बेंगलुरु: हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा के खिलाफ अरेस्ट वारंट पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. यह अरेस्ट वारंट उस कंपनी के कर्मचारियों को धोखा देने के आरोप में जारी किया गया है, जिसमें वे ईपीएफ का पैसा न देकर भागीदार थे. न्यायमूर्ति सूरज गोविंदा राजू की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने रॉबिन उथप्पा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
रॉबिन उथप्पा के अरेस्ट वारंट पर रोक
सुनवाई के दौरान उथप्पा के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता रॉबिन उथप्पा सेंचुरीज लाइफ-स्टाइल ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी में भी भागीदार थे. हालांकि, उन्होंने 2020 में अपने भागीदार पद से इस्तीफा दे दिया था. इसलिए उन्हें मामले में पक्षकार नहीं बनाया जा सकता. इसलिए उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें जारी वसूली नोटिस और पुलकेशी नगर पुलिस द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द किया जाए. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने एफआईआर और रिकवरी नोटिस पर रोक लगाते हुए आदेश दिए.
क्या है पूरा मामला?
रॉबिन उथप्पा सेंचुरीज लाइफ-स्टाइल ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड में पार्टनर थे. इस कंपनी में काम करने वाले कई कर्मचारियों का ईपीएफ का पैसा नहीं दिया गया. आरोप था कि ईपीएफ का पैसा वेतन से काटकर कर्मचारियों के खातों में जमा नहीं किया गया और 23 लाख रुपए की ठगी की गई.
शिकायत के संबंध में ईपीएफ क्षेत्रीय अधिकारी शदाक्षरी गोपाल रेड्डी ने पत्र लिखकर रॉबिन उथप्पा के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने का अनुरोध किया था. उथप्पा ने इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले उन्होंने प्रेस रिलीज जारी कर इस बात को स्पष्ट किया था कि जिस कंपनी पर आरोप हैं, उसमें उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.