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जानिए क्यों, मोरक्को में 30 लाख आवारा कुत्तों को मारने की बनाई जा रही योजना - CULLING STRAY DOGS

मोरक्को में 30 लाख कुत्तों को मारने की योजना की दुनिया भर में पशु कल्याण संगठनों ने आलोचना की है.

Morocco plans culling 30 lakh stray dogs
आवारा कुत्ते (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 20, 2025, 1:07 PM IST

रबात: स्पेन और पुर्तगाल के साथ 2030 फीफा विश्व कप के सह-मेजबान मोरक्को ने अपने पर्यटन आकर्षण को बढ़ाने के लिए तीस लाख आवारा कुत्तों को मारने की योजना की घोषणा की है. इस पहल की दुनिया भर में पशु कल्याण संगठनों और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है.

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार मोरक्को के अधिकारी आवारा कुत्तों की आबादी से निपटने के लिए अमानवीय और संभावित रूप से अवैध तरीके अपना रहे हैं. इनमें अत्यधिक विषैले स्ट्राइकिन से जहर देना, सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को गोली मारना और कथित तौर पर जीवित बचे जानवरों को फावड़ों से पीट-पीटकर मार डालना शामिल है.

अंतरराष्ट्रीय पशु कल्याण और संरक्षण गठबंधन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस अभियान के तहत 30 लाख तक कुत्तों को मारा जा सकता है. प्रसिद्ध प्राइमेटोलॉजिस्ट और पशु अधिकार अधिवक्ता जेन गुडॉल ने हस्तक्षेप करते हुए फीफा से हत्याओं को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

फीफा को लिखे पत्र में गुडॉल ने कथित तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे क्रूर तरीकों की निंदा की और कहा कि अगर हत्या जारी रही तो मोरक्को में होने वाले टूर्नामेंट को निलंबित कर दिया जाना चाहिए.

हालांकि मोरक्को में गली के कुत्तों को मारने पर रोक लगाने के लिए कानूनी सुरक्षा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि अधिकारी अक्सर स्थानीय कानून प्रवर्तन के हस्तक्षेप के बिना ये कार्रवाई जारी रखते हैं. ट्रैप-न्यूट्रल-वैक्सीनेट-रिलीज (TNVR) कार्यक्रमों जैसे मानवीय विकल्पों को बढ़ावा देने वाले पशु कल्याण संगठनों को बढ़ती बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. हिंसा के कारण आश्रय स्थलों में भीड़भाड़ हो गई है और जानवरों की आमद को नियंत्रित करने के लिए संसाधनों की कमी हो रही है.

फीफा ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. फिर भी सूत्रों से पता चलता है कि संगठन मोरक्को में स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और प्रस्तावित विश्व कप स्थलों का निरीक्षण कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में लगा हुआ है और मोरक्को के अधिकारियों से वैश्विक पशु कल्याण मानकों के अनुरूप आवारा कुत्तों की आबादी पर लगाम लगाने के लिए मानवीय और टिकाऊ दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह कर रहा है.

ये भी पढ़ें- बेंगलुरु में आवारा कुत्तों का आतंक, बुजुर्ग महिला पर किया हमला, मौत

रबात: स्पेन और पुर्तगाल के साथ 2030 फीफा विश्व कप के सह-मेजबान मोरक्को ने अपने पर्यटन आकर्षण को बढ़ाने के लिए तीस लाख आवारा कुत्तों को मारने की योजना की घोषणा की है. इस पहल की दुनिया भर में पशु कल्याण संगठनों और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है.

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार मोरक्को के अधिकारी आवारा कुत्तों की आबादी से निपटने के लिए अमानवीय और संभावित रूप से अवैध तरीके अपना रहे हैं. इनमें अत्यधिक विषैले स्ट्राइकिन से जहर देना, सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को गोली मारना और कथित तौर पर जीवित बचे जानवरों को फावड़ों से पीट-पीटकर मार डालना शामिल है.

अंतरराष्ट्रीय पशु कल्याण और संरक्षण गठबंधन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस अभियान के तहत 30 लाख तक कुत्तों को मारा जा सकता है. प्रसिद्ध प्राइमेटोलॉजिस्ट और पशु अधिकार अधिवक्ता जेन गुडॉल ने हस्तक्षेप करते हुए फीफा से हत्याओं को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

फीफा को लिखे पत्र में गुडॉल ने कथित तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे क्रूर तरीकों की निंदा की और कहा कि अगर हत्या जारी रही तो मोरक्को में होने वाले टूर्नामेंट को निलंबित कर दिया जाना चाहिए.

हालांकि मोरक्को में गली के कुत्तों को मारने पर रोक लगाने के लिए कानूनी सुरक्षा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि अधिकारी अक्सर स्थानीय कानून प्रवर्तन के हस्तक्षेप के बिना ये कार्रवाई जारी रखते हैं. ट्रैप-न्यूट्रल-वैक्सीनेट-रिलीज (TNVR) कार्यक्रमों जैसे मानवीय विकल्पों को बढ़ावा देने वाले पशु कल्याण संगठनों को बढ़ती बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. हिंसा के कारण आश्रय स्थलों में भीड़भाड़ हो गई है और जानवरों की आमद को नियंत्रित करने के लिए संसाधनों की कमी हो रही है.

फीफा ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. फिर भी सूत्रों से पता चलता है कि संगठन मोरक्को में स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और प्रस्तावित विश्व कप स्थलों का निरीक्षण कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में लगा हुआ है और मोरक्को के अधिकारियों से वैश्विक पशु कल्याण मानकों के अनुरूप आवारा कुत्तों की आबादी पर लगाम लगाने के लिए मानवीय और टिकाऊ दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह कर रहा है.

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