पटना: लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली विफलता के बाद बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष लगातार गायब हैं. राज्य में बड़े और गंभीर मुद्दों के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की ना तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर क्या फेल हो गए तेजस्वी?
बिखरा हुआ नजर आ रहा है विपक्ष
लोकसभा चुनाव के दरमियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार की खामियां गिनाते नहीं थकते थे. चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में सरकार की नाकामियां खूब गिनाते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम आया तो उन्हें विफलता हाथ लगी. इससे बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव भी दिख रहा है. एक ओर सत्तापक्ष अंदरूनी खींचतान के बावजूद एकजुट दिख रहा है. वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा है.
सरकार को घेरने की नहीं दिख रही रणनीति
बिहार में विधायकों की सदस्य की संख्या 243 है. जिसमें आरजेडी और कांग्रेस विधानसभा सदस्यों की सदस्यता देखी जाए तो इनके पास 107 सदस्य हैं. यानी 15 विधायक के हेर-फेर में सत्ताधारी गठबंधन मुश्किल में पड़ सकती है. हालांकि बड़े और गंभीर मुद्दे के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की न तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता का संदेश दे पा रहे हैं. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा गठबंधन के साथ क्यों हो रहा है?
मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर भी नहीं दिखे तेजस्वी
जून के महीने में चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में लगभग 175 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. वहीं हीट वेव से भी राज्य में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. लेकिन इतने बड़े मुद्दे होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अज्ञातवास में अपना समय बिताते रहे. उनके पार्टी के तरफ से नेताओं का लगातार बयान भी आता रहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना आएंगे तो सबसे पहले मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच का दौरा करेंगे. लेकिन ऐसा अब तक नहीं दिखा.
प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है बिहार
एक बार फिर बिहार प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है. सूबे के लगभग 12 जिले बाढ़ का जबरदस्त प्रकोप झेल रहे हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग 25 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. लोग पलायन को मजबूर हैं. लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अभी भी गायब हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या तेजस्वी यादव की नजर में इन समस्याओं का कोई मायने नहीं है.
मानसून सत्र में गायब रहे नेता प्रतिपक्ष
28 जून से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ. सत्र के दौरान सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान भी नेता प्रतिपक्ष सदन से लगातार गायब ही रहे. अभी तक नेता प्रतिपक्ष सत्र के दौरान सदन में मात्र 2 दिन ही आए और जल्द ही चले गए. लेकिन विपक्ष की क्या भूमिका होती है इसको लेकर न तो सरकार को घेरने की पहल की और न ही सरकार पर किसी तरह का अपना दबाव दिखाया. हालांकि पार्टी के अन्य विधायक सरकार पर हमेशा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी का क्या है कहना
मानसून सत्र के दौरान सदन से गायब तेजस्वी यादव को लेकर जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मनोस्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इतना साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद वो लीडरशिप क्वालिटी में बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी बताते हैं कि पब्लिक के समाधान के लिए राजनीति में 2 पद बहुत ही बड़े मायने रखते हैं. एक सरकार तो दूसरा विपक्ष का लेकिन यहां पर तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं. ऐसे नेता से क्या फायदा इसका कोई मतलब ही नहीं होता है कि वह प्रतिपक्ष का नेता बनने लायक ही नहीं हैं. यह अत्यंत दुखद है. जनतंत्र के लिए ये शुभ संकेत नहीं है.
'बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है'
सदन गायब चल रहे तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का मानना है कि बिहार में विपक्ष नाम की बड़ी गरिमा होती है. लेकिन जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष गायब चल रहे हैं लग रहा है कि बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है. बिहार में जिस तरह से चमकी बुखार से 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. अभी आधा बिहार बाढ़ के चपेट में है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष सरकार को घेरने की बजाय सदन से गायब हो गए हैं.
'तेजस्वी के अंदर अभी भी अनुभव की कमी'
संतोष कुमार ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अपने अस्तित्व की लड़ाई अपने पार्टी और परिवार के अंदर ही लड़ रहे हैं. क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद परिवार में जिस तरह से मीसा भारती और बड़े भाई तेजप्रताप यादव का दबाव है. वह लगातार परिवार से दूर चल रहे हैं. इसलिए वह सदन से लगातार गायब हो रहे हैं. विपक्ष की पद को लेकर लालू प्रसाद यादव को अब पार्टी के लिए कुछ सोचना चाहिए और विपक्ष का नेता किसी सीनियर लीडर को बनाना चाहिए. ताकि जनता की आवाज में सदन में और बाहर उठा सके. तेजस्वी यादव के अंदर अभी भी अनुभव की कमी है.