पटना: बिहार में जातीय गणना करवाने और आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बिल पास कराने के बाद जनता दल यूनाइटेड पहली बार शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है. दलित वोट बैंक को रिझाने के लिए 26 नवंबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भीम संसद का आयोजन पार्टी की ओर से किया जा रहा है. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. पूरे पटना शहर को पोस्टर से पाट दिया गया है. लेकिन, पोस्टर पर विवाद शुरू हो गया.
पोस्टर में इनको मिली जगहः कार्यक्रम को लेकर जो मुख्य पोस्टर लगाया गया है उसमें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की तस्वीर गायब कर दी गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की तस्वीर ही लगी है. जबकि राजनीति के जानकारों का मानना है कि पार्टी के कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की तस्वीर लगाई जाने की परंपरा होती है. हालांकि, एक जगह ललन सिंह की छोटे सी तस्वीर जरूर दिख रही है. लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ललन सिंह को प्रमुखता से स्थान दिया जाना चाहिए.
ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच मनमुटावः पोस्टर में मुख्य रूप से नीतीश कुमार का कटआउट है. दूसरी तरफ बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का भी कट आउट है. पोस्टर में नीतीश कुमार को बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के बारबर दिखाने की कोशिश की गयी है. इनके अलावा मुख्य रूप से अशोक चौधरी को जगह दी गयी. किसी किसी पोस्टर में गांधी जी, दशरथ मांझी और कर्पूरी ठाकुर को भी जगह मिली है. बता दें कि इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को दी गयी थी. कुछ दिन पहले अशोक चौधरी और ललन सिंह के बीच विवाद भी हुआ था. कयास लगाये जा रहे हैं कि, इन वजहों से भी ललन सिंह को पोस्टर से गायब कर दिया गया है.
पोस्टर विवाद पर भड़के जदयू नेताः वहीं, भाजपा ने पोस्टर में दलित नेताओं को कम जगह देने पर जदयू पर निशाना साधा है. पार्टी प्रवक्ता गुरु प्रकाश ने कहा कि नीतीश कुमार का दलित प्रेम दिखावा है. अखबारों में जो विज्ञापन छपी है उसमें कहीं भी दलित नेता की तस्वीर नहीं है. मंत्री सुनील कुमार और मंत्री रत्नेश सादा का नाम तो है लेकिन उनकी तस्वीर गायब है. जदयू के महासचिव हुलेश मांझी ने कहा है कि भाजपा के लोग बिना वजह राजनीति कर रहे हैं. पोस्टर में सभी नेताओं की तस्वीर लगी है. हमने दशरथ मांझी को भी सम्मान दिया है. कार्यकर्ताओं ने जो पोस्टर लगाए हैं उसमें तमाम बड़े नेताओं की तस्वीर है.
दलितों को रिझाने की कवायदः बता दें कि लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं. दलितों को अपने पक्ष में लाने के लिए भीम संसद का आयोजन किया जा रहा है. पार्टी की नजर 18% दलित वोट शेयर पर है. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को देखते हुए जदयू की ओर से बड़ा सम्मेलन का आयोजन किया गया है. पूरे बिहार में जदयू नेताओं ने दलितों के बीच जाने का काम किया था. भीम चौपाल लगायी गयी थी. कार्यक्रम के जरिए दलित को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू की गई थी. अब भीम संसद के जरिए नीतीश कुमार दलित सियासत को दिशा देने का काम करेंगे.
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