पटना: सीबीआई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के खिलाफ कथित रूप से भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले को खोल दिया (CBI reopens railway Corruption Case against Lalu) है. आरोप है कि यह गड़बड़ियां लालू यादव ने यूपीए सरकार में रेलवे मंत्री रहने के दौरान हुई (Lalu Prasad Yadav Corruption Case) थीं. लालू प्रसाद यादव से जुड़े एक पुराने मामले को फिर से खोले जाने पर जदयू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
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"हम लोग लगातार केंद्रीय एजेंसियों के विपक्षी दल के नेता के खिलाफ इस्तेमाल करने मामले उठाते रहे हैं. केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के कई उदाहरण हम लोग देते रहे हैं. आखिर ऐसी क्या खास बात है कि विपक्षी दल के नेताओं को बदनाम करने के लिए साजिश की जाती है. इस मामले में ऐसे तो पूरी जानकारी नहीं है. जब कुछ तथ्य सामने आएगा तो हम लोग भी उसे देखेंगे."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
लालू से जुड़े मामले सीबीआई ने शुरू की जांच: असल में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव से जुड़े एक मामले को 2021 में ही क्लोज कर दिया था, लेकिन अब फिर से उसे ओपन किया है और इसी को लेकर सत्ताधारी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है. लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में किडनी का ट्रांसप्लांट करावाया है और अभी वह सिंगापुर में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. इसी दौरान सीबीआई की तरफ से फिर से जांच किए जाने की बात सामने आ रही है.
क्या है पूरा मामला : बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में साल 2018 में जांच शुरू की थी और मई 2021 में जांच को बंद कर दिया गया था. बताया जाता है कि सीबीआई को लालू के खिलाफ आरोपों पर पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. इस मामले में लालू प्रसाद यादव के अलावा उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, उनकी बेटी चंदा यादव और रागिनी यादव को भी अभियुक्त बनाया
क्या है रेलवे परियोजनाओं से जुड़ा मामला: बताया जाता है कि इस मामले में कहा गया था कि लालू यादव ने रेलवे के प्रोजेक्ट्स निजी कंपनी को देने के एवज में दक्षिणी दिल्ली की एक प्रॉपर्टी रिश्वत के तौर पर हासिल की थी. आरोप था कि इस निजी कंपनी ने एक शेल कंपनी के जरिए प्रॉपर्टी काफी कम दाम में खरीदी और फिर इस शेल कंपनी को तेजस्वी यादव और लालू यादव के संबंधियों ने खरीद लिया. शेल कंपनी को खरीदने के लिए महज चार लाख रुपये की राशि शेयर ट्रांसफर के जरिए चुकाई गई.
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