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सियासी विश्लेषण: क्या नेता प्रतिपक्ष के तौर पर फेल हो गए तेजस्वी?

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Published : Jul 21, 2019, 5:51 PM IST

राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी बताते हैं कि पब्लिक के समाधान के लिए राजनीति में 2 पद बहुत ही बड़े मायने रखते हैं. एक सरकार तो दूसरा विपक्ष का लेकिन यहां पर तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं.

तेजस्वी

पटना: लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली विफलता के बाद बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष लगातार गायब हैं. राज्य में बड़े और गंभीर मुद्दों के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की ना तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर क्या फेल हो गए तेजस्वी?

पटना से खास रिपोर्ट

बिखरा हुआ नजर आ रहा है विपक्ष
लोकसभा चुनाव के दरमियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार की खामियां गिनाते नहीं थकते थे. चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में सरकार की नाकामियां खूब गिनाते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम आया तो उन्हें विफलता हाथ लगी. इससे बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव भी दिख रहा है. एक ओर सत्तापक्ष अंदरूनी खींचतान के बावजूद एकजुट दिख रहा है. वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा है.

सरकार को घेरने की नहीं दिख रही रणनीति
बिहार में विधायकों की सदस्य की संख्या 243 है. जिसमें आरजेडी और कांग्रेस विधानसभा सदस्यों की सदस्यता देखी जाए तो इनके पास 107 सदस्य हैं. यानी 15 विधायक के हेर-फेर में सत्ताधारी गठबंधन मुश्किल में पड़ सकती है. हालांकि बड़े और गंभीर मुद्दे के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की न तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता का संदेश दे पा रहे हैं. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा गठबंधन के साथ क्यों हो रहा है?

मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर भी नहीं दिखे तेजस्वी
जून के महीने में चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में लगभग 175 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. वहीं हीट वेव से भी राज्य में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. लेकिन इतने बड़े मुद्दे होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अज्ञातवास में अपना समय बिताते रहे. उनके पार्टी के तरफ से नेताओं का लगातार बयान भी आता रहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना आएंगे तो सबसे पहले मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच का दौरा करेंगे. लेकिन ऐसा अब तक नहीं दिखा.

प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है बिहार
एक बार फिर बिहार प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है. सूबे के लगभग 12 जिले बाढ़ का जबरदस्त प्रकोप झेल रहे हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग 25 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. लोग पलायन को मजबूर हैं. लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अभी भी गायब हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या तेजस्वी यादव की नजर में इन समस्याओं का कोई मायने नहीं है.

मानसून सत्र में गायब रहे नेता प्रतिपक्ष
28 जून से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ. सत्र के दौरान सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान भी नेता प्रतिपक्ष सदन से लगातार गायब ही रहे. अभी तक नेता प्रतिपक्ष सत्र के दौरान सदन में मात्र 2 दिन ही आए और जल्द ही चले गए. लेकिन विपक्ष की क्या भूमिका होती है इसको लेकर न तो सरकार को घेरने की पहल की और न ही सरकार पर किसी तरह का अपना दबाव दिखाया. हालांकि पार्टी के अन्य विधायक सरकार पर हमेशा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी का क्या है कहना
मानसून सत्र के दौरान सदन से गायब तेजस्वी यादव को लेकर जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मनोस्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इतना साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद वो लीडरशिप क्वालिटी में बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी बताते हैं कि पब्लिक के समाधान के लिए राजनीति में 2 पद बहुत ही बड़े मायने रखते हैं. एक सरकार तो दूसरा विपक्ष का लेकिन यहां पर तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं. ऐसे नेता से क्या फायदा इसका कोई मतलब ही नहीं होता है कि वह प्रतिपक्ष का नेता बनने लायक ही नहीं हैं. यह अत्यंत दुखद है. जनतंत्र के लिए ये शुभ संकेत नहीं है.

'बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है'
सदन गायब चल रहे तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का मानना है कि बिहार में विपक्ष नाम की बड़ी गरिमा होती है. लेकिन जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष गायब चल रहे हैं लग रहा है कि बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है. बिहार में जिस तरह से चमकी बुखार से 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. अभी आधा बिहार बाढ़ के चपेट में है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष सरकार को घेरने की बजाय सदन से गायब हो गए हैं.

