पटना: राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है पटना हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से अगली सुनवाई में इस बाबत जानकारी मांगी है. एसीजे जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस जीतेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.
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HC में लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव मामले की सुनवाई: कोर्ट ने बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है. कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइडलाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है.
पूर्व में दाखिले पर लगायी गई थी रोक: बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है. इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी. पूर्व में हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी. बाद में इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी थी.
28 फरवरी को अगली सुनवाई: हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दाखिला सिर्फ 2021-22 सत्र के लिए ही होगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले साल के सत्र के लिए बीसीआई से फिर मंजूरी लेनी होगी. उस समय कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश देते हुए कहा था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई है, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जायेगा. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा कोर्ट में उपस्थित थे. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी,2023 को फिर की जाएगी.