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वकील की गिरफ्तारी मामलाः झारखंड हाई कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब

वकील गिरफ्तारी के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है. मामले में हई सुनवाई में पटना के पुलिस अधिकारी और रांची के एसएसपी को सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर होने का निर्देश दिया है.

Jharkhand High Court seeks response from Bihar government on lawyer arrest case
Jharkhand High Court seeks response from Bihar government on lawyer arrest case
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Published : Nov 9, 2021, 11:03 PM IST

रांची/पटना: नियमों की अनदेखी कर पटना पुलिस ने झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के वकील की गिरफ्तारी मामले में दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए आनन-फानन में पटना के पुलिस अधिकारी और रांची के एसएसपी को सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर होने का निर्देश दिया, अधिकारी भी हाजिर हुए.

इसे भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में आज से अदालती कामकाज शुरू, 7 नवनियुक्त न्यायाधीश भी मामलों पर करेंगे सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट में अवकाश होने के कारण इस मामले पर न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश आनंद सेन की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. अदालत के द्वारा पूछे गए प्रश्न के सकारात्मक जवाब नहीं दिए गए. जिसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार के गृह सचिव को पार्टी इंप्लीड करने का निर्देश दिया. पटना दानापुर के एएसपी रांची के एसएसपी को 25 नवंबर से पूर्व जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

देखें वीडियो

मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि बगैर नियम के अनुपालन का अधिवक्ता को जबरन रात में उसके घर से उठा लिया गया. ठंड के समय में उन्हें गर्म कपड़े तक नहीं लेने दिया गया, जिस कारण उनकी तबीयत खराब हो गयी. जिसमें हाई कोर्ट ने आनन-फानन में रांची एसएसपी और पटना एसपी को तलब किया. पटना दानापुर के एएसपी और रांची के सीनियर एसपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में हाजिर हुए.

अदालत ने पटना दानापुर के पुलिस पदाधिकारी से पूछा कि उनकी गिरफ्तारी कैसे की गई. जिस पर पहले तो उन्होंने बताया कि उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई. लेकिन बाद में फिर उन्होंने अपनी भूल को सुधारते हुए अदालत को बताया कि हां उनकी गिरफ्तारी हुई है. उनके खिलाफ दानापुर पीएस में केस दर्ज है. निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की पूछा कभी आप बोलते हैं गिरफ्तारी हुई कभी नहीं हुई. अगर गिरफ्तारी हुई तो क्या उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया. जिसका वह सकारात्मक जवाब नहीं दे पाए. उनकी ओर से अदालत को यह जानकारी दी गई कि उन्हें छोड़ दिया गया है. वहीं रांची एसएसपी से अदालत ने यह जानना चाहा कि पटना पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई थी या नहीं.

जिस पर रांची एसएसपी ने अदालत को जानकारी दी कि लोकल थाना को जानकारी दी गई थी और गिरफ्तारी में सहयोग मांगा गया था. गिरफ्तारी की सूचना देते हुए पटना पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पटना ले गयी. जिस पर अदालत ने एसएसपी से यह जानना चाहा कि गिरफ्तारी की पूरी प्रक्रिया पूर्ण की गई थी. अधिकारी के द्वारा सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया. अदालत में उपस्थित पदाधिकारी से पूछा कि क्या उन्हें नियम की जानकारी नहीं है. एक राज्य से दूसरे राज्य अगर किसी की गिरफ्तारी करती है तो उससे पहले क्या प्रक्रिया है, पूरी की जानी चाहिए.

क्या है मामला

झारखंड हाई कोर्ट के एपीपी रजनीश वर्धन को पटना पुलिस 7 नवंबर को बिना ट्रांजिट रिमांड के अपने साथ गिरफ्तार करके ले गयी. उसके बाद उनकी पत्नी झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी रिहाई की मांग की. आरोप लगाया कि पटना पुलिस ने बिना किसी सूचना का जबरन उन्हें घर से उठा ले गयी है. उनके खिलाफ दानापुर थाना में एक मामला पहले से दर्ज है. जिस मामले में निचली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. फिर उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है जो फिलहाल लंबित है.

