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मदन सहनी को मिला मांझी का साथ, कहा- जनप्रतिनिधियों की बात को गंभीरता से नहीं लेते अफसर

जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने भी माना है कि बिहार में काफी हद तक अफसरशाही हावी है. उन्होंने कहा कि मैंने इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की थी और उनसे कहा था कि जनप्रतिनिधियों का आदर तभी बढ़ेगा, जब अधिकारी उनकी बात सुनेंगे और जनता का काम तेजी से होगा. सीएम को मदन सहनी की बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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Published : Jul 1, 2021, 8:47 PM IST

पटना: समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) का साथ मिला है. मांझी ने कहा कि इस बात से मैं भी सहमत हूं कि अधिकारी मनमानी करते हैं और मंत्री की बात को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं.

ये भी पढ़ें- समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का इस्तीफा, कहा- नहीं सुनते हैं अधिकारी

सहनी को मांझी का साथ
दिल्ली दौरे से वापस आने के बाद पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की असल वजह क्या है इसकी मुझे अभी जानकारी नहीं है, मगर मैं उनकी इस बात से सहमत हूं कि अधिकारी मंत्री और विधायकों की बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

जीतन राम मांझी का बयान

सीएम को गंभीरता से सोचना चाहिए
हम प्रमुख ने कहा कि पिछले दिनों मैंने इस बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी बात की थी. मैंने उनको कहा था कि सभी विधायकों की इज्जत तब बढ़ेगी, जब अफसर उनकी बात सुनें और जनता का काम हो. लिहाजा सीएम को सहनी के आरोपों को गंभीरता से सुनना चाहिए.

"जहां तक अफसरशाही की बात है तो जरूर अधिकारी लोग जनप्रतिनिधियों की बात को पूरी तरह से नकारते नहीं है, लेकिन 20 से 25 प्रतिशत अफसर बिल्कुल नहीं सुनते"- जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम

मोदी सरकार ने मेरी बात सुनी
अपने दिल्ली दौरे के बारे में मांझी ने कहा कि 'पर्वत पुरुष' दशरथ मांझी को 'भारत रत्न' देने की मांग, निजी क्षेत्र में आरक्षण और न्यायपालिका में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. उस पर अमित शाह की अगुवाई में कमिटी बनाई गई है. शाह, जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव से भी बात हुई है.

ये भी पढ़ें- BJP विधायक ने फोड़ा 'बम', कहा- 80 फीसदी मंत्री ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में शामिल

शराबबंदी में सुधार की जरूरत
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने एक फिर शराबबंदी कानून को लेकर समीक्षा की मांग की. उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण केवल गरीब लोग जेल जा रहे हैं, अमीर तो आराम से शराब का सेवन करते हैं. लिहाजा सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

पटना: समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) का साथ मिला है. मांझी ने कहा कि इस बात से मैं भी सहमत हूं कि अधिकारी मनमानी करते हैं और मंत्री की बात को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं.

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सहनी को मांझी का साथ
दिल्ली दौरे से वापस आने के बाद पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की असल वजह क्या है इसकी मुझे अभी जानकारी नहीं है, मगर मैं उनकी इस बात से सहमत हूं कि अधिकारी मंत्री और विधायकों की बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

जीतन राम मांझी का बयान

सीएम को गंभीरता से सोचना चाहिए
हम प्रमुख ने कहा कि पिछले दिनों मैंने इस बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी बात की थी. मैंने उनको कहा था कि सभी विधायकों की इज्जत तब बढ़ेगी, जब अफसर उनकी बात सुनें और जनता का काम हो. लिहाजा सीएम को सहनी के आरोपों को गंभीरता से सुनना चाहिए.

"जहां तक अफसरशाही की बात है तो जरूर अधिकारी लोग जनप्रतिनिधियों की बात को पूरी तरह से नकारते नहीं है, लेकिन 20 से 25 प्रतिशत अफसर बिल्कुल नहीं सुनते"- जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम

मोदी सरकार ने मेरी बात सुनी
अपने दिल्ली दौरे के बारे में मांझी ने कहा कि 'पर्वत पुरुष' दशरथ मांझी को 'भारत रत्न' देने की मांग, निजी क्षेत्र में आरक्षण और न्यायपालिका में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. उस पर अमित शाह की अगुवाई में कमिटी बनाई गई है. शाह, जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव से भी बात हुई है.

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शराबबंदी में सुधार की जरूरत
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने एक फिर शराबबंदी कानून को लेकर समीक्षा की मांग की. उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण केवल गरीब लोग जेल जा रहे हैं, अमीर तो आराम से शराब का सेवन करते हैं. लिहाजा सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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