'तेजस्वी के अंदर अभी भी अनुभव की कमी'
संतोष कुमार ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अपने अस्तित्व की लड़ाई अपने पार्टी और परिवार के अंदर ही लड़ रहे हैं. क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद परिवार में जिस तरह से मीसा भारती और बड़े भाई तेजप्रताप यादव का दबाव है. वह लगातार परिवार से दूर चल रहे हैं. इसलिए वह सदन से लगातार गायब हो रहे हैं. विपक्ष की पद को लेकर लालू प्रसाद यादव को अब पार्टी के लिए कुछ सोचना चाहिए और विपक्ष का नेता किसी सीनियर लीडर को बनाना चाहिए. ताकि जनता की आवाज में सदन में और बाहर उठा सके. तेजस्वी यादव के अंदर अभी भी अनुभव की कमी है.

पटना: लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली विफलता के बाद बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष लगातार गायब हैं. राज्य में बड़े और गंभीर मुद्दों के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की ना तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर क्या फेल हो गए तेजस्वी?

पटना से खास रिपोर्ट

बिखरा हुआ नजर आ रहा है विपक्ष
लोकसभा चुनाव के दरमियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार की खामियां गिनाते नहीं थकते थे. चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में सरकार की नाकामियां खूब गिनाते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम आया तो उन्हें विफलता हाथ लगी. इससे बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव भी दिख रहा है. एक ओर सत्तापक्ष अंदरूनी खींचतान के बावजूद एकजुट दिख रहा है. वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा है.

सरकार को घेरने की नहीं दिख रही रणनीति
बिहार में विधायकों की सदस्य की संख्या 243 है. जिसमें आरजेडी और कांग्रेस विधानसभा सदस्यों की सदस्यता देखी जाए तो इनके पास 107 सदस्य हैं. यानी 15 विधायक के हेर-फेर में सत्ताधारी गठबंधन मुश्किल में पड़ सकती है. हालांकि बड़े और गंभीर मुद्दे के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की न तो कोई रणनीति दिख रही है और न ही एकजुटता का संदेश दे पा रहे हैं. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा गठबंधन के साथ क्यों हो रहा है?

मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर भी नहीं दिखे तेजस्वी
जून के महीने में चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में लगभग 175 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. वहीं हीट वेव से भी राज्य में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. लेकिन इतने बड़े मुद्दे होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अज्ञातवास में अपना समय बिताते रहे. उनके पार्टी के तरफ से नेताओं का लगातार बयान भी आता रहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना आएंगे तो सबसे पहले मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच का दौरा करेंगे. लेकिन ऐसा अब तक नहीं दिखा.

प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है बिहार
एक बार फिर बिहार प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है. सूबे के लगभग 12 जिले बाढ़ का जबरदस्त प्रकोप झेल रहे हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग 25 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. लोग पलायन को मजबूर हैं. लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अभी भी गायब हैं. सवाल उठ रहे हैं कि क्या तेजस्वी यादव की नजर में इन समस्याओं का कोई मायने नहीं है.

मानसून सत्र में गायब रहे नेता प्रतिपक्ष
28 जून से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ. सत्र के दौरान सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान भी नेता प्रतिपक्ष सदन से लगातार गायब ही रहे. अभी तक नेता प्रतिपक्ष सत्र के दौरान सदन में मात्र 2 दिन ही आए और जल्द ही चले गए. लेकिन विपक्ष की क्या भूमिका होती है इसको लेकर न तो सरकार को घेरने की पहल की और न ही सरकार पर किसी तरह का अपना दबाव दिखाया. हालांकि पार्टी के अन्य विधायक सरकार पर हमेशा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी का क्या है कहना
मानसून सत्र के दौरान सदन से गायब तेजस्वी यादव को लेकर जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मनोस्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इतना साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद वो लीडरशिप क्वालिटी में बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी बताते हैं कि पब्लिक के समाधान के लिए राजनीति में 2 पद बहुत ही बड़े मायने रखते हैं. एक सरकार तो दूसरा विपक्ष का लेकिन यहां पर तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं. ऐसे नेता से क्या फायदा इसका कोई मतलब ही नहीं होता है कि वह प्रतिपक्ष का नेता बनने लायक ही नहीं हैं. यह अत्यंत दुखद है. जनतंत्र के लिए ये शुभ संकेत नहीं है.

'बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है'
सदन गायब चल रहे तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का मानना है कि बिहार में विपक्ष नाम की बड़ी गरिमा होती है. लेकिन जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष गायब चल रहे हैं लग रहा है कि बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है. बिहार में जिस तरह से चमकी बुखार से 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. अभी आधा बिहार बाढ़ के चपेट में है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष सरकार को घेरने की बजाय सदन से गायब हो गए हैं.

