हैदराबाद: हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री के टी रामा राव (KTR) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है. याचिका में फॉर्मूला-ई रेस इवेंट के संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज मामले को खारिज करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और अंतरिम आदेशों को आगे बढ़ाते हुए केटीआर को अंतिम फैसले तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है.
सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) शासन के दौरान हस्ताक्षरित समझौते की वैधता पर सवाल उठाया. वकील ने आरोप लगाया कि आरबीआई के नियमों को दरकिनार करते हुए 46 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा में भुगतान किए गए.
उन्होंने आगे दावा किया कि 10 करोड़ रुपये से अधिक के किसी भी भुगतान के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी की आवश्यकता होती है, लेकिन 54 करोड़ रुपये बिना प्राधिकरण के वितरित किए गए.
'नियमों की अनदेखी की गई थी'
इसके अतिरिक्त, चुनाव संहिता लागू होने के बावजूद समझौता किया गया था और पेमेंट प्रक्रिया के दौरान व्यावसायिक नियमों की अनदेखी की गई थी. वकील ने उल्लेख किया कि केटीआर ने नगर प्रशासन मंत्री के रूप में अपनी क्षमता में भुगतान नोट पर हस्ताक्षर किए थे.जवाब में केटीआर के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने तर्क दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश के तहत एसीबी द्वारा लगाए गए आरोप लागू नहीं थे.
केटीआर को इस सौदे से कोई लाभ नहीं
उन्होंने जोर देकर कहा कि फॉर्मूला-ई रेस आयोजित करने के समझौते पर नगर प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव ने हस्ताक्षर किए थे, केटीआर ने नहीं. दवे ने आगे कहा कि केटीआर को इस सौदे से व्यक्तिगत रूप से कोई लाभ नहीं हुआ है और भ्रष्टाचार का कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. उन्होंने प्रासंगिक कानूनी मिसालों का हवाला देते हुए अदालत से एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया.
इसके बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और फैसला आने तक केटीआर को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. महाधिवक्ता ने कैश पेमेंट के दौरान पालन किए जाने वाले नियमों और शर्तों के बारे में दस्तावेज भी प्रस्तुत किए.
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