इसे भी पढ़ें- गांधी मैदान बम धमाके का दोषी इफ्तेखार आलम जेल से रिहा, ये है वजह

रांची/पटना: नियमों की अनदेखी कर पटना पुलिस ने झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के वकील की गिरफ्तारी मामले में दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए आनन-फानन में पटना के पुलिस अधिकारी और रांची के एसएसपी को सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर होने का निर्देश दिया, अधिकारी भी हाजिर हुए.

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झारखंड हाई कोर्ट में अवकाश होने के कारण इस मामले पर न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश आनंद सेन की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. अदालत के द्वारा पूछे गए प्रश्न के सकारात्मक जवाब नहीं दिए गए. जिसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार के गृह सचिव को पार्टी इंप्लीड करने का निर्देश दिया. पटना दानापुर के एएसपी रांची के एसएसपी को 25 नवंबर से पूर्व जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

देखें वीडियो

मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि बगैर नियम के अनुपालन का अधिवक्ता को जबरन रात में उसके घर से उठा लिया गया. ठंड के समय में उन्हें गर्म कपड़े तक नहीं लेने दिया गया, जिस कारण उनकी तबीयत खराब हो गयी. जिसमें हाई कोर्ट ने आनन-फानन में रांची एसएसपी और पटना एसपी को तलब किया. पटना दानापुर के एएसपी और रांची के सीनियर एसपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में हाजिर हुए.

अदालत ने पटना दानापुर के पुलिस पदाधिकारी से पूछा कि उनकी गिरफ्तारी कैसे की गई. जिस पर पहले तो उन्होंने बताया कि उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई. लेकिन बाद में फिर उन्होंने अपनी भूल को सुधारते हुए अदालत को बताया कि हां उनकी गिरफ्तारी हुई है. उनके खिलाफ दानापुर पीएस में केस दर्ज है. निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की पूछा कभी आप बोलते हैं गिरफ्तारी हुई कभी नहीं हुई. अगर गिरफ्तारी हुई तो क्या उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया. जिसका वह सकारात्मक जवाब नहीं दे पाए. उनकी ओर से अदालत को यह जानकारी दी गई कि उन्हें छोड़ दिया गया है. वहीं रांची एसएसपी से अदालत ने यह जानना चाहा कि पटना पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई थी या नहीं.

जिस पर रांची एसएसपी ने अदालत को जानकारी दी कि लोकल थाना को जानकारी दी गई थी और गिरफ्तारी में सहयोग मांगा गया था. गिरफ्तारी की सूचना देते हुए पटना पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पटना ले गयी. जिस पर अदालत ने एसएसपी से यह जानना चाहा कि गिरफ्तारी की पूरी प्रक्रिया पूर्ण की गई थी. अधिकारी के द्वारा सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया. अदालत में उपस्थित पदाधिकारी से पूछा कि क्या उन्हें नियम की जानकारी नहीं है. एक राज्य से दूसरे राज्य अगर किसी की गिरफ्तारी करती है तो उससे पहले क्या प्रक्रिया है, पूरी की जानी चाहिए.

क्या है मामला

झारखंड हाई कोर्ट के एपीपी रजनीश वर्धन को पटना पुलिस 7 नवंबर को बिना ट्रांजिट रिमांड के अपने साथ गिरफ्तार करके ले गयी. उसके बाद उनकी पत्नी झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी रिहाई की मांग की. आरोप लगाया कि पटना पुलिस ने बिना किसी सूचना का जबरन उन्हें घर से उठा ले गयी है. उनके खिलाफ दानापुर थाना में एक मामला पहले से दर्ज है. जिस मामले में निचली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. फिर उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है जो फिलहाल लंबित है.

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