पटना: राजधानी का काली मंदिर ऐसा शक्ति स्थल है जहां आज भी बलि देने की परंपरा है. महानवमी के दिन मां काली को भक्त खास तौर पर मनोकामनाएं पूरी करने पर बलि प्रदान करते हैं. शहर के दरभंगा हॉस काली मंदिर में सोमवार सुबह से ही बलि देने वाले भक्तों की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई है.
जयपुर से मंगवाई गई प्रतिमा
मंदिर के पुजारी दीनानाथ झा ने बताया कि बहुत मुश्किल से इस परंपरा का निर्वाह हो पा रहा है. दरअसल मिथिलांचल में काली की पूजा अधिक होती है. इस वजह से मिथिला में महानवमी के दिन बलि प्रदान करने की परंपरा आज भी है. मंदिर में काली माता की भव्य प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि यह प्रतिमा दरभंगा महाराज ने जयपुर से मंगवाई थी. शनिवार को काफी संख्या में श्रद्धालु मां काली की पूजा करने आते हैं.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी
दरभंगा हॉस काली मंदिर का इतिहास तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना है. इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि मां काली के समक्ष बलि प्रदान कर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी वह मनोकामना जरुर पूर्ण होती है. यह कई शक्ति स्थल में से एक मंदिर है जहां आज भी बलि प्रदान किया जाता है. भक्तों की मां काली बलि लेकर उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. आज नवमी के दिन सुबह से ही भक्त बलि देने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ लगाए हुए है. यह मंदिर नवरात्र में भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है.