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मसौढ़ी में भगवान बुद्ध का महाप्रसाद काला नमक चावल की खूब हो रही खेती, सेहत के लिए भी है फायदेमंद

Farmers Cultivating Kala Namak Rice In Patna: पटना के मसौढ़ी में भगवान बुद्ध को चढ़ने वाले काला नमक चावल की खेती हो रही है. यहां के किसानों द्वारा लगाया गया धान अब लहलहाने लगा है, जिसकी खुशबू हर ओर बिखर रही है. पढ़ें पूरी खबर.

मसौढ़ी में किसान कर रहे काला नमक चावल की खेती
मसौढ़ी में किसान कर रहे काला नमक चावल की खेती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 21, 2023, 6:25 PM IST

मसोढ़ी में किसान कर रहे काला नमक चावल की खेती

पटना: ऐसे तो चावल के कई प्रकार होते हैं लेकिन, इन दिनों बाजारों में काला नमक चावल की मांग बढ़ती जा रही है. काला नमक चावल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है, जिसे देखते हुए अब बिहार के किसान भी जोर-शोर से इसकी खेती कर रहे हैं. पटना के मसौढ़ी में काला नमक धान की फसल अब लहलहाने लगी है, जिसकी खुशबू हर ओर फैल रही है. बता दें कि काला नमक चावल, भगवान बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में भी जाना जाता है.

काला नमक चावल नाम रखने का कारण: दरअसल काले रंग की भूसी की वजह से इसका नाम काला नमक चावल पड़ा. इसके महत्व का अंदाजा इसी से लग जाता है कि यह चावल सीधे भगवान बुद्ध से जुड़ा है. काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ने इसे जीआई टैग दिया है. इसके संवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

भगवान बुद्ध से जुड़ा है चावल का इतिहास: कहते हैं कि बौद्ध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध शाक्य गणराज कपिलवस्तु लौट रहे थे. वह रास्ते में मौजूद सिद्धार्थनगर जिले के बाड़ा गांव में रूके, अगले रोज जब उन्हें जाना था तो महात्मा बुद्ध ने गांव के कुछ किसानों को अपनी झोली से मुट्ठी भर धान दिया.

ऐसे शुरू हुई चावल की खेती: भगवान बुद्ध ने धान देकर ग्रामीणों से कहा कि इसे खेतों में लगा दो, इसकी खुशबू हमेशा हमारी याद दिलाती रहेगी. उसके बाद से ही काला नमक धान की खेती का सिलसिला शुरू हो गया और काला नमक चावल को बुद्ध का महाप्रसाद का नाम मिला. आज यह काला नमक चावल विभिन्न देशों में सिद्धार्थनगर की मिट्टी की खुशबू बिखेर रहा है.

काला नमक चावल की फसल
काला नमक चावल की फसल

मसौढ़ी के खेतों में फसल की खुशबू: बहरहाल पटना के ग्रामीण इलाकों में भी यह खुशबू बिखरने लगी है. यहां के किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. इसको लेकर मसौढी थाना क्षेत्र के महादेवपुर गांव के किसान ने बताया कि 5 बिघे में खेती की शुरुआत की है. इसके अलावा सभी किसानों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.

"काला नमक चावल की खासीयत: बताया कि काला नमक धान के पौधे आंधी पानी में नहीं गिरते हैं. इसमें एंथासाईमीन एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हृदय रोग, चर्म रोग और ब्लड से संबंधित बीमारियों को दूर भगाते हैं. सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद है, काला नमक चावल विश्व पटल पर एक नई पहचान दे रहा है."- किसान

चावल की खुशबू कई देशों तक पहुंची: इस चावल का इतिहास लगभग 27 सौ साल पुराना है. इसका जिक्र चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है. गौतम बुद्ध से जुड़ाव की वजह से इसकी खुशबू बौद्ध धर्म के अनुयायी देशों जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड और भूटान सहित अन्य देशों तक पहुंच गई है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लॉर्ड विलियम पेपे और बर्ड ने जिले में भी नील की खेती को खत्म कर काला नमक धान की खेती की शुरू कराई थी.

