पटना: दीपावली के बाद राज्य में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज और गोवर्धन पूजा त्योहार पूरे उत्साह से मनाया गया. वहीं, कुछ जगहों पर सोमवार को तो कहीं, मंगलवार को गोवर्धन पर्व मनाया गया. बहनों ने भाइयों को तिलक कर मिठाई खिलाने के साथ ही उनके दीर्घायु की कामना की.
क्या है मान्यताएं?
भैया दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि पूजा से उनके भाइयों के शत्रुओं का नाश होता है. महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर पारंपरिक गीत गाते हुए पूरी विधि-विधान से पूजा करके गोधन कुटती हैं. इस दिन गौ माता और गोवर्धन पर्वत की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ी हुई है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन भाई-बहन को मृत्यु देवता यम की बहन यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व दिया गया है, लेकिन अगर यमुना में स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर ही सुबह उठकर स्नान करने की परंपरा है.
विधि-विधान से मनाया गया गोवर्धन पूजा
बिहार में सभी जगहों पर परंपरागत तरीके से गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया. गोवर्धन पूजा को लेकर घरों में सुबह से तैयारियां शुरू हो गईं. बहनों ने गाय के गोबर से घरों में गोवर्धन बनाया. सुंदर कलाकृतियों और रंगोली के माध्यम से गोर्वधन पर्वत की आकृति को सजाया गया. पूरे विधि-विधान से गोवर्धन पर तील, बताशे, मिठाई और अन्य वस्तुएं रखकर और दीपक जलाए गए. वहीं, भैया दूज पर तमाम बहनों ने ससुराल से भाइयों के घर पहुंचकर त्योहार मनाया. साथ ही भैया दूज पर बहनों ने भाइयों को टीका लगाकर उनकी सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना कर उनसे उपहार प्राप्त किया.