पटना: हाल में बिहार कैबिनेट ने संविदा पर काम करने वाले कर्मियों को लेकर एक संकल्प जारी किया. जिसमें संविदा कर्मियों की सेवा शर्त और उनके संविदा से जुड़े कुछ नियमों को स्पष्ट किया गया है. एक तो बिहार में पहले ही नियमित बहाली की प्रक्रिया लगभग खत्म होने के कगार पर है. सरकार के इस नए संकल्प से सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब नियमित नौकरी की जगह सिर्फ संविदा पर ही नौकरी लोगों को मिलेगी.
सरकार ने जारी किया नया संकल्प
बिहार में रोजगार और नौकरी वर्तमान में सबसे बड़ा मुद्दा है. बिहार में नौकरी की बात आते ही सबसे बड़ा सवाल संविदा पर नौकरी का आता है. बिहार के लगभग सभी कार्यालयों में लाखों की संख्या में संविदा पर लोग काम कर रहे हैं. जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं. संविदा कर्मियों की सेवा शर्त को लेकर सरकार ने कुछ साल पहले एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी.
जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने संविदा कर्मियों की सेवा शर्त बेहतर करने का दावा किया है. इसी सेवा शर्त को लेकर सरकार ने नया संकल्प जारी किया. जिसमें यह कहा गया कि इन संविदा कर्मियों को अब कई सुविधाएं मिलेंगी.
पदों को भरने का नहीं चल रहा काम
बिहार के विभिन्न विभागों में काम कर रहे करीब 10 लाख संविदा कर्मियों को लेकर जिस तरह से सरकार ने संकल्प जारी किया है. उस पर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. विशेष तौर पर उस स्थिति में जब पिछले करीब 7 साल से बिहार में नियमित बहाली करीब-करीब ठप है. अगर चुनिंदा बीपीएससी और सिपाही भर्ती को छोड़ दें, तो बिहार कर्मचारी चयन आयोग और बिहार तकनीकी सेवा आयोग की ओर से ग्रुप सी और डी के पदों को भरने को लेकर कोई ठोस काम नहीं हो रहा है.
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शिक्षक भी लगातार कर रहे हैं आंदोलन
बिहार में आए दिन ना सिर्फ बेरोजगार बल्कि टेट और सीटेट पास शिक्षक अभ्यर्थी भी आंदोलन कर रहे हैं कि उन्हें नौकरी कब मिलेगी और इधर बिहार सरकार का पूरा जोर संविदा पर बहाली पर है. इसे लेकर शिक्षाविद सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक बिहार में नियमित रोजगार की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक पलायन नहीं रुकेगा. बिहार की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होगा.
शिक्षाविद डीएम दिवाकर कहते हैं कि अगर युवाओं को अपने भविष्य की सुरक्षा नहीं मिलेगी तो वह बिहार में क्यों रहेंगे. सरकार को बिहार की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सबसे पहले हर हाथ को काम और ज्यादा से ज्यादा स्थाई रोजगार की व्यवस्था करनी होगी.
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आरजेडी ने भी खड़े किए सवाल
राष्ट्रीय जनता दल ने भी संविदा को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं और पूछा कि युवाओं के भविष्य को चौपट करने में क्यों लगी है सरकार. राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि चुनाव में तो राजद के 10 लाख नौकरी के जवाब में एनडीए ने 20 लाख रोजगार का वादा कर दिया. लेकिन उस वादे को पूरा करने की कोई ना तो तैयारी है और ना ही कोई योजना नजर आ रही है.
सरकार को करनी चाहिए स्थाई रोजगार की व्यवस्था
राजद नेता ने सवाल उठाया है कि संविदा पर नौकरी युवाओं के लिए मजबूरी का सौदा हो सकता है. युवाओं को नौकरी पसंद नहीं हो सकती या इससे युवाओं का भला नहीं हो सकता. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार को स्थाई रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए. हालांकि एनडीए नेता विपक्ष के इस संदेश को सिरे से नकार रहे हैं. भाजपा नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता रोजगार मुहैया कराने की है. इसके लिए विभिन्न तरीके के उपाय किए जा रहे हैं. चाहे वह आत्मनिर्भर बनाने की बात हो. संविदा पर देने की बात हो. या फिर नियमित बहाली. हर तरीके से सरकार रोजगार दे रही है.
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सेवा शर्तों को किया गया बेहतर
जदयू नेता अभिषेक झा ने कहा कि संविदा कर्मियों की सेवा शर्तों को बेहतर किया गया है. नियमित रोजगार भी सरकार दे रही है. इस पर कहीं से कोई रोक नहीं है. जदयू नेता ने कहा कि विपक्ष सिर्फ लोगों को गुमराह कर रहा है.
आपको बता दें कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने चुनाव के दौरान यह स्वीकार किया था कि अगर बिहार में काम करने वाले सभी संविदा कर्मियों को स्थाई नौकरी दी जाए, तो सरकार पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा. सुशील मोदी के बयान से स्पष्ट हो गया था कि बिहार में लाखों की संख्या में सरकारी स्थायी पद खाली पड़े हैं. जिसे सरकार संविदा पर कर्मचारी रखकर काम चला रही है.
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