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पटना: पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए नई योजनाओं की शुरुआत, 15 सालों में 4 हजार प्रतिशत बढ़ा बजट - पटना समाचार

जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि विभागों के बजट में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है. 15 सालों में विभाग का बजट 40 करोड़ से 1700 करोड़ पहुंच गया है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है.

government launched several schemes for sc-st students
विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा
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Published : Aug 11, 2020, 10:44 AM IST

पटना: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि 15 सालों में विभाग का बजट 40 करोड़ से 1700 करोड़ पहुंच गया है. एससी-एसटी छात्र-छात्राओं के लिए सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है. वहीं इसका लाभ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उठा रहे है.


विभाग ने 1700 करोड़ का बजट किया पास
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण सचिव प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि वर्ष 2005-06 में विभाग का कुल बजट 40 करोड़ 48 लाख था. जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1,700 करोड़ हो गया है. इस प्रकार इसमें लगभग 40 गुणा या 4,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है.


अभ्यर्थियों को दी गई प्रोत्साहन राशी
विभाग ने मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना वर्ष 2018 से लागू की गई है. इसके अंतर्गत बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार की तैयारी के लिए 50,000 रुपये दी गई है. वहीं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को 1 लाख रपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/ अनुसूचितजनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत अब तक कुल 2,463 अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाया गया है. उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग 2019 की परीक्षा की आगे की तैयारी के लिए 15 अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि दी गई थी. इसमें से तीन अभ्यर्थियों (श्री कुमार निशांत विवेक, दरभंगा रैंक-404, श्री अनिल बसाक, किशनगंज रैंक-616 एवं श्री दीपक कुमार, रोहतास रैंक-684) का चयन हुआ है.


लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन
अभ्यर्थियों ने सरकार के इस योजना की काफी प्रशंसा की गई है. प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 13 मार्च 2020 के प्रभाव से सभी आवासीय विद्यालय और छात्रावास बंद है. लेकिन डीडी बिहार पर पाठ्य-पुस्तक आधारित शिक्षण कार्यक्रम 'मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय के तहत विभिन्न कक्षाओं के लिए ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था की गई है इस कार्यक्रम के तहत कक्षा-6 से कक्षा-12वीं तक के छात्र/छात्राओं को विभिन्न विषयों पर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से लाभान्वित किया जा रहा है. शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए विकसित 'विद्यावाहिनी एप के माध्यम से कक्षा-1 से 12वीं तक के छात्र/छात्राओं को विभिन्न विषयों के लिए ऑनलाइन पाठ्य पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई गई हैं.


एप के माध्यम से की जा रही पढ़ाई
गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध एप के माध्यम से छात्र-छात्राएं पाठ्य-पुस्तकों को डाउनलोड कर अध्ययन कर सकते हैं. वहीं सभी आवासीय विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं को पाठ्य-पुस्तक, नोट बुक और अन्य सामग्री जिला स्तर से उपलब्ध कराई गई है. गूगल फॉर्म/ई-मेल/ व्हाट्सएप/विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का नियमित अनुश्रवण किया जा रहा है.


11 नए आवासीय विद्यालयों के संचालन की स्वीकृति
सचिव अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के शैक्षणिक उत्थान के लिए 85 आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इसके साथ ही 11 नए आवासीय विद्यालयों के संचालन की स्वीकृति दी गई है. विभाग ने विद्यालय के आधारभूत संरचना को विकसित करने का निर्णय लिया है. वहीं वर्ष 2018-19 से पूर्व आवासीय विद्यालयों का छात्रबल मात्र 28,640 था. वहीं वर्ष 2018-19 में पश्चिम चम्पारण बेतिया में पांच नए आवासीय विद्यालयों का संचालन प्रारंभ किया गया है. वर्तमान समय में 34,840 आवासीय क्षमता विकसित हुई है. इसके अलावा 37 आवासीय विद्यालयों को एकमुश्त कैबिनेट से स्वीकृति मिली है, जिनके लिए जमीन का प्रबंध हो चुका है. इनके आधारभूत संरचना का कार्य बिहार भवन निर्माण निगम के माध्यम से किया जा रहा है. यह काम डेढ़ से दो वर्ष में पूरा होना है. इसके आवासन क्षमता में अतिरिक्त 18,240 की बढ़ोत्तरी करनी है, जिसके फलस्वरूप आवासन क्षमता 50,880 हो जाएगी.


