पटना: राजधानी के गांधी मैदान स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में मां वैष्णो देवी सेवा समिति की ओर से 51 दूल्हे-दुल्हनों की सामूहिक शादी कराई गई. मां वैष्णो देवी सेवा समिति ने लगातार 10वें साल 51 जोड़ों की शादी करायी. श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत में अंधी बच्चियों ने शादी के गीत गाए और स्वच्छता के गीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस बार सामूहिक शादी का थीम नेत्रदान-अंगदान था. इस सामूहिक शादी समारोह में बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीतों पर पूरे हॉल में दर्शक झूमते दिखाई पड़े.
एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में 51 दूल्हे-दुल्हनों को आशीर्वाद देने के लिए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, पद्मश्री शारदा सिन्हा, विधायक सुशील कुमार पिंटू, नितिन नवीन समेत कई गणमान्य हस्तियां शरीक हुए. सभी ने नवविवाहित जोड़ों को आजीवन खुश रहने का आशीर्वाद दिया.
नवविवाहित जोड़ों को मिलेगा ये गिफ्ट
इस सामूहिक शादी में सभी 51 नवविवाहित जोड़ों को एक साइकल, एक डस्टबिन, एक फूलों भरा गमला, एक सिलाई मशीन, एक पेटी बर्तन सेट, तोषक और तकिया मां वैष्णो देवी सेवा समिति की ओर से गिफ्ट किया गया.
शारदा सिन्हा के गीतों पर झूमे दर्शक
इस शादी समारोह में मेहंदी रस्म के साथ साथ संगीत कार्यक्रम की भी व्यवस्था थी और बारात बैंड बाजा से सुसज्जित होकर नाला रोड ठाकुरबाड़ी से होते हुए गांधी मैदान के रास्ते से श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पहुंची.इस कार्यक्रम में बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने अपनी शादी के गीतों से पूरे हॉल में मौजूद दर्शकों को खूब झूमाया. शादी में विभिन्न प्रकार के गाए जाने वाले गानों को शारदा सिन्हा ने गाया. उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इस मौके पर शारदा सिन्हा समेत विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए कईयों को सम्मानित किया.
नेत्रदान और अंगदान सामूहिक शादी का था थीम
इस सामूहिक शादी का थीम नेत्रदान और अंगदान था. इस समारोह में तीन लोग ऐसे भी आए थे जिनकी आंखों की रोशनी चली गई थी और किसी के नेत्रदान की वजह से वह दोबारा दुनिया को देख पाने के लायक हुए. इनमें से एक ऐसे व्यक्ति भी शरीक हुए थे जिन्होंने अपने बेटे की मौत के बाद उसके नेत्र दान किए थे. जिसके बाद कार्यक्रम में आए युवक दोबारा दुनिया देखने के काबिल बना.
सुशील मोदी ने नेत्रदान और अंगदान करने के लिए किया प्रेरित
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इस शख्स की खूब प्रशंसा की और कार्यक्रम में मौजूद लोगों से मरने के बाद नेत्रदान और अंगदान करने के लिए प्रेरित किया. सुशील मोदी ने कहा कि व्यक्ति की मौत के बाद अगर उसकी आंखें किसी के काम आ सकती है तो यह दुनिया का सबसे नेक कार्य है.