिनती पूरी होने पर दूसरे विधानसभा खंड के मतों की गिनती इसी हाल में की जा सकती है.

मतगणना की प्रक्रिया :
मतगणना आरओ द्वारा नियुक्त मतगणना सुपरवाइजरों द्वारा की जाती है. मतगणना हाल में उम्मीदवार अपने मतगणना एवं चुनाव एजेंटों के साथ मौजूद रहते हैं.

मतों की गिनती इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट (ईटीपीबी) और पोस्टल बैलेट (पीबी) की गणना से शुरू होती है. इन मतों को सीधे आरओ की निगरानी में गिना जाता है.

पीबी की गणना शुरू होने के आधा घंटे बाद ईवीएम मतों की गणना शुरू की जाती है. हर राउंड की समाप्ति पर 14 ईवीएम के नतीजों का ऐलान किया जाता है.

VVPAT पर्चियों की गणना की प्रक्रिया क्या है :

  • प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा खंड की एक-एक ईवीएम को रैंडम तरीके से वीवीपैट मिलान के लिए चुना जाता है.
  • वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन हाल में स्थित एक सुरक्षित वीवीपैट मतगणना बूथ के अंदर किया जाता है.
  • ईवीएम मतों की गिनती के बाद हाल में किसी भी मतगणना मेज को वीवीपैट मतगणना बूथ में बदला जा सकता है.
  • संसदीय क्षेत्र में आम तौर से पांच से दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

रैंडम तरीके से होगा VVPAT पर्चियों का मिलान
इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने तय किया है कि हर विधानसभा खंड के पांच रैंडम तरीके से चुने गए मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम के नतीजों से किया जाएगा. इसका अर्थ यह हुआ कि हर संसदीय क्षेत्र में वीवीपैट पर्चियों का मिलान 25 से 50 ईवीएम से करना होगा. यह प्रक्रिया सीधे आरओ-एआरओ की निगरानी में होगी.

आरओ करेगा निर्वाचन क्षेत्र के अंतिम नतीजों का ऐलान
चुनाव आयोग ने तय किया है कि पांच वीवीपैट की गणना क्रमानुसार की जाएगी. वीवीपैट मिलान प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरओ निर्वाचन क्षेत्र के अंतिम नतीजों का ऐलान कर सकता है.

अगर वीवीपैट गणना और ईवीएम के नतीजों में समानता नहीं रही तो छपी हुई पेपर स्लिप की गणना को अंतिम माना जाएगा. चुनाव आयोग ने इसका खुलासा नहीं किया है कि पांच वीवीपैट में से किसी एक की गणना में भी असंगति पाए जाने पर आगे क्या कार्रवाई की जाएगी.

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