पांच वर्षों में लगभग बजट प्रावधान में 706 प्रतिशत की वृद्धि
विभाग ने पूर्व में 4 से 5 करोड़ रुपये की लागत से आवासीय विद्यालयों को शुरू किया गया था, जो आज की तिथि में करीब 51 करोड़ रुपये की लागत से 720 शैय्या वाले आवासीय विद्यालयों का निर्माण किया जा रहा है. इनमें आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं. आवासीय विद्यालय के बजट में 706% की वृद्धि हुई है. प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि आवासीय विद्यालय एवं छात्रावासों के निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15 में मात्र 50.40 करोड़ बजट का प्रावधान था, जिसे वित्तीय वर्ष 2010-20 में बढ़ाकर 406.28 करोड़ किया गया. इस प्रकार विगत 5 वर्षों में लगभग बजट प्रावधान में 706 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्तमान समय में जितने आवासीय विद्यालय और छात्रावास बन रहे हैं उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर 5 वर्षीय रखरखाव भी बिहार भवन निर्माण निगम के माध्यम से की जा रही है. विभाग ने विगत 5 वर्षों में निगम के निर्माण कार्य के लिए 1442.03 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई है. वहीं वर्ष 2018 तक 111 छात्रावास संचालित थे. इसके साथ ही 8 नए छात्रावासों का निर्माण पूर्ण होने के फलस्वरूप वर्तमान में 117 छात्रावासों की क्षमता 6,800 हो चुकी है.


मई 2021 में कार्य पूर्ण
17 छात्रावास के निर्माण कार्य मई 2021 में पूर्ण होने के बाद क्षमता 9,100 हो जाएगी. वहीं पुराने छात्रावासों को भी अपटूडेट करने का सरकार ने निर्णय लिया है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग ने पुराने जर्जर छात्रावास के स्थान पर चरणबद्ध तरीके से नये भवन का निर्माण कराने का निर्णय लिया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में गुणवत्तापूर्ण एवं मानक स्तर के सुविधा सम्पन्न छात्रावास निर्माण के लिए राज्य सरकार ने पूर्व से निर्मित और जर्जर 19 छात्रावासों के पुर्ननिर्माण की स्वीकृति दी गई है. इन छात्रावासों के निर्माण के लिए कुल 104.69 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है.

पटना: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि 15 सालों में विभाग का बजट 40 करोड़ से 1700 करोड़ पहुंच गया है. एससी-एसटी छात्र-छात्राओं के लिए सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है. वहीं इसका लाभ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उठा रहे है.


विभाग ने 1700 करोड़ का बजट किया पास
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण सचिव प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि वर्ष 2005-06 में विभाग का कुल बजट 40 करोड़ 48 लाख था. जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1,700 करोड़ हो गया है. इस प्रकार इसमें लगभग 40 गुणा या 4,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है.


अभ्यर्थियों को दी गई प्रोत्साहन राशी
विभाग ने मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना वर्ष 2018 से लागू की गई है. इसके अंतर्गत बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार की तैयारी के लिए 50,000 रुपये दी गई है. वहीं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को 1 लाख रपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/ अनुसूचितजनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत अब तक कुल 2,463 अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाया गया है. उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग 2019 की परीक्षा की आगे की तैयारी के लिए 15 अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि दी गई थी. इसमें से तीन अभ्यर्थियों (श्री कुमार निशांत विवेक, दरभंगा रैंक-404, श्री अनिल बसाक, किशनगंज रैंक-616 एवं श्री दीपक कुमार, रोहतास रैंक-684) का चयन हुआ है.


लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन
अभ्यर्थियों ने सरकार के इस योजना की काफी प्रशंसा की गई है. प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 13 मार्च 2020 के प्रभाव से सभी आवासीय विद्यालय और छात्रावास बंद है. लेकिन डीडी बिहार पर पाठ्य-पुस्तक आधारित शिक्षण कार्यक्रम 'मेरा दूरदर्शन, मेरा विद्यालय के तहत विभिन्न कक्षाओं के लिए ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था की गई है इस कार्यक्रम के तहत कक्षा-6 से कक्षा-12वीं तक के छात्र/छात्राओं को विभिन्न विषयों पर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से लाभान्वित किया जा रहा है. शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए विकसित 'विद्यावाहिनी एप के माध्यम से कक्षा-1 से 12वीं तक के छात्र/छात्राओं को विभिन्न विषयों के लिए ऑनलाइन पाठ्य पुस्तिकाएं उपलब्ध कराई गई हैं.