ये भी पढ़ें: अब काली हल्दी उपजा रहे गया के किसान.. इसमें है एंटी कैंसर गुण, कई बीमारियों का है रामबाण

ये भी पढ़ें: दिल्ली की सड़कों पर स्ट्रॉबेरी देख आया आईडिया, 5 स्टार होटल की नौकरी छोड़ शुरू कर दी खेती

ये भी पढ़ें: मंडला आर्ट की तर्ज पर 20 सब्जियों और फलों की खेती, कम लागत में अधिक उत्पादन.. जानें खासियत

मसोढ़ी में किसान कर रहे काला नमक चावल की खेती

पटना: ऐसे तो चावल के कई प्रकार होते हैं लेकिन, इन दिनों बाजारों में काला नमक चावल की मांग बढ़ती जा रही है. काला नमक चावल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है, जिसे देखते हुए अब बिहार के किसान भी जोर-शोर से इसकी खेती कर रहे हैं. पटना के मसौढ़ी में काला नमक धान की फसल अब लहलहाने लगी है, जिसकी खुशबू हर ओर फैल रही है. बता दें कि काला नमक चावल, भगवान बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में भी जाना जाता है.

काला नमक चावल नाम रखने का कारण: दरअसल काले रंग की भूसी की वजह से इसका नाम काला नमक चावल पड़ा. इसके महत्व का अंदाजा इसी से लग जाता है कि यह चावल सीधे भगवान बुद्ध से जुड़ा है. काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ने इसे जीआई टैग दिया है. इसके संवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

भगवान बुद्ध से जुड़ा है चावल का इतिहास: कहते हैं कि बौद्ध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध शाक्य गणराज कपिलवस्तु लौट रहे थे. वह रास्ते में मौजूद सिद्धार्थनगर जिले के बाड़ा गांव में रूके, अगले रोज जब उन्हें जाना था तो महात्मा बुद्ध ने गांव के कुछ किसानों को अपनी झोली से मुट्ठी भर धान दिया.

ऐसे शुरू हुई चावल की खेती: भगवान बुद्ध ने धान देकर ग्रामीणों से कहा कि इसे खेतों में लगा दो, इसकी खुशबू हमेशा हमारी याद दिलाती रहेगी. उसके बाद से ही काला नमक धान की खेती का सिलसिला शुरू हो गया और काला नमक चावल को बुद्ध का महाप्रसाद का नाम मिला. आज यह काला नमक चावल विभिन्न देशों में सिद्धार्थनगर की मिट्टी की खुशबू बिखेर रहा है.

काला नमक चावल की फसल
काला नमक चावल की फसल

मसौढ़ी के खेतों में फसल की खुशबू: बहरहाल पटना के ग्रामीण इलाकों में भी यह खुशबू बिखरने लगी है. यहां के किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. इसको लेकर मसौढी थाना क्षेत्र के महादेवपुर गांव के किसान ने बताया कि 5 बिघे में खेती की शुरुआत की है. इसके अलावा सभी किसानों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.

"काला नमक चावल की खासीयत: बताया कि काला नमक धान के पौधे आंधी पानी में नहीं गिरते हैं. इसमें एंथासाईमीन एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हृदय रोग, चर्म रोग और ब्लड से संबंधित बीमारियों को दूर भगाते हैं. सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद है, काला नमक चावल विश्व पटल पर एक नई पहचान दे रहा है."- किसान

चावल की खुशबू कई देशों तक पहुंची: इस चावल का इतिहास लगभग 27 सौ साल पुराना है. इसका जिक्र चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है. गौतम बुद्ध से जुड़ाव की वजह से इसकी खुशबू बौद्ध धर्म के अनुयायी देशों जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड और भूटान सहित अन्य देशों तक पहुंच गई है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लॉर्ड विलियम पेपे और बर्ड ने जिले में भी नील की खेती को खत्म कर काला नमक धान की खेती की शुरू कराई थी.

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