पटनाः बिहार में फिलहाल (Election In Bihar) न तो विधानसभा का चुनाव होने वाला है और न ही लोकसभा का. लेकिन इस बीच जदयू (JDU) पूरी तरह से चुनावी मोड (Election Mode) में दिख रहा है. हर स्तर पर तैयारियां परवान चढ़ रही है. प्रवक्ताओं की फौज मैदान में है. इसे देखते हुए राजद (RJD) ने तो साफ कह दिया है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव की तैयारी जदयू कर रहा है, हालांकि जदयू नेता इसे महज संगठन की मजबूती का हवाला दे रहे हैं.
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देशभर के पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक दलों की यूपी पर विशेष नजर है. जदयू ने भी यहां ताल ठोकने का ऐलान कर दिया है. इसकी तैयारियां साफ तौर पर देखी जा सकती है. एक तरफ नीतीश कुमार जनता दरबार की शुरुआत कर चुके हैं, वहीं जदयू कार्यालय वार रूम की तरह काम कर रहा है. उपेन्द्र कुशवाहा की बिहार यात्रा को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
"जनता दल यूनाइटेड जनता को निर्भीक बनाने का काम करती है. बगैर तनाव पैदा किए समाज में विकास की पटकथा लिखने की बुनियाद गांव से शुरू होती है. हम जनता से सीधे बात करते हैं. नीतीश कुमार जनता दरबार में सीधे लोगों की समस्या सुनते हैं. जहां कोई भी बड़े से बड़े रसूखदार की शिकायत कर सकता है. हमारी पार्टी कोई बिजनेस नहीं करती है. औरों की तरह हम संपत्ति सृजन का काम नहीं करते हैं, हमें काम पर भरोसा है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
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"नीतीश कुमार की पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए हर दिशा में काम कर रही है. अभी उनके संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सभी जिलों के दौरा पर हैं. सोशल मीडिया के स्तर पर भी संगठन को मजबूत किया जा रहा है. कई मुद्दों पर भाजपा से नीतीश की अलग राय रही है. साथ ही विधानसभा में छोटे भाई की भूमिका में आने के बाद जदयू हर स्तर से अपने आप को मजबूत करने में जुटी है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
"नीतीश कुमार को भी लग रहा है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव कभी भी हो सकते हैं. हमारे नेता तेजस्वी यादव ने तो कह ही दिया है कि यह सरकार चलने वाली नहीं है. बिहार में कुछ भी हो सकता है, लेकिन यह सरकार नहीं चलने वाली है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है. नीतीश कुमार का जनाधार कम हुआ है. नीतीश अपने खिसके हुए जनाधार फिर से हासिल करना चाहते हैं. इस कड़ी में उनके समक्ष कई चुनौतियां हैं.
एक तरफ जहां कई मुद्दों पर भाजपा से उनके सुर नहीं मिल रहे हैं. भाजपा के नेताओं-मंत्रियों के द्वारा लगातार बयानबाजी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष भी मौके की फिराक में बैठा है. ताबड़तोड़ हमले बोले जा रहे हैं. इस समय नीतीश कुमार के समक्ष एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति बनी हुई है. अगले साल 5 राज्यों में होने वाले विधासभा चुनाव को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है. यही कारण है कि संगठन को हर स्तर से मजबूत करने की तैयारी जदयू के नेता कर रहे हैं.
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