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पटना: लोग धूमधाम से मना रहे हैं होलिका दहन, उपला और बेसन की बरी की आहुति देने की है परंपरा

होली रंगों का त्योहार है. एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. फागुन मास के पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा है.

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Published : Mar 9, 2020, 9:18 PM IST

पटना: होली को लेकर पूरे देश में लोगों में काफी उत्साह रहता है. इससे पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. राजधानी के एग्जीबिशन रोड में मारवाड़ी समाज की तरफ से किया जाना वाला होलिका दहन खास होता है. मारवाड़ी समाज के पुरुष और महिलाएं अपने घरों से बने पकवान के साथ यहां पूजा करने पहुंचते हैं.

होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाएगा. सभी तरह के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. मान्यता है कि होलिका दहन में नए अनाज की आहुति देनी चाहिए. गेहूं, चने की बालियां गन्ने में बांधकर होलिका में भूनने की परंपरा है. ये परंपरा मारवाड़ी समाज में खासकर देखने को मिलता है. इस दिन मारवाड़ी समाज के लोग होलिका का पूजा पाठ करने के बाद होलिका परिक्रमा भी करते हैं.

होलिका दहन करते मारवाड़ी समाज

ये भी पढ़ें: पटना में PNB बैंक लूटने की योजना नाकाम, अलार्म बजते ही भागे बदमाश

पूर्णिमा के दिन होता है होलिका दहन
बता दें कि होली रंगों का त्योहार है. एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. फागुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा है. वहीं, मारवाड़ी समाज में होलिका दहन के दौरान उपले और बेसन की बनाई बरी की आहुति देने की परंपरा है.

पटना: होली को लेकर पूरे देश में लोगों में काफी उत्साह रहता है. इससे पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. राजधानी के एग्जीबिशन रोड में मारवाड़ी समाज की तरफ से किया जाना वाला होलिका दहन खास होता है. मारवाड़ी समाज के पुरुष और महिलाएं अपने घरों से बने पकवान के साथ यहां पूजा करने पहुंचते हैं.

होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाएगा. सभी तरह के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. मान्यता है कि होलिका दहन में नए अनाज की आहुति देनी चाहिए. गेहूं, चने की बालियां गन्ने में बांधकर होलिका में भूनने की परंपरा है. ये परंपरा मारवाड़ी समाज में खासकर देखने को मिलता है. इस दिन मारवाड़ी समाज के लोग होलिका का पूजा पाठ करने के बाद होलिका परिक्रमा भी करते हैं.

होलिका दहन करते मारवाड़ी समाज

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पूर्णिमा के दिन होता है होलिका दहन
बता दें कि होली रंगों का त्योहार है. एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. फागुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा है. वहीं, मारवाड़ी समाज में होलिका दहन के दौरान उपले और बेसन की बनाई बरी की आहुति देने की परंपरा है.

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