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IPS आदित्य कुमार के विवादों से नाता पर कुंडली खंगालती यह रिपोर्ट पढ़ें

आईपीएस आदित्य कुमार को (Aditya Kumar Suspend) भले ही बिहार सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. उनकी गिरफ्तारी के लिए जाल भी बिछाया गया है. पर सच्चई यही है कि आदित्य कुमार का विवादों से गहरा नाता रहा है. उनकी कुंडली खंगालती यह रिपोर्ट पढ़ें...

IPS Aditya Kumar Etv Bharat
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Published : Oct 20, 2022, 12:20 PM IST

पटना : गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार (IPS Aditya Kumar) के द्वारा अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल से खुद पर लगे आरोप को खत्म करने को लेकर बिहार के डीजीपी को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर किए गए फोन के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई अब उनकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी भी कर रही है. यही नहीं विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस पूरे मामले में डीजीपी को अलग हटाकर एडीजी मुख्यालय इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में एसआईटी की भी गठन किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें - इस नटवरलाल से SP-DIG तो छोड़िए.. DGP भी खा गए गच्चा, जानिए श्री 420 की इनसाइड स्टोरी

आदित्य कुमार पर कई आरोप : दरअसल, अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 22 अगस्त को पहला फोन किया था. डीजीपी द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के दिन तक उनसे बातचीत होती रही. 15 अक्टूबर को दोपहर 3:00 बजे एफआईआर दर्ज कराई गई थी. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार का यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसको लेकर उनपर आरोप लगा है. एसपी से लेकर एसएसपी तक के सफर के दौरान उनपर कई दफे आरोप लग चुके है.


शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा : अगर गौर से देखा जाए तो आईपीएस आदित्य कुमार जहां भी पोस्टेड रहे (IPS Aditya Kumar Controversy) हैं वह वहां दागी रहे हैं. रोहतास में ट्रेनिंग पूरा करने के बाद दरभंगा के एसडीपीओ के रूप में पहली पोस्टिंग उन्हें मिली थी. यहां यह मुन्ना मुखिया के ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को 4 दिनों में सुलझा कर चर्चा में आ गए थे. लेकिन तुरंत एक शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा के बाद यह विवादों में आ गए. इस मामले में महिला के ससुर ने पुलिस मुख्यालय से लेकर कोर्ट तक लिखित शिकायत की थी. इसकी सुनवाई अभी भी कोर्ट में चल रही है.

IPS Aditya Kumar
आदित्य कुमार और अभिषेक.

जहानाबाद में एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप : 2015 में आदित्य कुमार को जहानाबाद के एसपी की जिम्मेदारी दी गई थी. तब उन पर एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगा था. वहां के स्थानीय बताते हैं कि कब्रिस्तान की जमीन को लेकर दो पक्षों में मतभेद चल रहा था. प्रशासन पर जमीन की एकपक्षीय नापी का आरोप लगा. एसपी के विरोध में पूरा जहानाबाद जल उठा. 4 दिन तक पूरे इलाके में तनाव पूर्ण माहौल रहा. बाद में वरीय पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था.


बेगूसराय में अष्टधातु की मूर्ति चोरी मामला : इसके बाद आदित्य कुमार का ट्रांसफर जहानाबाद से बेगूसराय किया गया. लेकिन यहां भी इनके विवादों से नाता नहीं टूटा. यहां अष्ट धातु की मूर्ति चोरी कर ली गई थी. उस मूर्ति को 4 दिनों के अंदर ही बरामद कर लिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि उस अष्टधातु की मूर्ति पर वहां के तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार पर दिल आ गया. उन्होंने बाजार से उसी तरह का मूर्ति मंगवा कर मंदिर में लगवा दी. जिसके बाद ग्रामीणों ने उनकी चोरी को पकड़ लिया, जिसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था.

जांच में खुलेगा DGP की मदद का राज : बिहार सरकार द्वारा गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद, पटना हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने बुधवार को डीजीपी एस.के. सिंघल के खिलाफ एक याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की. वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने हाई प्रोफाइल मामले की जांच की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की. उन्होंने आरोप लगाया कि डीजीपी रैंक के एक अधिकारी की इस हरकत ने पूरी न्यायपालिका की छवि खराब की है.

