पटना: कहते हैं कि सियासत का नशा अफीम से भी खतरनाक होता है. शायद प्रशांत किशोर पर सियासत का नशा इस कदर सवार था कि एक बेहतर जिंदगी को उन्होंने छोड़कर सियासत का रास्ता चुना. एक समय पीके के नाम से प्रसिद्ध प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते थे. आज प्रशांत किशोर पटना के बेउर जेल चले गए थे. हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया, प्रशांत की नियति ने इसे नहीं चुना है.
पदयात्रा और प्रदर्शन के बाद पहुंच गए जेल: प्रशांत किशोर बिहार के सड़कों पर पदयात्रा करने के साथ-साथ धरना, प्रदर्शन, आमरण अनशन करते-करते बेउर जेल पहुंच गए. विदेश में पढ़ाई करने के बाद करोड़ के पैकेज पर नौकरी करने वाले प्रशांत किशोर चाहते तो एक बेहतर जिंदगी को चुन सकते थे लेकिन, प्रशांत किशोर के सिर पर तो सियासत का नशा सवार था इसलिए, उन्होंने अपनी जन्मभूमि बिहार को चुना और यहां से उनकी सियासत करने का सफर शुरू हुआ. इस पैकेज में हम प्रशांत किशोर एक रणनीतिकार से एक राजनेता बनने की कहानी बताएंगे.
![बीपीएससी छात्रों के समर्थन में प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk3.jpg)
2014 से सितारा बुलंद: 2013-14 में जब देश में नरेंद्र मोदी गुजरात से केंद्र की सियासत करने दिल्ली पहुंचे रहे थे तो, उनके साथ एक दुबला-पतला, हल्की दाढ़ी वाला, जींस पहनने वाला, एक शख्स चहल कदमी करते हुए दिखता था. उस समय अंग्रेजी अखबारों और बड़ी मीडिया हाउस में प्रशांत किशोर की चर्चा होती जरूर थी लेकिन, यह वही लड़का था जिसकी चर्चा होती थी. वह कुछ दिन के बाद पता चला. पीके से मशहूर प्रशांत किशोर उस समय भारतीय जनता पार्टी के चुनावी सलाहकार और रणनीतिकार थे.
मोदी बन गए प्रधानमंत्री: चुनावी सलाह देने के लिए और रणनीति बनाने के लिए प्रशांत किशोर की कंपनी आई-पैक भारतीय जनता पार्टी से पैसा लेती थी. यह पैसा कितना होता था इसके बारे में अब तक जानकारी नहीं है लेकिन, प्रशांत किशोर की रणनीति काम कर गई. उनका सलाह काम कर गया. 2014 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली जाकर देश के प्रधानमंत्री बन गए. यहां से दो लोगों का नाम बहुत तेजी से उभरा, एक खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और दूसरे, बिहार के बक्सर के रहने वाले प्रशांत किशोर का. जिसे सभी पीके के नाम से भी जानते हैं.
![ETV Bharat GFX](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk11.jpg)
बिहार के बक्सर से पढ़े है पीके: प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के सासाराम के कोनार गांव में हुआ था. इनके पिता श्रीकांत पांडे डॉक्टर थे. जिनकी नौकरी बक्सर में थी. इसलिए, प्रशांत किशोर की शुरुआती पढ़ाई बक्सर में हुई. बक्सर के बाद प्रशांत किशोर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने हैदराबाद चले गए. बाद में उन्होंने पब्लिक हेल्थ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और ट्रेंड पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर यूनाइटेड नेशन में काम करने लगे.प्रशांत किशोर कुछ दिनों के लिए यूएन के मुख्यालय में भी काम किया. इसी समय उन्होंने भारत के कुपोषण पर आधारित एक रिसर्च पेपर तैयार किया. जिसमें गुजरात का भी जिक्र था और यही प्रशांत किशोर के जीवन का टर्निंग पॉइंट था.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात: इस रिपोर्ट के बाद उनकी मुलाकात गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई. 2011 में उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई थी. उस समय नरेंद्र मोदी के लिए केंद्र की राजनीति में जाने की तैयारी चल रही थी. नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को अपने ब्रांड मैनेजर के तौर पर काम करने का ऑफर दिया. उसके बाद प्रशांत किशोर ने अपनी एक कंपनी बनाई. जिसका नाम इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमेटी था जिसे शॉर्ट में आई-पैके कहते हैं. यह यह कंपनी अलग-अलग पार्टियों की ब्रांडिंग और चुनावी अभियान को धार देने के लिए काम करती है.
