पटनाः पूर्व शिक्षा मंत्री और तारापुर विधायक मेवालाल चौधरी का निधन सोमवार सुबह 4ः30 में हो गया. वे कोरोना संक्रमित थे. पटना के पारस हॉस्पिटल में तारापुर विधानसभा से जेडीयू विधायक नेे अंतिम सांस ली. बता दें कि कोरोना संक्रमित होने के बात जेडीयू नेता को पटना के पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी.
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तीन घंटों के लिए बने थे शिक्षा मंत्री
दूसरी बार 2020 में मेवालाल चौधरी विधायक बने. नई सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री का पद दिया था. लेकिन सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए सहायक प्रोफेसर भर्ती घोटाले का अभियुक्त होने के कारण विपक्ष ने यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया. इस पर मेवालाल चौधरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. बता दें कि उन्होंने 19 नवंबर को पदभार ग्रहण किया था. विपक्ष के हंगामे के बाद उन्हें तीन घंटे के बाद ही स्तीफा देना पड़ा था. उन्होंने पदभार ग्रहण करने के 71 घंटे पहले शपथ ली थी. वे पहली बार 2015 में विधायक बने थे.
सीएम नीतीश ने कई कारणों से बनाया था मंत्री
जानकार बताते हैं कि 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के कई कुशवाहा मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था. हालात यह हो गई थी कि नई सरकार के शपथ ग्रहण में कुशवाहा जाति से मंत्री पद देना मुश्किल हो रहा था. इस जाति को शामिल किए बिना सरकार बनाने पर नीतीश कुमार को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता था. ऐसे में जेडीयू ने पिछला ट्रैक रिकॉर्ड जानते हुए भी कुशवाहा जाति से मंत्री के तौर पर मेवालाल चौधरी को शामिल किया.
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जातिगत समीकरण साधे थे
जेडीयू ने कुशवाहा जाति को मंत्री पद देकर जातिगत समीकरण साध लिए थे. मेवालाल चौधरी से पदभार ग्रहण करने के 3 घंटे के बाद ही इस्तीफा लेकर यह संदेश भी दे दिया गया कि नीतीश कुमार छवि से समझौता नहीं करते.
मेवालाल चौधरी पर लगे थे आरोप
जेडीयू कोटे से मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले मेवालाल चौधरी पर सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने के आरोप था. मेवालाल चौधरी सबौर (भागलपुर) स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के साल 2010-2015 तक वाइस चांसलर रहे. नियुक्ति की अनियमितता को लेकर उन पर सबौर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. फिलहाल वे जमानत पर थे. लेकिन मेवालाल चौधरी इन आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे थे.
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जानें पूरा मामला
पांच अगस्त 2010 को सबौर (भागलपुर) में बिहार कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी. 9 जून 2011 को विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों के लिए नियुक्ति का विज्ञापन दिया गया था. कुल 281 पोस्ट थी. जिसमें 232 करेंट वैकेंसी, 37 बैक लॉग और 12 अन्य थीं. जिसमें कुल 161 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई. लेकिन इस विज्ञापन पर 161 अभ्यर्थियों की नियुक्तियां विवादों में रहीं. इस वैकेंसी में 80 नंबर अकादमिक रिकॉर्ड, 10 नंबर इंटरव्यू और 10 नंबर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के लिए तय किए गए थे. अभ्यर्थियों ने कहा था कि इंटरव्यू और पॉवर प्वांइट प्रेजेंटेशन में मुख्यत: गड़बड़ी हुई.
दिए गए थे जांच के आदेश
इस मामले को लेकर बकायदा बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने उस वक्त मेवालाल चौधरी के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. जांच में मेवालाल चौधरी के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाए गए थे. इसके अलावा उन पर सबौर कृषि विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भी घपलेबाजी का आरोप था.
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कई केस हैं दर्ज
उन पर वाइस चांसलर (2010-15) रहते हुए भवन निर्माण और नियुक्ति में अनियमितता को लेकर उन पर आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120(बी) के तहत मामला (केस नं 35/2017) दर्ज है.
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मंत्री बनाने के बाद तेजस्वी ने साधा था निशाना
मंत्री बनाने के बाद तेजस्वी ने लिखा था, 'मैंने कहा था ना आप थक चुके हैं, इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है. जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया. थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया. घंटे बाद इस्तीफे का नाटक रचाया. असली गुनाहगार आप हैं. आपने मंत्री क्यों बनाया? आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?'
पत्नी की हत्या की साजिश का भी लगा आरोप
बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार ने डीजीपी को पत्र लिखकर मेवालाल पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. अमिताभ कुमार दास ने चिट्ठी में लिखा था कि बिहार सरकार के मंत्री मेवालाल चौधरी की धर्मपत्नी नीता चौधरी 27 मई 2019 को अपने आवास पर पूरी तरीके से जल गई थी. 2 जून 2019 को उनकी मौत हो गई. मेवालाल चौधरी पर भागलपुर के सबौर थाने में नियुक्ति घोटाले का मामला दर्ज किया गया था. अमिताभ कुमार दास अपने पत्र में आगे लिखा कि मुझे जानकारी है कि मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत के पीछे एक गहरा राजनीतिक षड्यंत्र है.
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नियुक्ति घोटाले की बात भी जुड़ी
अमिताभ कुमार ने लिखा था कि संभवत: मौत के तार नियुक्ति घोटाले से भी जुड़े हैं. वहीं इन आरोपों पर मेवालाल चौधरी भड़क उठे थे. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार के द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई थी. कहा था कि अगर मेरी पत्नी को लेकर कोई व्यक्ति इस तरह के आरोप लगा रहा है तो मैं उसे लीगल नोटिस भेजूंगा.
पत्नी ने छोड़ा था पद, सिलेंडर विस्फोट से हो गया था निधन
मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी भी तारापुर से विधायक रह चुकी हैं. मेवालाल के कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद से रिटायर होने के बाद इनकी पत्नी ने यह सीट छोड़ दी. फिर 2015 के चुनाव में मेवालाल यहां से विधायक चुने गए. इसके कुछ दिन बाद ही घर में सिलेंडर विस्फोट में नीता चौधरी का निधन हो गया था. 2020 चुनाव में जेडीयू ने एक बार फिर मेवालाल पर भरोसा किया और उन्हें टिकट देकर मैदान में उतारा. उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को हराकर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की.
नीतीश के केबिनेट में मेवालाल चौधरी थे सबसे ज्यादा धनवान
नीतीश कैबिनेट में जब उन्हें जगह मिला तो एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सभी के धन की रिपोर्ट पेश की. उसके मुताबिक सबसे अधिक 12.31 करोड़ रूपये की संपत्ति मेवा लाल चौधरी के पास थी, जो तारापुर निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि थे. बता दें कि मेवालाल ने 1980 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी.
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