पटनाः पद्मभूषण रामविलास पासवान की आज 76वीं जयंती है. आज वैशाली जिले के हाजीपुर के बाबा चौहरमल नगर में उनकी 6 फीट की आदमकद प्रतिमा का अनावरण (Inauguration of Ram Vilas Paswan Statue In Hajipur) किया जाएगा. कार्यक्रम का आयोजन एलजेपीआर की तरफ से किया जाएगा, जहां सभी पार्टी के नेताओं और मंत्रियों को अमंत्रित किया गया है. रामविलास पासवान के पुत्र चिराग ने कहा कि पार्टी के लिए यह बड़ा दिन है, पुत्र होने के नाते मेरे लिए भावुक दिन है, कार्यक्रम में परिवार के सभी लोग मौजूद रहेंगे.
ये भी पढ़ें: रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि पर बोले चिराग- 'पिता को मिले भारत रत्न'
74 वर्ष की उम्र में 2020 में हुआ निधनः दरअसल दलितों के मसीहा कहे जाने वाले रामविलास पासवान का आज जन्मदिन है. बिहार में जन्मे रामविलास पासवान को राजनीति का ऐसा बेताज बादशाह माना जाता था कि उन्हें राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' तक बोला जाता था. रामविलास पासवान का 74 वर्ष की उम्र में 08 अक्टूबर 2020 में उनका निधन हो गया थाा. अपने मिलनसार स्वभाव के कारण वह हर राजनीतिक खांचे में फिट बैठ जाते थे. रामविलास पासवान को सियासत विरासत में नहीं मिली थी, बल्कि अपनी काबिलित से उन्होंने हासिल की थी. जयप्रकाश नारायण आंदोलन के दौरान वह तेजी से बिहार की सियासत में उभरे थे.
1969 में डीएसपी के पद पर भी हुआ था चयनः राम विलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले में हुआ था. तीन भाइयों में सबसे बड़े राम विलास पासवान बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार थे. बिहार की प्रशासनिक सेवा की परीक्षा करने के बाद रामविलास पासवान 1969 में डीएसपी बनाए गए. साल 2016 में एक कार्यक्रम में राम विलास पासवान ने खुद बताया था कि वह राजनीति में कैसे आए. उन्होंने कहा था कि 1969 में डीएसपी के अलावा जब वे एमएलए चुने गए तो एक मित्र ने उनसे पूछा कि Govt (सरकार) बनना है या Servant (नौकर)?. बस इसी बात पर मैं राजनीति में आ गया.
1969 में पहली बार बने विधायकः रामविलास 1969 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे. वे खगड़िया जिले की सुरक्षित सीट अलौती से चुनाव लड़े और जीत भी दर्ज की. बिहार के अलोली सीट से उपचुनाव लड़कर उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता को मात दी और उस समय उनकी आयु सिर्फ 23 वर्ष की थी. यहीं से उनका सियासी करियर शुरू हुआ. इसके बाद 1977 में उन्होंने ऐसा रिकार्ड बनाया जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित हो गया. उन्होंने हाजीपुर से 4.25 लाख मतों से जीत हासिल की तथा अपना ही रिकॉर्ड उन्होंने 1989 में तोड़ दिया जब 5.05 लाख वोटों से जीत हासिल की.
6 प्रधानमंत्रियों के साथ किया काम कामः रामविलास पासवान अपने सियासी करियर में 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. पहली बार वो 1989 में वीपी सिंह की सरकार में मंत्री बने थे. दूसरी बार 1996 में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में वो रेल मंत्री बने थे. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रामविलास पासवान संचार मंत्री थे. 2004 में वो यूपीए से जुड़े और मनमोहन सरकार में रसायन मंत्री बने थे. 2014 में एनडीए में शामिल हुए और नरेंद्र मोदी की सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री बने. मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में वापसी होने पर भी मंत्री बने.
जब पासवान ने कहा था पीएम मोदी से डर लगता हैः बात नवंबर 2019 की है. जब अरूण जेटली की श्रद्धांजलि सभा में रामविलास पासवान ने कहा था कि पीएम मोदी से उन्हें डर लगता है, कोई बात कहने में झिझक होती है. दरअसल, अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्किंग स्टाइल की पासवान तुलना कर रहे थे. उसी वक्त उन्होंने कहा कि 'हमलोगों डर के मारे प्रधानमंत्री मंत्री जी से कोई बात साफ-साफ... श्रद्धा की वजह से नहीं कह पाते थे' इसके बाद भी बहुत कुछ कहा था. तब पासवान का ये बयान मीडिया में सुर्खियां बनी थी.
ये भी पढ़ेंः सरकारी बंगले में राम विलास पासवान की लगाई मूर्ति, अब क्या करेंगे रेल मंत्री ?