फोन कॉल पर DGP कैसे दे सकते हैं क्लीन चिट? : वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि चूंकि आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) डीजीपी सिंघल के अधीन आती है, इसलिए वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, हमें इस मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता है क्योंकि इस मामले ने न्यायपालिका की छवि खराब की है. मेरा मानना है कि डीजीपी रैंक का अधिकारी साइबर जालसाज के दबाव में आकर दागी आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को क्लीन चिट नहीं दे सकता. केवल फोन कॉल के आधार पर कोई डीजीपी उन्हें क्लीन चिट कैसे दे सकता है.

Controversy
नटवरलाल अभिषेक के साथ आदित्य कुमार.

DGP पर दबाव बनाने के लिए रची साजिश : इस मामले के बाद बिहार के गृह विभाग ने आदित्य कुमार को उसके दोस्त अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया है. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज शराब उल्लंघन मामले में क्लीन चिट दिलाने के लिए डीजीपी पर दबाव बनाने के लिए दोनों ने गहरी साजिश रची थी.

चीफ-जस्टिस बना DGP को कराए फोन : पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के रूप में अभिषेक अग्रवाल ने बिहार के डीजीपी को मुख्य न्यायाधीश के डीपी वाले फोन नंबर से 30 से अधिक कॉल किए थे. बिहार के डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट में आदित्य कुमार के खिलाफ उस मामले में गलत तथ्य की ओर इशारा किया था. नतीजतन, वह पुलिस मुख्यालय पटना में एआईजी में शामिल हो गए.

CM नीतीश के निर्देश पर दर्ज हुआ था FIR: 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार गया के एसएसपी थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर उन पर आईपीसी की धारा 353, 387, 419, 420, 467, 468, 120बी, 66सी और 66 के तहत फतेहपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. उनके अलावा फतेहपुर के एसएचओ संजय कुमार को भी सह आरोपी बनाया गया है.

आदित्य कुमार को क्लीन चिट कैसे? : आदित्य कुमार को क्लीन चिट देने के बाद मामले की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंची तो अधिकारियों को गड़बड़ी का संदेह हुआ. इसके बाद उन्होंने गहन जांच के लिए इसे ईओयू में ट्रांसफर कर दिया. ईओयू के अधिकारियों ने उन फोन नंबरों को स्कैन करने के लिए साइबर सेल के अधिकारियों का इस्तेमाल किया, जिनका इस्तेमाल बिहार के डीजीपी एसके सिंघल समिेत रिपोर्ट तैयार करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कॉल करने के लिए किया गया था.

इस नंबर का किया था इस्तेमाल: जांच में पता चला कि खाजेकलां से जारी वोडाफोन के दो नंबर 9709303397 और अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को फोन करने के लिए 9431602303 का इस्तेमाल किया था. उन्होंने इन दो नंबरों पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डीपी लगाई थी. कभी-कभी, अग्रवाल ने उन्हें संदेश भेजा और कहा कि वह व्यस्त हैं. डीजीपी ने उनसे फोन पर संपर्क करने के लिए व्हाट्सएप पर अपॉइंटमेंट लिया.

आदित्य-अभिषेक ने मिलकर वारदात की साजिश रची: पता चला कि पटना के ईओयू थाने में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि आदित्य कुमार ने अभिषेक अग्रवाल से पटना के बोरिंग रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में मिलकर वारदात की साजिश रची. तदनुसार, अभिषेक कुमार को मुख्य न्यायाधीश के रूप में पेश किया गया. ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पाया कि डीजीपी को फोन करने के लिए इस्तेमाल किए गए फोन नंबर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नहीं थे. नंबर को सर्विलांस में रखा गया और ईओयू अधिकारियों ने खूफिया तरीके से जाल बिछाकर अभिषेक अग्रवाल को पकड़ लिया.

सीरियल अपराधी है अभिषेक कुमार : पूछताछ के दौरान अग्रवाल ने एसएसपी आदित्य कुमार के साथ पिछले चार साल से करीबी संबंध होने की बात कबूल की. उन्होंने आदित्य कुमार को उनके खिलाफ दर्ज मामले में क्लीन चिट देने की योजना बनाई थी. अभिषेक कुमार सीरियल अपराधी है. उन पर नई दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भी केस नंबर 43/2021 दर्ज किया गया था. उस मामले में, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री सचिव साकेत सिंह के रूप में पेश किया और एमसीडी के एमडी को धमकी दी. उन्हें पांच दिन के लिए तिहाड़ जेल भी भेजा गया था.

