पटनाः संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण ने 1975 में भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका था. बिहार से उठी संपूर्ण क्रांति की चिंगारी देश में आग की लपटों की तरह फैल गई. जेपी ने भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया लेकिन आंदोलन की परिणति आज मूर्त रूप में दिखाई नहीं देती.
भ्रष्टाचार की वजह से शुरू हुई थी क्रांति
5 जून 1975 को विशाल सभा में जेपी ने पहली बार संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. यह क्रांति उन्होंने बिहार और भारत में फैले भ्रष्टाचार की वजह से शुरू की थी. बिहार में जेपी के अनुयायियों ने पिछले तीन दशक से सत्ता की बागडोर संभाल रखी है. पहले लालू प्रसाद यादव और अब नीतीश कुमार पिछले 30 साल से बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं. लेकिन जेपी के सपनों का बिहार अब तक नहीं बन पाया है. परिवारवाद, वंशवाद और भ्रष्टाचार आज भी सिस्टम का हिस्सा है.
हर सरकार में हुए बिहार में घोटाले
जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार को आंदोलन का हथियार बनाया था. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी बिहार जैसा राज्य भ्रष्टाचार के मकड़जाल में फंसा है. पहले लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में बड़े घोटाले हुए. पशुपालन घोटाला और अलकतरा घोटाला के जरिए करोड़ों रुपये का वारा न्यारा हुआ. उसके बाद नीतीश कुमार के कार्यकाल में भी बिहार को घोटाले से मुक्ति नहीं मिली. नीतीश कुमार के कार्यकाल में दवा घोटाला, धान क्रय घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला और सृजन घोटाले के जरिए जनता की गाढ़ी कमाई का बंदरबांट हुआ.
'जेपी भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाना चाहते थे'
इसके बावजूद बिहार के नेता जेपी के सपनों का बिहार बनाने का दंभ भरते हैं. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जेपी को हम पथ प्रदर्शक के रूप में मानते हैं. जेपी के बताए गए रास्तों पर चलकर ही बिहार का भला हो सकता है. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि जयप्रकाश नारायण भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाना चाहते थे. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार आज जेपी के सपनों को मूर्त रूप देने की कोशिश कर रही है.
'जेपी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए'
समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं कि जरूरी नहीं है कि हर आंदोलन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले. महात्मा गांधी भी अपना लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पाए थे उसी तरह जेपी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए. लेकिन जयप्रकाश नारायण ने लोगों को संघर्ष का रास्ता चुनने की राह दिखाई थी.