पटनाः 19 जून से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. आषाढ़ मास में की नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है. आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी के बीच के काल को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्र आता है. जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है. ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है.
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कलश स्थापनः आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि आषाढ़ माह के प्रतिपदा तिथि 18 जून को रात्रि 10:06 पर शुरू होगी. अगले दिन 19:00 जून को सुबह 11:30 तक रहेगी. इस गुप्त नवरात्रि का कलश स्थापन सुबह 5:00 बजकर 20 मिनट से लेकर 7:20 तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. हालांकि कलश स्थापन सुबह से लेकर दोपहर तक किया जा सकता है.
पूजा विधिः 19 जून यानी सोमवार से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होकर 28 जून को समाप्ति होगी. यह गुप्त नवरात्रि विशेष तांत्रिक क्रियाए, शक्ति साधनाए, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है. इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं. इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. कठिन साधना ना कर सकने वाले साधक मात्र मां दुर्गा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ कर पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं.
9 दिनों का उपवासः मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करना चाहिए. इन दिनों कई साधक महाविद्या के लिए महाकाली तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, माता त्रिपुर, भैरवी मां, धूमावती माता, बगलामुखी माता की और कमला देवी का पूजन करते हैं. इस दौरान 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए.
"19 जून से गुप्त नवरात्र शुरु हो रहा है. सुबह के 5ः20 बजे से 7ः20 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त है. दोपहर तक भी कलश स्थापित किया जा सकता है. 28 जून को गुप्त नवरात्र संपन्न होगा. इन 9 दिनों पूजा पाठ का विशेष महत्व है." -रामा शंकर दुबे, आचार्य