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KK Pathak Case : 'अफसरों को बार-बार कोर्ट बुलाने से होता है जनहित का नुकसान..' SC के फैसले की कॉपी हाईकोर्ट में पेश

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Published : Jul 20, 2023, 7:39 PM IST

अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही फैसले की कॉपी पटना हाई कोर्ट में पेश की गई है. अब इस आदेश की वजह से पटना हाई कोर्ट ने जमानती वारंट पर रोक लगा दिया है. केके पाठक को अब पटना हाईकोर्ट में पेश नहीं होना पड़ेगा.

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केके पाठक को नहीं होना पड़ेगा हाईकोर्ट में हाजिर

पटना : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही आदेश की कॉपी पटना हाईकोर्ट में पेश की गई. इस मामले में अब पटना हाईकोर्ट ने जमानती वांरट के आदेश पर रोक लगा दी है. यानी अब केके पाठक को पटना उच्च आदालत में पेश नहीं होना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केके पाठक पर लटकती गिरफ्तारी की तलवार हट गई है.

ये भी पढ़ें- Bihar News: IAS केके पाठक की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जमानती वारंट पर मिली थी राहत

केके पाठक को मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एक बार फिर सुर्खियों में हैं. केके पाठक के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया था और कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे. फैसले के खिलाफ केके पाठक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सुप्रीम कोर्ट से केके पाठक को राहत मिली. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को अवमानना के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था.

2016 के मामले में केके पाठक को राहत : दरअसल 2016 के एक मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवमानना के लिए पटना उच्च न्यायालय ने दोषी माना था. कोर्ट ने केके पाठक के खिलाफ वारंट जारी किया था. साथ ही कोर्ट में आकर जवाब देने को कहा गया था. कोर्ट के आदेश का पालन करने के बावजूद केके पाठक को कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया था. 18 जुलाई को केके पाठक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए आवेदन दिया गया और सुप्रीम कोर्ट ने के के पाठक के पक्ष में फैसला सुनाया.

केके पाठक के वकील का बयान : पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कहा कि ''अवमानना के मामले में कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया था. जबकि शिक्षा विभाग की ओर से शिकायतकर्ता की शिकायत को दूर कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट को कंप्लायंस रिपोर्ट भी दे दी गई थी. बावजूद इसके उच्च न्यायालय के द्वारा केके पाठक को हाजिर होने को कहा जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में कहा कि बार-बार अधिकारियों को कोर्ट में बुलाने से जनहित का नुकसान होता है. यह कोर्ट के मर्यादा के भी विपरीत है.'' नरेश दीक्षित ने कहा कि इस फैसले के व्यापक असर होंगे और अब अधिकारियों को बार-बार कोर्ट में हाजिरी नहीं लगानी पड़ेगी ।

केके पाठक को नहीं होना पड़ेगा हाईकोर्ट में हाजिर

पटना : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही आदेश की कॉपी पटना हाईकोर्ट में पेश की गई. इस मामले में अब पटना हाईकोर्ट ने जमानती वांरट के आदेश पर रोक लगा दी है. यानी अब केके पाठक को पटना उच्च आदालत में पेश नहीं होना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केके पाठक पर लटकती गिरफ्तारी की तलवार हट गई है.

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केके पाठक को मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एक बार फिर सुर्खियों में हैं. केके पाठक के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया था और कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे. फैसले के खिलाफ केके पाठक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सुप्रीम कोर्ट से केके पाठक को राहत मिली. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को अवमानना के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था.

2016 के मामले में केके पाठक को राहत : दरअसल 2016 के एक मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवमानना के लिए पटना उच्च न्यायालय ने दोषी माना था. कोर्ट ने केके पाठक के खिलाफ वारंट जारी किया था. साथ ही कोर्ट में आकर जवाब देने को कहा गया था. कोर्ट के आदेश का पालन करने के बावजूद केके पाठक को कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया था. 18 जुलाई को केके पाठक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए आवेदन दिया गया और सुप्रीम कोर्ट ने के के पाठक के पक्ष में फैसला सुनाया.

केके पाठक के वकील का बयान : पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कहा कि ''अवमानना के मामले में कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया था. जबकि शिक्षा विभाग की ओर से शिकायतकर्ता की शिकायत को दूर कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट को कंप्लायंस रिपोर्ट भी दे दी गई थी. बावजूद इसके उच्च न्यायालय के द्वारा केके पाठक को हाजिर होने को कहा जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में कहा कि बार-बार अधिकारियों को कोर्ट में बुलाने से जनहित का नुकसान होता है. यह कोर्ट के मर्यादा के भी विपरीत है.'' नरेश दीक्षित ने कहा कि इस फैसले के व्यापक असर होंगे और अब अधिकारियों को बार-बार कोर्ट में हाजिरी नहीं लगानी पड़ेगी ।

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