SHO को धमकाने, रंगदारी मांगने का भी आरोप: अभिषेक अग्रवाल ने आईपीएस अधिकारी सौरव शाह के पिता से भी 1 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी. उनके खिलाफ भागलपुर जिले के कहलगांव थाने में भी आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. उन पर 2015 में एसके पुरी थाना पटना के एसएचओ को धमकाने का भी आरोप है.

पटना : गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार (IPS Aditya Kumar) के द्वारा अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल से खुद पर लगे आरोप को खत्म करने को लेकर बिहार के डीजीपी को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनकर किए गए फोन के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई अब उनकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी भी कर रही है. यही नहीं विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस पूरे मामले में डीजीपी को अलग हटाकर एडीजी मुख्यालय इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में एसआईटी की भी गठन किया जा सकता है.

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आदित्य कुमार पर कई आरोप : दरअसल, अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 22 अगस्त को पहला फोन किया था. डीजीपी द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के दिन तक उनसे बातचीत होती रही. 15 अक्टूबर को दोपहर 3:00 बजे एफआईआर दर्ज कराई गई थी. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार का यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसको लेकर उनपर आरोप लगा है. एसपी से लेकर एसएसपी तक के सफर के दौरान उनपर कई दफे आरोप लग चुके है.


शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा : अगर गौर से देखा जाए तो आईपीएस आदित्य कुमार जहां भी पोस्टेड रहे (IPS Aditya Kumar Controversy) हैं वह वहां दागी रहे हैं. रोहतास में ट्रेनिंग पूरा करने के बाद दरभंगा के एसडीपीओ के रूप में पहली पोस्टिंग उन्हें मिली थी. यहां यह मुन्ना मुखिया के ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को 4 दिनों में सुलझा कर चर्चा में आ गए थे. लेकिन तुरंत एक शादीशुदा महिला के साथ अफेयर की चर्चा के बाद यह विवादों में आ गए. इस मामले में महिला के ससुर ने पुलिस मुख्यालय से लेकर कोर्ट तक लिखित शिकायत की थी. इसकी सुनवाई अभी भी कोर्ट में चल रही है.

IPS Aditya Kumar
आदित्य कुमार और अभिषेक.

जहानाबाद में एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप : 2015 में आदित्य कुमार को जहानाबाद के एसपी की जिम्मेदारी दी गई थी. तब उन पर एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगा था. वहां के स्थानीय बताते हैं कि कब्रिस्तान की जमीन को लेकर दो पक्षों में मतभेद चल रहा था. प्रशासन पर जमीन की एकपक्षीय नापी का आरोप लगा. एसपी के विरोध में पूरा जहानाबाद जल उठा. 4 दिन तक पूरे इलाके में तनाव पूर्ण माहौल रहा. बाद में वरीय पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था.


बेगूसराय में अष्टधातु की मूर्ति चोरी मामला : इसके बाद आदित्य कुमार का ट्रांसफर जहानाबाद से बेगूसराय किया गया. लेकिन यहां भी इनके विवादों से नाता नहीं टूटा. यहां अष्ट धातु की मूर्ति चोरी कर ली गई थी. उस मूर्ति को 4 दिनों के अंदर ही बरामद कर लिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि उस अष्टधातु की मूर्ति पर वहां के तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार पर दिल आ गया. उन्होंने बाजार से उसी तरह का मूर्ति मंगवा कर मंदिर में लगवा दी. जिसके बाद ग्रामीणों ने उनकी चोरी को पकड़ लिया, जिसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था.

जांच में खुलेगा DGP की मदद का राज : बिहार सरकार द्वारा गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद, पटना हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने बुधवार को डीजीपी एस.के. सिंघल के खिलाफ एक याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की. वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने हाई प्रोफाइल मामले की जांच की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की. उन्होंने आरोप लगाया कि डीजीपी रैंक के एक अधिकारी की इस हरकत ने पूरी न्यायपालिका की छवि खराब की है.

फोन कॉल पर DGP कैसे दे सकते हैं क्लीन चिट? : वकील मणि भूषण प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि चूंकि आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) डीजीपी सिंघल के अधीन आती है, इसलिए वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, हमें इस मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता है क्योंकि इस मामले ने न्यायपालिका की छवि खराब की है. मेरा मानना है कि डीजीपी रैंक का अधिकारी साइबर जालसाज के दबाव में आकर दागी आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को क्लीन चिट नहीं दे सकता. केवल फोन कॉल के आधार पर कोई डीजीपी उन्हें क्लीन चिट कैसे दे सकता है.