एप के माध्यम से की जा रही पढ़ाई
गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध एप के माध्यम से छात्र-छात्राएं पाठ्य-पुस्तकों को डाउनलोड कर अध्ययन कर सकते हैं. वहीं सभी आवासीय विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं को पाठ्य-पुस्तक, नोट बुक और अन्य सामग्री जिला स्तर से उपलब्ध कराई गई है. गूगल फॉर्म/ई-मेल/ व्हाट्सएप/विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का नियमित अनुश्रवण किया जा रहा है.


11 नए आवासीय विद्यालयों के संचालन की स्वीकृति
सचिव अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के शैक्षणिक उत्थान के लिए 85 आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इसके साथ ही 11 नए आवासीय विद्यालयों के संचालन की स्वीकृति दी गई है. विभाग ने विद्यालय के आधारभूत संरचना को विकसित करने का निर्णय लिया है. वहीं वर्ष 2018-19 से पूर्व आवासीय विद्यालयों का छात्रबल मात्र 28,640 था. वहीं वर्ष 2018-19 में पश्चिम चम्पारण बेतिया में पांच नए आवासीय विद्यालयों का संचालन प्रारंभ किया गया है. वर्तमान समय में 34,840 आवासीय क्षमता विकसित हुई है. इसके अलावा 37 आवासीय विद्यालयों को एकमुश्त कैबिनेट से स्वीकृति मिली है, जिनके लिए जमीन का प्रबंध हो चुका है. इनके आधारभूत संरचना का कार्य बिहार भवन निर्माण निगम के माध्यम से किया जा रहा है. यह काम डेढ़ से दो वर्ष में पूरा होना है. इसके आवासन क्षमता में अतिरिक्त 18,240 की बढ़ोत्तरी करनी है, जिसके फलस्वरूप आवासन क्षमता 50,880 हो जाएगी.


पांच वर्षों में लगभग बजट प्रावधान में 706 प्रतिशत की वृद्धि
विभाग ने पूर्व में 4 से 5 करोड़ रुपये की लागत से आवासीय विद्यालयों को शुरू किया गया था, जो आज की तिथि में करीब 51 करोड़ रुपये की लागत से 720 शैय्या वाले आवासीय विद्यालयों का निर्माण किया जा रहा है. इनमें आधुनिक सुविधायें उपलब्ध हैं. आवासीय विद्यालय के बजट में 706% की वृद्धि हुई है. प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि आवासीय विद्यालय एवं छात्रावासों के निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2014-15 में मात्र 50.40 करोड़ बजट का प्रावधान था, जिसे वित्तीय वर्ष 2010-20 में बढ़ाकर 406.28 करोड़ किया गया. इस प्रकार विगत 5 वर्षों में लगभग बजट प्रावधान में 706 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्तमान समय में जितने आवासीय विद्यालय और छात्रावास बन रहे हैं उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर 5 वर्षीय रखरखाव भी बिहार भवन निर्माण निगम के माध्यम से की जा रही है. विभाग ने विगत 5 वर्षों में निगम के निर्माण कार्य के लिए 1442.03 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई है. वहीं वर्ष 2018 तक 111 छात्रावास संचालित थे. इसके साथ ही 8 नए छात्रावासों का निर्माण पूर्ण होने के फलस्वरूप वर्तमान में 117 छात्रावासों की क्षमता 6,800 हो चुकी है.


मई 2021 में कार्य पूर्ण
17 छात्रावास के निर्माण कार्य मई 2021 में पूर्ण होने के बाद क्षमता 9,100 हो जाएगी. वहीं पुराने छात्रावासों को भी अपटूडेट करने का सरकार ने निर्णय लिया है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग ने पुराने जर्जर छात्रावास के स्थान पर चरणबद्ध तरीके से नये भवन का निर्माण कराने का निर्णय लिया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में गुणवत्तापूर्ण एवं मानक स्तर के सुविधा सम्पन्न छात्रावास निर्माण के लिए राज्य सरकार ने पूर्व से निर्मित और जर्जर 19 छात्रावासों के पुर्ननिर्माण की स्वीकृति दी गई है. इन छात्रावासों के निर्माण के लिए कुल 104.69 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है.

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