पटना: पूर्व राज्यसभा सांसद ब्रह्मदेव पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पूड़ी देखकर मुड़ी (सिर) घुमाते हैं. ब्रह्मदेव पासवान पटना में आगामी 12 जून को आयोजित होने वाली विपक्ष की बैठक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह संभव नहीं होने वाला है. क्योंकि इसमें जितने भी नेता हैं सब अपने अपने स्वार्थ से जुड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ें - Opposition Unity: नीतीश के अभियान को KCR ने दिया झटका, नवीन पटनायक पहले ही कर चुके हैं ना
''बिहार जेपी की क्रांति भूमि और महात्मा गांधी की शांति भूमि रही है. देश में कोई भी क्रांति या परिवर्तन होता है, वह बिहार से शुरू होता है. उसकी पहली धारा बिहार में शुरू होती है. पर जैसा नीतीश कुमार सोचते हैं वैसा होने वाला नहीं है.''- ब्रह्मदेव पासवान, पूर्व सांसद
नीति और मुद्दा विहीन नेतृत्व : ब्रह्मदेव पासवान ने कहा कि 12 जून नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरी विपक्षी गठबंधन की मीटिंग रखी गई है. ऐसी मीटिंग 1977 से लेकर आज तक कई बार रखी जा चुकी है. विपक्षियों का एकत्रित होना अपने देश में संभव नहीं है. कोई धर्म का नेता है, कोई क्षेत्र का नेता है, तो कोई भाषा का नेता है. देशभर का नेता एकाध पार्टी हो जाए, वह संभव है. यह सभी लोग तमाम नीति विहीन, मुद्दा विहीन नेतृत्व है. इसमें नेतृत्व, न्याय की कमी होगी.
'पूड़ी देखकर मुड़ी घुमाते हैं नीतीश' : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर हमला करते हुए ब्रह्मदेव पासवान ने कहा कि यह जिधर पूड़ी देखते हैं, उधर ही मूड़ी यानी अपना सिर घुमाते हैं. नीति और सिद्धांत से नीतीश कुमार को कोई मतलब नहीं है, इनको केवल पद चाहिए. यह (नीतीश कुमार) बीजेपी का क्या विरोध करेंगे. बीजेपी ने इस बार भी इनको सीएम बनाया. अगर इस बार यह सक्सेस नहीं होंगे तो बोलेंगे कि नरेंद्र मोदी हमें ऊपर प्रधानमंत्री बना दीजिए, हम आपके साथ हैं. यह पूरे देश में लोग कहते हैं. इस बात की कतई संभावना नहीं है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व को पूरा भारत कुबूल करे.
कौन हैं ब्रह्मदेव पासवान : ब्रह्मदेव पासवान राज्यसभा के पूर्व सांसद रह चुके हैं. लालू प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी से राज्यसभा का टिकट दिया था. कहा जाता है कि उस दौर में ब्रह्मदेव पासवान ने लालू चालिसा लिख डाली थी, इससे लालू प्रसाद काफी प्रभावित हुए थे. हालांकि दूसरी बार उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे नाराज हो गए. इसके बाद कांग्रेस में भी गए हालांकि वहां भी उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिली. बाद में उन्होंने अपनी पार्टी बना ली.