Controversy
नटवरलाल अभिषेक के साथ आदित्य कुमार.

DGP पर दबाव बनाने के लिए रची साजिश : इस मामले के बाद बिहार के गृह विभाग ने आदित्य कुमार को उसके दोस्त अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया है. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज शराब उल्लंघन मामले में क्लीन चिट दिलाने के लिए डीजीपी पर दबाव बनाने के लिए दोनों ने गहरी साजिश रची थी.

चीफ-जस्टिस बना DGP को कराए फोन : पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के रूप में अभिषेक अग्रवाल ने बिहार के डीजीपी को मुख्य न्यायाधीश के डीपी वाले फोन नंबर से 30 से अधिक कॉल किए थे. बिहार के डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट में आदित्य कुमार के खिलाफ उस मामले में गलत तथ्य की ओर इशारा किया था. नतीजतन, वह पुलिस मुख्यालय पटना में एआईजी में शामिल हो गए.

CM नीतीश के निर्देश पर दर्ज हुआ था FIR: 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार गया के एसएसपी थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर उन पर आईपीसी की धारा 353, 387, 419, 420, 467, 468, 120बी, 66सी और 66 के तहत फतेहपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. उनके अलावा फतेहपुर के एसएचओ संजय कुमार को भी सह आरोपी बनाया गया है.

आदित्य कुमार को क्लीन चिट कैसे? : आदित्य कुमार को क्लीन चिट देने के बाद मामले की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंची तो अधिकारियों को गड़बड़ी का संदेह हुआ. इसके बाद उन्होंने गहन जांच के लिए इसे ईओयू में ट्रांसफर कर दिया. ईओयू के अधिकारियों ने उन फोन नंबरों को स्कैन करने के लिए साइबर सेल के अधिकारियों का इस्तेमाल किया, जिनका इस्तेमाल बिहार के डीजीपी एसके सिंघल समिेत रिपोर्ट तैयार करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कॉल करने के लिए किया गया था.

इस नंबर का किया था इस्तेमाल: जांच में पता चला कि खाजेकलां से जारी वोडाफोन के दो नंबर 9709303397 और अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को फोन करने के लिए 9431602303 का इस्तेमाल किया था. उन्होंने इन दो नंबरों पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डीपी लगाई थी. कभी-कभी, अग्रवाल ने उन्हें संदेश भेजा और कहा कि वह व्यस्त हैं. डीजीपी ने उनसे फोन पर संपर्क करने के लिए व्हाट्सएप पर अपॉइंटमेंट लिया.

आदित्य-अभिषेक ने मिलकर वारदात की साजिश रची: पता चला कि पटना के ईओयू थाने में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि आदित्य कुमार ने अभिषेक अग्रवाल से पटना के बोरिंग रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में मिलकर वारदात की साजिश रची. तदनुसार, अभिषेक कुमार को मुख्य न्यायाधीश के रूप में पेश किया गया. ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पाया कि डीजीपी को फोन करने के लिए इस्तेमाल किए गए फोन नंबर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नहीं थे. नंबर को सर्विलांस में रखा गया और ईओयू अधिकारियों ने खूफिया तरीके से जाल बिछाकर अभिषेक अग्रवाल को पकड़ लिया.

सीरियल अपराधी है अभिषेक कुमार : पूछताछ के दौरान अग्रवाल ने एसएसपी आदित्य कुमार के साथ पिछले चार साल से करीबी संबंध होने की बात कबूल की. उन्होंने आदित्य कुमार को उनके खिलाफ दर्ज मामले में क्लीन चिट देने की योजना बनाई थी. अभिषेक कुमार सीरियल अपराधी है. उन पर नई दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भी केस नंबर 43/2021 दर्ज किया गया था. उस मामले में, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री सचिव साकेत सिंह के रूप में पेश किया और एमसीडी के एमडी को धमकी दी. उन्हें पांच दिन के लिए तिहाड़ जेल भी भेजा गया था.

SHO को धमकाने, रंगदारी मांगने का भी आरोप: अभिषेक अग्रवाल ने आईपीएस अधिकारी सौरव शाह के पिता से भी 1 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी. उनके खिलाफ भागलपुर जिले के कहलगांव थाने में भी आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. उन पर 2015 में एसके पुरी थाना पटना के एसएचओ को धमकाने का भी आरोप है.

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