'तेजस्वी के अंदर अभी भी अनुभव की कमी'
संतोष कुमार ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अपने अस्तित्व की लड़ाई अपने पार्टी और परिवार के अंदर ही लड़ रहे हैं. क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद परिवार में जिस तरह से मीसा भारती और बड़े भाई तेजप्रताप यादव का दबाव है. वह लगातार परिवार से दूर चल रहे हैं. इसलिए वह सदन से लगातार गायब हो रहे हैं. विपक्ष की पद को लेकर लालू प्रसाद यादव को अब पार्टी के लिए कुछ सोचना चाहिए और विपक्ष का नेता किसी सीनियर लीडर को बनाना चाहिए. ताकि जनता की आवाज में सदन में और बाहर उठा सके. तेजस्वी यादव के अंदर अभी भी अनुभव की कमी है.

Intro: लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली विफलता के बाद बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष लगातार गायब है, राज्य में बड़े और गंभीर मुद्दों के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की ना तो कोई रणनीति दिख रही है और ना ही एकजुटता ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर फेल हो गए तेजस्वी?


Body:पटना--- लोकसभा चुनाव के दरमियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार की खामियां गिनाते नहीं थकते थे, चुनाव प्रचार के दरमियान लोगों की सभाओं में सरकार की नाकामियां खूब दिन आते थे लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम आया तो उन्हें विफलता हाथ लगी इससे बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव भी दिख रहा है एक और सत्तापक्ष अंदरूनी खींचतान के बावजूद एकजुट दिख रहा है वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा है बिहार में विधायकों की सदस्य की संख्या 243 है जिस में आरजेडी और कांग्रेस विधानसभा सदस्यों की सदस्यता देखी जाए तो इनके पास आंकड़ा 107 के लगभग पहुंच जाता है यानी 15 विधायक हेर फेर में सत्ताधारी गठबंधन मुश्किल में पड़ सकती है

हालांकि बड़े और गंभीर मुद्दे के बावजूद विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की ना तो कोई रणनीति दिख रही है और ना ही एक जूता का संदेश दे पा रहे हैं अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा गठबंधन के साथ क्यों हो रहा है?

जून के महीने में चमचमाती धूप एवं गर्मी से चमकी बुखार मुजफ्फरपुर के आसपास इलाकों में अपना पांव पसार रहा था और सैकड़ों बच्चे इस बीमारी के चलते मौत के मुंह में चले गए थे लगभग 175 से अधिक बच्चों की मौत हो गई तो वही ही हीट वेव के चलते सैकड़ों लोगों की भी मौत हो गई ,लेकिन इतने बड़े मुद्दे होने के बावजूद बावजूद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अज्ञातवास में अपना समय बिताते रहे उनके पार्टी के तरफ से नेताओं का लगातार बयान भी आता रहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना आएंगे तो सबसे पहले मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच का दौरा भी करेंगे लेकिन ऐसा अब तक नहीं दिखा।

एक बार फिर बिहार प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है और लगभग 12 जिले बाढ़ का जबरदस्त प्रकोप झेल रहा है सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग 25 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और 80 लोगो की मौत हो चुकी है लोग पलायन को मजबूर हैं लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अभी भी गायब हैं जाहिर है सवाल उठ रहे हैं क्या तेजस्वी यादव की नजर बिहार के इन समस्याओं का कोई मायने नहीं रखता पूरे लोकसभा चुनाव के दरमियान तेजस्वी यादव सरकार पर आक्रामक अंदाज में सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे थे। और सरकार की खामियां भी लोगों को गिनाते नहीं थकते थे।

ऐसे में 28 जून से बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ सत्र के दौरान सदन में पक्ष विपक्ष में सरकार को घेरने की कोशिश की वजह नेता प्रतिपक्ष सदन से ही लगातार गायब हो रहे हैं अभी तक नेता प्रतिपक्ष विधानसभा सत्र के दौरान सदन में मात्र 2 दिन ही आए और चले गए लेकिन विपक्ष की क्या भूमिका होती है इसको लेकर ना तो सरकार को घेरने की पहल की और ना ही सरकार पर किसी तरह का अपना दबाव दिखाया हालांकि पार्टी के अन्य विधायक सरकार को हमेशा गिरते आ रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का इस्तीफा की मांग कर रहे हैं।

