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वशिष्ठ नारायण के समधी ने भी लगाया बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप - भूलने की बीमारी

वशिष्ठ नारायण सिंह के अंतिम दर्शन के लिए अशोक राजपथ स्थित कुंडलिया पैलेस में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था. इस दौरान मौके पर मौजूद वशिष्ठ नारायण सिंह के भाई और समधी ने कहा वो हमेशा उपेक्षा का शिकार होते रहे.

वशिष्ठ नारायण सिंह के समधी ने भी लगाए बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा के आरोप
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Published : Nov 14, 2019, 3:08 PM IST

पटना: देश के जाने-माने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह हमेशा के लिए अपने प्रशंसकों को छोड़कर चले गए. गुरूवार की सुबह उनका निधन पटना के पीएमसीएच में हो गया. मौत के बाद उनके परिजनों ने बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.

अंतिम दर्शन के लिए कुंडलिया पैलेस में रखा गया पार्थिव शरीर
दरअसल वशिष्ठ नारायण सिंह के अंतिम दर्शन के लिए अशोक राजपथ स्थित कुंडलिया पैलेस में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था. इस दौरान मौके पर मौजूद वशिष्ठ नारायण सिंह के भाई और समधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक वह जिंदा रहे तब तक उनकी किसी ने मदद नहीं की. यहां तक की बिहार और केंद्र सरकार ने भी कभी कोई सुध नहीं ली. उनकी मौत के बाद भी पीएमसीएच में 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस मुहैया करवाया.

वशिष्ठ नारायण सिंह के समधी ने भी लगाए बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा के आरोप

नासा ने भी माना लोहा
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म साल 1942 में हुआ था. उनके सिद्धांतों का लोहा नासा ने भी माना था. उनकी भूलने की बीमारी के बाद से वह लगातार अपने घर से गायब ही रहे. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के जीवन का सफर 14 नवंबर को खत्म हो गया.

patna
वशिष्ठ नारायण सिंह के समधी

पटना: देश के जाने-माने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह हमेशा के लिए अपने प्रशंसकों को छोड़कर चले गए. गुरूवार की सुबह उनका निधन पटना के पीएमसीएच में हो गया. मौत के बाद उनके परिजनों ने बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.

अंतिम दर्शन के लिए कुंडलिया पैलेस में रखा गया पार्थिव शरीर
दरअसल वशिष्ठ नारायण सिंह के अंतिम दर्शन के लिए अशोक राजपथ स्थित कुंडलिया पैलेस में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था. इस दौरान मौके पर मौजूद वशिष्ठ नारायण सिंह के भाई और समधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक वह जिंदा रहे तब तक उनकी किसी ने मदद नहीं की. यहां तक की बिहार और केंद्र सरकार ने भी कभी कोई सुध नहीं ली. उनकी मौत के बाद भी पीएमसीएच में 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस मुहैया करवाया.

वशिष्ठ नारायण सिंह के समधी ने भी लगाए बिहार और केंद्र सरकार पर उपेक्षा के आरोप

नासा ने भी माना लोहा
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म साल 1942 में हुआ था. उनके सिद्धांतों का लोहा नासा ने भी माना था. उनकी भूलने की बीमारी के बाद से वह लगातार अपने घर से गायब ही रहे. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के जीवन का सफर 14 नवंबर को खत्म हो गया.

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वशिष्ठ नारायण सिंह के समधी
Intro:देश के जाने-माने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह आज हमेशा के लिए अपने प्रशंसकों को छोड़कर चले गए आज सुबह उनका निधन पटना के पीएमसीएच में हो गया वशिष्ठ नारायण के मौत के बाद उनके परिजनों ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर आरोप लगाया है वशिष्ठ नारायण सिंह के भाई अयोध्या नारायण सिंह और समधी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब तक वह जिंदा थे तब तक उनकी उपेक्षा है हुई है


Body:दरअसल वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए अशोक राजपथ स्थित कुंडलिया पैलेस में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था इस दौरान मौके पर मौजूद वशिष्ठ नारायण सिंह के भाई और समधी ने बताया जब तक वह जिंदा रहे तब तक उनकी किसी ने मदद नहीं की यहां तक की नाही बिहार सरकार और ना ही केंद्र सरकार ने कभी उनकी सुध ली और आज हालात ऐसे हैं कि उनकी मौत के बाद पटना के पीएमसीएच में 2 घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करने के बाद अस्पताल प्रशासन के द्वारा एंबुलेंस मुहैया करवाया गया


Conclusion:आपको बताते चलें कि वशिष्ठ नारायण सिंह के सिद्धांतों का लोहा नासा ने भी माना था और उनके भूलने की बीमारी के बाद लगातार अपने घर से गायब ही रहे और 1942 को जन्मे महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज यानी कि 14 नवंबर कि शुभा अपनी आखरी सांसे पटना के पीएमसीएच में ली....
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