पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र की बेरुखी से नाराज हैं. भागीदारी नहीं मिलने से नीतीश ने एक दिन बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया और अपनी पार्टी के 8 विधायकों को मंत्री बना दिया. मंत्रिमंडल विस्तार में नीतीश ने भाजपा को पूरी तरह अलग-थलग रखा. इधर महागठबंधन के घटक दल जीतन राम मांझी और नीतीश की नजदीकियां भी दावत-ए-इफ्तार के बहाने बढ़ रही हैं.
नीतीश कुमार को लेकर हम पार्टी के सुर भी बदले-बदले से हैं. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि इफ्तार में नेता एक दूसरे को बुलाते हैं और मिलते भी हैं, लेकिन जिस तरीके से भाजपा ने नीतीश कुमार के साथ मंत्रिमंडल विस्तार में सौतेला व्यवहार किया. उससे हम पार्टी को लगता है कि मंत्रिमंडल विस्तार में बिहार की उपेक्षा हुई है.
जेडीयू की सफाई
वहीं, बिहार सरकार के जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि दावत-ए-इफ्तार का कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं हैं. नेता एक दूसरे के यहां सौहार्दपूर्ण माहौल में जाते हैं. नीरज कुमार ने कहा कि यह समय नहीं है कि ऐसे मौकों पर भी राजनीति की जाए.
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद दावत ने बदले सियासी रंग
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं मिलने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार कर बीजेपी को झटका दिया. जिसके बाद दावत-ए-इफ्तार का दौर शुरू हुआ. पहले जेडीयू की इफ्तार पार्टी में जीतनराम मांझी पहुंचे तो वहीं बाद में हम की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार पहुंचे. जिसके बाद राजनीतिक गलियारे में नीतीश और मांझी के राजनीतिक रिश्ते के सुधरने की सुगबुगाहट शुरू हो गई.