![ETV Bharat GFX](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk10.jpg)
नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी!: 2014 में प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम किया और पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में एनडीए की सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने. इसी दरमियान भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनबन के बाद 2015 में प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े. उस समय नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो चुके थे. राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे. तब नीतीश कुमार के लिए प्रशांत किशोर सहारा बनकर आए. दोनों इतने करीब हो गए की एक समय नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर प्रशांत किशोर को देखा जाने लगा.
नीतीश ने दी पीके को दो नंबर की कुर्सी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को नंबर दो की कुर्सी दी. उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव बनाया. प्रशांत किशोर ने नीतीश के भरोसे को कायम रखते हुए 2015 में जदयू और लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को सरकार में पूर्ण बहुमत दिलाकर एक बार फिर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. इसके बाद प्रशांत किशोर कामयाबी का दूसरा नाम हो गए. पूरे देश में प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर बड़े ब्रांड बन चुके थे.
![प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk7.jpg)
लगातार मिली सफलता: इस दौरान प्रशांत किशोर लगातार बिहार में रहकर जेडीयू के लिए काम करने लगे लेकिन, इसके साथ ही दूसरे राज्यों में हो रहे चुनाव में भी उनकी कंपनी आईपैक काम कर रही थी. 2016 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक को रखा. लगातार दो बार सत्ता के बाहर रही कांग्रेस प्रशांत किशोर के बदौलत पंजाब में सरकार बना सकी.
ममता और केजरीवाल के लिए भी किया काम: प्रशांत किशोर इसके बाद 2017 में वाईएस जगन मोहन रेड्डी के लिए काम किया.2020 में दिल्ली विधानसभा के लिए अरविंद केजरीवाल के लिए काम किया. 2021 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए काम किया. प्रशांत किशोर के मुताबिक वह जहां-जहां जिन-जिन पार्टियों के साथ चुनावी रणनीतिकार के रूप में रहे हैं वहां उन्हें सफलता ही मिली है. इसी बीच 2017 मे पीके और नीतीश कुमार में इसबात पर अनबन हो गई क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए के साथ चले गए. पीके बिहार से वापस चले गए.
![पदयात्रा करते प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk8.jpg)
जन सुराज की शुरुआत: फिर,अचानक 2022 में को प्रशांत किशोर ने बिहार का रुख कर लिया. यहां से प्रशांत किशोर का सियासी सफर शुरू हुआ. पहले तो जन सुराज के नाम से उन्होंने एक अभियान बनाया. जिसके तहत बिहार के चंपारण से महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2022 से पूरे बिहार में पदयात्रा की शुरुआत की. लगातार कई जिलों में पदयात्रा करते हुए प्रशांत किशोर ने बीच में अपने द्वारा समर्थित एक उम्मीदवार को बिहार में एमएलसी भी बनाया.
![जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk6.jpg)
चुनावी राजनीति में कूद गए: 2024 आते-आते प्रशांत किशोर ने अपने अभियान जन सुराज को पार्टी का नाम दे दिया और उन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी जन सुराज पार्टी के नाम से चुनावी राजनीति में कूद गए. लोकसभा चुनाव 2024 में जो विधायक सांसद बन गए थे, उनकी खाली हुई विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर पर जनसुराज ने अपने उम्मीदवार उतारे हालांकि हर बार की तरह प्रशांत किशोर यहां सफल नहीं हो सके, चारों सीट हार गए.
