पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Cm Nitish kumar) ने सोमवार को वर्चुअल तरीके से 5 इंजीनियरिंग कॉलेजों का उद्घाटन किया. 446 करोड़ रुपए की लागत से इन सभी पांचों इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण किया गया है. इसकी जानकारी बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री सुमित कुमार (Minister Sumit Kumar) ने दी.
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' बिहार में 5 इंजीनियरिंग कॉलेजों का उद्घाटन किया गया है. इंजीनियरिंग के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर के सुविधाओं के साथ पढ़ाई कर सकेंगे. कई और अभियंत्रण महाविद्यालयों एवं पॉलिटेक्निक संस्थानों में छात्रावास निर्माण और अरवल पॉलिटेक्निक संस्थान के लिए भवन निर्माण की आधारशिला रखी गई है.'- सुमित कुमारविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
अभियंत्रण महाविद्यालय कैंपस का हुआ उद्घाटन
विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग (Department of Science and Technology) के मंत्री सुमित कुमार ने बताया कि किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, पश्चिम चंपारण और गोपालगंज अभियंत्रण महाविद्यालय कैंपस का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल तरीके से सोमवार को उद्घाटन किया. इन कॉलेजों के निर्माण के लिए 446 करोड़ रुपये व्यय किया गया है.
छात्रावास निर्माण का आधारशिला रखी
इसके अलावा कई और अभियंत्रण महाविद्यालयों एवं पॉलिटेक्निक संस्थानों में छात्रावास निर्माण और अरवल पॉलिटेक्निक संस्थान के लिए भवन निर्माण की आधारशिला रखी. इस पर कुल लागत करीब 236 करोड़ रुपए आएगी. आज कुल 14, 011 करोड़ की लागत से विभिन्न विभागों के 169 भवनों का उदघाटन और 725 करोड़ की लागत से बनने वाले 12 विभाग के 73 भवनों का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया.
मंत्री सुमित कुमार ने दी जानकारी
मंत्री सुमित कुमार ने बताया कि 1954 से 2005 तक राज्य में कुल तीन अभियंत्रण महाविद्यालय और 13 सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान थे, जिनकी प्रवेश क्षमता लगभग 800 और 3,840 थी. आज बिहार में 38 अभियंत्रण महाविद्यालय और 44 पॉलिटेक्निक संस्थान हैं.
अब ग्यारह हजार से अधिक छात्र ले सकेंगे एडमिशन
एक पुराने अभियंत्रण महाविद्यालय बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग को एनआईटी (NIT) में उन्नयन हो चुका है. आज अभियंत्रण महाविद्यालयों की क्षमता प्रति वर्ष लगभग दस हजार छात्रों के शिक्षण की है, तो पॉलिटेक्निक संस्थानों में करीब साढ़े ग्यारह हजार छात्र हर वर्ष दाखिला ले सकते हैं. बिहार की शिक्षा में यह बदलाव है. यह नेतृत्व के दूरदर्शी दृष्टिकोण से ही संभव है.
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पढ़ाई करने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा
पूर्व में बिहार के निम्न आय वर्ग के परिवार के मेधावी छात्रों को राज्य से बाहर इंजीनियरिंग अध्ययन के लिए पलायन का करना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बिहार के छात्रों को बिहार से जाने की जरूरत नहीं है. बिहार में ही अब उन्हें राष्ट्रीय स्तर की हर सुविधा मिलेगी और वह बिहार में ही बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे.