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पटना: मनोकामनाएं पूर्ण होने पर मां काली के सामने देते हैं बलि, भक्तों का है अटूट विश्वास

इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि मां काली के समक्ष बलि प्रदान कर जो भी भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.

मां काली
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Published : Oct 7, 2019, 5:35 PM IST

पटना: राजधानी का काली मंदिर ऐसा शक्ति स्थल है जहां आज भी बलि देने की परंपरा है. महानवमी के दिन मां काली को भक्त खास तौर पर मनोकामनाएं पूरी करने पर बलि प्रदान करते हैं. शहर के दरभंगा हॉस काली मंदिर में सोमवार सुबह से ही बलि देने वाले भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई है.

जयपुर से मंगवाई गई प्रतिमा
मंदिर के पुजारी दीनानाथ झा ने बताया कि बहुत मुश्किल से इस परंपरा का निर्वाह हो पा रहा है. दरअसल मिथिलांचल में काली की पूजा अधिक होती है. इस वजह से मिथिला में महानवमी के दिन बलि प्रदान करने की परंपरा आज भी है. मंदिर में काली माता की भव्य प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि यह प्रतिमा दरभंगा महाराज ने जयपुर से मंगवाई थी. शनिवार को काफी संख्या में श्रद्धालु मां काली की पूजा करने आते हैं.

बलि लेकर मां काली करती हैं मनोकामनाएं पूर्ण

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
दरभंगा हॉस काली मंदिर का इतिहास तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना है. इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि मां काली के समक्ष बलि प्रदान कर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना जरुर पूर्ण होती है. यह कई शक्ति स्थल में से एक मंदिर है जहां आज भी बलि प्रदान किया जाता है. भक्तों की मां काली बलि लेकर उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. आज नवमी के दिन सुबह से ही भक्त बलि देने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ लगाए हुए है. यह मंदिर नवरात्र में भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है.

पटना: राजधानी का काली मंदिर ऐसा शक्ति स्थल है जहां आज भी बलि देने की परंपरा है. महानवमी के दिन मां काली को भक्त खास तौर पर मनोकामनाएं पूरी करने पर बलि प्रदान करते हैं. शहर के दरभंगा हॉस काली मंदिर में सोमवार सुबह से ही बलि देने वाले भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई है.

जयपुर से मंगवाई गई प्रतिमा
मंदिर के पुजारी दीनानाथ झा ने बताया कि बहुत मुश्किल से इस परंपरा का निर्वाह हो पा रहा है. दरअसल मिथिलांचल में काली की पूजा अधिक होती है. इस वजह से मिथिला में महानवमी के दिन बलि प्रदान करने की परंपरा आज भी है. मंदिर में काली माता की भव्य प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि यह प्रतिमा दरभंगा महाराज ने जयपुर से मंगवाई थी. शनिवार को काफी संख्या में श्रद्धालु मां काली की पूजा करने आते हैं.

बलि लेकर मां काली करती हैं मनोकामनाएं पूर्ण

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
दरभंगा हॉस काली मंदिर का इतिहास तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना है. इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि मां काली के समक्ष बलि प्रदान कर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना जरुर पूर्ण होती है. यह कई शक्ति स्थल में से एक मंदिर है जहां आज भी बलि प्रदान किया जाता है. भक्तों की मां काली बलि लेकर उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. आज नवमी के दिन सुबह से ही भक्त बलि देने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ लगाए हुए है. यह मंदिर नवरात्र में भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है.

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बली लेकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है दरभंगा हाउस काली मां,



विजुअल अलग से भेजी गई है


Body:राजधानी पटना में शायद ही ऐसा कोई काली मंदिर होगा जहां ऐसा शक्तस्थल है और जहां आज भी बलि देने की परंपरा है, महा नवमी के दिन मां काली को भक्त खास तौर पर मनोकामना पूरी करने पर बलि प्रदान करते हैं, राजधानी पटना के दरभंगा हॉस काली मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई हैं, और लंबी लाइन लगी हुई है, बलि देने वालो भक्तों की

मंदिर के पुजारी दीनानाथ झा की मानें तो बहुत मुश्किल से इस परंपरा का निर्वाह हो पा रहा है, दरअसल मिथिलांचल में काली की पूजा अधिक होती हैं, इस वजह से मिथिला में महा नवमी के दिन बलि प्रदान करने की परंपरा आज भी है मंदिर में काली माता की भव्य प्रतिमा स्थापित है बताया जाता है की यह प्रतिमा दरभंगा महाराज ने जयपुर से मंगवाई थी, मंगलवार और शनिवार को मंदिर में दर्शनार्थियों की काफी भीड़ होती है खासकर शनिवार को काफी संख्या में श्रद्धालु मां काली की पूजा करने आती है


Conclusion:राजधानी पटना के दरभंगा हॉउस काली मंदिर का इतिहास पुराना है तकरीबन डेढ़ सौ सालों का इतिहास रहा है, इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि यहां मां काली के समक्ष बलि प्रदान कर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है
यह कई शक्त स्थलों में से एक है जहां आज भी बलि प्रदान की जाती है और भक्तों को मां काली बली लेकर मनोकामना पूर्ण करती हैं आज सुबह से ही भक्तजन बली देने के लिए लाइन लगाए हुए हैं और हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है दुर्गा नवमी के दिन पूरे राजधानी में यह मंदिर आकर्षण का केंद्र बना रहता है आपको बता दें कि यह मंदिर दरभंगा के महाराज राजेश्वर ने बनवाया था



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बाईट-सतिश,बली देने आये श्रद्धालु
पी टू सी
शशि तुलस्यान

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