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बाढ़ में सबकुछ गवां चुके परिवारों को, 'सिर पर छांव और दो वक्त के भोजन की दरकार'

राजधानी पटना के धनरूआ प्रखंड के लोग बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. कई परिवारों का बाढ़ के चलते घर जमींदोज हो गया है. इन परिवारों को सिर पर छांव और पेट भरने के लिए दो वक्त के राशन की दरकार है.

सिर पर छांव
सिर पर छांव
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Published : Aug 12, 2021, 9:44 PM IST

पटना: बिहार में हो रही बारिश से जनजीवन प्रभावित है. राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों (Rural Areas of Patna) में रहने वाले गरीब परिवारों के सामने आशियाने और खाने के लिए तरस रहे हैं. धनरूआ में बाढ़ से (Flood) इस बार सैकड़ों परिवारों का आशियाना जमींदोज हो चुका है. ये परिवार पॉलिथीन टांग कर किसी तरह से गुजर-बसर करने को विवश हैं. सरकार से बाढ़ पीड़ित परिवार खाने और आशियाने की मांग कर रहा है. लेकिन सुशासन बाबू के अधिकारियों को इनका दुख-दर्द सुनने का समय ही नहीं है.

ये भी पढ़ें- गंगा की चपेट में आया आशियाना, मवेशियों संग पलायन को मजबूर हुए लोग, 1500 बाढ़ पीड़ित फंसे

बाढ़ से इस बार धनरूआ प्रखंड के तकरीबन 19 पंचायतों में सैकड़ों परिवारों का आशियाना उजड़ चुका है. हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. घर गिरने के बाद ये परिवार ठीक से अपना दर्द भी नहीं बता पा रहे हैं. इनके सामने अब पेट भरने की चुनौती है. सरकार ने बाढ़ पीड़ितोंं को बड़ी मुश्किल से पॉलिथीन उपलब्ध करवायी है. जिसके नीचे किसी तरह ये जीवन गुजर रहे हैं. लेकिन इन्हें खाद्य सामग्री की दरकार है. जिसके लिए लगातार ये गुहार लगा रहे हैं.

देखें वीडियो

किसी तरह गिरे हुए घर की लटकी दीवारों पर जान जोखिम में डालकर पॉलिथीन टांगकर रह रहे परिवार अब दाने-दाने के लिए मोहताज हैं. इनके लिए दो वक्त का राशन जुटाना संभव नहीं है. ऐसे में मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करना टेढ़ी खीर है.

ये भी पढ़ें- ऐसे रहे हालात तो टूट सकता है 2016 में आयी बाढ़ का रिकॉर्ड, संकट में लाखों लोगों की जिंदगी

पीड़ित परिवारों ने सरकार से मांग की है कि इनके टूटे हुए आशियाने का निर्माण कराया जाये और राशन पानी उपलब्ध कराया जाये. जिससे इस संकट की घड़ी में किसी तरह जीवन-यापन किया जा सके. हर साल की तरह इस साल भी बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. सवाल ये उठता है कि आखिर बाढ़ से कब तक बिहार की एक बड़ी आबादी जूझती रहेगी. हर साल लोगों को उम्मीद बंधती है कि बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगी और जिंदगी की जंग खत्म होगी. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है.

पटना: बिहार में हो रही बारिश से जनजीवन प्रभावित है. राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों (Rural Areas of Patna) में रहने वाले गरीब परिवारों के सामने आशियाने और खाने के लिए तरस रहे हैं. धनरूआ में बाढ़ से (Flood) इस बार सैकड़ों परिवारों का आशियाना जमींदोज हो चुका है. ये परिवार पॉलिथीन टांग कर किसी तरह से गुजर-बसर करने को विवश हैं. सरकार से बाढ़ पीड़ित परिवार खाने और आशियाने की मांग कर रहा है. लेकिन सुशासन बाबू के अधिकारियों को इनका दुख-दर्द सुनने का समय ही नहीं है.

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बाढ़ से इस बार धनरूआ प्रखंड के तकरीबन 19 पंचायतों में सैकड़ों परिवारों का आशियाना उजड़ चुका है. हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. घर गिरने के बाद ये परिवार ठीक से अपना दर्द भी नहीं बता पा रहे हैं. इनके सामने अब पेट भरने की चुनौती है. सरकार ने बाढ़ पीड़ितोंं को बड़ी मुश्किल से पॉलिथीन उपलब्ध करवायी है. जिसके नीचे किसी तरह ये जीवन गुजर रहे हैं. लेकिन इन्हें खाद्य सामग्री की दरकार है. जिसके लिए लगातार ये गुहार लगा रहे हैं.

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किसी तरह गिरे हुए घर की लटकी दीवारों पर जान जोखिम में डालकर पॉलिथीन टांगकर रह रहे परिवार अब दाने-दाने के लिए मोहताज हैं. इनके लिए दो वक्त का राशन जुटाना संभव नहीं है. ऐसे में मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करना टेढ़ी खीर है.

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पीड़ित परिवारों ने सरकार से मांग की है कि इनके टूटे हुए आशियाने का निर्माण कराया जाये और राशन पानी उपलब्ध कराया जाये. जिससे इस संकट की घड़ी में किसी तरह जीवन-यापन किया जा सके. हर साल की तरह इस साल भी बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. सवाल ये उठता है कि आखिर बाढ़ से कब तक बिहार की एक बड़ी आबादी जूझती रहेगी. हर साल लोगों को उम्मीद बंधती है कि बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगी और जिंदगी की जंग खत्म होगी. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है.

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