संगठन को मजबूत कर रहें हैं: इसके बाद प्रशांत किशोर अपनी पार्टी को धार देने में जुट गए. जनसुरज के संगठन को मजबूत करने में लग गए. प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कार्यकारणी और सभी पदों पर लोगों की नियुक्ति करने लगे. हालांकि इस दौरान प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जनसुरज में कोई भी पद नहीं लिया. इधर, अचानक बिहार में बीपीएससी की परीक्षा होती है. जिसको लेकर छात्रों ने नॉर्मलाइजेशन को लागू करने के लिए आंदोलन किया. धरना प्रदर्शन करने लगे.
![पटना में अनशन पर जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk1.jpg)
पटना प्रशासन ने चेतावनी दी: प्रशांत किशोर अचानक इस आंदोलन में कूद गए. पहले तो मुख्यमंत्री आवास मार्च किया. जहां लाठीचार्ज हुई. सैकड़ो छात्रों को लाठियां लगी. लेकिन, 1 जनवरी को प्रशांत किशोर पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के नीचे अनशन पर बैठ गए और ऐलान कर दिया कि जब तक सरकार बीपीएससी की पूरी परीक्षा रद्द करके नए सीधे से परीक्षा नहीं लेती है तब तक वह आमरण अनशन करेंगे. पटना प्रशासन ने बार-बार उन्हें चेतावनी दी कि वह जहां आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं वह प्रतिबंधित क्षेत्र है.
![प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk4.jpg)
बेऊर जेल से बाहर आए प्रशांत किशोर : प्रशांत किशोर लगातार पांच दिनों तक वहां अनशन पर बैठे रहे. फिर 5 तारीख की आज की रात 4:00 बजे प्रशांत किशोर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें बेल तो जरूर दे दिया लेकिन, यह कंडीशनल बेल था. जिसमें उन्हें 25000 के मुचलके पर जमानत दिया गया था और यह बांड भरने को कहा गया कि इसके बाद वह किसी भी प्रतिबंधित क्षेत्र में धरना प्रदर्शन या आमरण अनशन नहीं करेंगे. हालांकि बेऊर जेल पहुंचते ही उनको बेल भी मिल गई और वो बाहर आ गए.
![पप्पू यादव और प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk2.jpg)
"प्रशांत किशोर रणनीतिकार के तौर पर जरुर सफल रहे लेकिन, अपनी पार्टी को चुनाव जिस तरह से उन्होंने लड़ाया उसमें वह असफल हो गए. प्रशांत किशोर को बिहार में वह मौका नहीं मिल रहा था जिससे वह घर-घर में पहचाने जाएं. बीपीएससी एक ऐसा टूल उनके हाथ में लगा जिसके तहत उन्होंने अपनी राजनीति का दूसरा अध्याय शुरू किया."-कुमार राघवेंद्र, वरिष्ठ पत्रकार
![प्रशांत किशोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-01-2025/23268792_pk5.jpg)
चुनाव लड़ना और लड़ाना अलग है: प्रशांत किशोर के सियासी सफर को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कुमार राघवेंद्र बताते हैं कि प्रशांत किशोर बेहद ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं. लेकिन, इस बात को समझना होगा कि चुनाव लड़ना और चुनाव लड़ाना दोनों अलग-अलग चीज होती हैं. कुमार राघवेंद्र बताते हैं कि प्रशांत किशोर का यह राजनीतिक का दूसरा अध्याय इसलिए है क्योंकि अब तक वह पदयात्रा कर रहे थे. अब तक वह लोगों से मिल रहे थे लेकिन, उन्हें जितनी सफलता की उम्मीद थी उतनी सफलता मिली नहीं तो, उन्होंने आमरण अनशन और धरना प्रदर्शन के माध्यम से एक ऐसे मौके की तलाश में थे जिससे उनकी पहचान बिहार के घर-घर में हो जाए और बीपीएससी नॉर्मलाइजेशन का आंदोलन उनके लिए तुरुप पत्ता का साबित हुआ. अब वह एक नेता के तौर पर पहचाने जाने लगेंगे.
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