मानसून सत्र के दौरान सदन से गायब तेजस्वी यादव को लेकर जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मन इस स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद लीडरशिप क्वालिटी में बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहे हैं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को प्रतिपक्ष बैठने का कोई अधिकार नहीं बनता है।

नेता प्रतिपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव सदस्य को लेकर वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ एनके चौधरी बताते हैं कि पब्लिक के समाधान के लिए राजनीति में 2 पद बहुत ही बड़े मायने रखते हैं एक सरकार तो दूसरा विपक्ष का लेकिन यहां पर तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार सदन से गायब हैं ऐसे नेता से क्या फायदा इसका कोई मतलब ही नहीं होता है कि वह प्रतिपक्ष का नेता बने लायक नहीं यह अत्यंत दुखद है जनतंत्र के लिए य शुभ संकेत नहीं है। जो तथ्य सामने हैं विधानसभा मे सत्र बिना प्रतिपक्ष नेता का चल रहा हो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अनुपस्थित चल रहे हैं इसलिए तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं इसलिए आने वाले समय में उनके पार्टी को नुकसान होगा ही साथ ही जानते अंतरिक व्यवस्था का बहुत बड़ा नुकसान होगा।

आम लोगों की आवाज बनने के लिए संविधान के तहत नेता प्रतिपक्ष की बहुत बड़ी भूमिका होती है आम लोगों की आवाज बने इसको लेकर सदन में नेता प्रतिपक्ष का बड़ी भूमिका होती है वह अपने पक्ष में या पार्टी के पक्ष में कोई निर्णय लेते हैं वह जनता के लिए लाभ कारी होता है लेकिन सदन से गायब चल रहे नेता प्रतिपक्ष की पद को अच्छे से निभा नहीं रहे हैं इसलिए हो सकता है आने वाले समय में जनता उन्हें सबक भी सिखा देगी।


सदन गायब चल रहे तेजस्वी यादव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का मानना है कि बिहार में विपक्ष नाम की बड़ी गरिमा होती है लेकिन जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष गायब चल रहे हैं लग रहा है कि बिहार में विपक्ष नाम की कोई पद ही नहीं है बिहार में जिस तरह से चमकी बुखार से 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई आधा बिहार बाढ़ के चपेट में है लेकिन नेता प्रतिपक्ष को सरकार को घेरने के बदले वह सदन से गायब हो गए हैं।

नेता प्रतिपक्ष अपने अस्तित्व की लड़ाई अपने पार्टी और परिवार के अंदर ही लड़ रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद परिवार में जिस तरह से मीसा भारती बड़े भाई तेजप्रताप यादव का दबाव है वह लगातार परिवार से दूर चल रहे है इसलिए वह सदन से लगातार गायब हो रहे हैं। विपक्ष की पद को लेकर लालू प्रसाद यादव को अब पार्टी के लिए कुछ सोचना चाहिए और विपक्ष का नेता किसी सीनियर लीडर को बनाना चाहिए ताकि जनता की आवाज में सदन में और बाहर उठा सके। यदि बिहार में इतनी बड़ी घटना घटी होती और विपक्ष में बीजेपी होती तो वह सरकार को नाकों चने चबाना देती और सरकार कॉल सड़क से सदन तक जबरदस्त तरीके से घेरती।


गायब चल रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अंदर अभी भी अनुभव की कमी है क्योंकि बहुत कम ही समय में पार्टी का कमान संभाल चुके तेजस्वी यादव को एकाएक डिप्टी मुख्यमंत्री का पद मिला और उसके बाद नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया लेकिन उनके अंदर अभी भी अनुभव की कमी है क्योंकि यह सारे पद पर अनुभव लोगों को ही बताया जाता है ताकि वह जनता के कामों का सरकार के माध्यम से करवा सकें।

बाइट--- एन के चौधरी राजनीतिक विशेषज्ञ

बाइट--- संतोष कुमार वरिष्ठ पत्रकार।





Conclusion: हम आपको बता दें कि 28 जून से शुरू हुआ मानसून सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष सदन से लगातार गायब चल रहे हैं लगभग 22 दिन से अधिक समय बीत गया और नेता प्रतिपक्ष सदन के अंदर मात्र 2 दिन ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं अब आगे देखना है सत्र का 6 दिन चल रहा है और नेता प्रतिपक्ष इन 6 दिनों में कितनी बार सदन में आते हैं और सरकार को किस मुद्दे को लेकर सरकार को गिरते हैं वह तो देखने वाली ही बात होगी


ईटीवी भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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