पटना: भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती मनाई जा रही है. कर्पूरी जयंती पर उनके छोटे बेटे डॉ वीरेंद्र नाथ ठाकुर अपने पूरे परिवार के साथ जननायक कर्पूरी स्मृति संग्रहालय पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि अब मैं राजनीति में आना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी सोशलिस्ट थे मैं भी सोशलिस्ट हूं. मैं अपने पिताजी के सिद्धांत पर चलता हूं किसी भी दल में मैं जा सकता हूं जो भी दल सम्मान देगा.
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं रहते तो कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न नहीं मिलता. कोई भारत रत्न देने वाला नहीं था कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर नरेंद्र मोदी अमर हो गए हैं. मैं डॉक्टर था, लेकिन अब सेवानिवृत हो चुका हूं और इसलिए राजनीति में जा सकता हूं." -डॉ वीरेंद्र नाथ ठाकुर, कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे
जयंती के नाम पर वोट बैंक की राजनीति: वहीं डॉ वीरेंद्र कुमार ठाकुर की पत्नी और कर्पूरी ठाकुर की छोटी बहू कनक लता ने कहा कि बहुत ही गौरवान्वित महसूस करती हूं कि कर्पूरी ठाकुर की बहु हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत रत्न की बहु बनूंगी. सभी दल कर्पूरी जी की जयंती मनाते हैं तो क्या यह वोट बैंक के लिए ऐसा होता है. इस सवाल पर कनक लता ने कहा कि वोट बैंक के लिए कर्पूरी जी की जयंती मनाते हैं यह सत्य है, लेकिन भारत रत्न तो पीएम मोदी ने ही दिया है.
डॉक्टर के रूप में समाज की सेवा: आपके पति राजनीति में नहीं है इसका अफसोस होता होगा. इस सवाल पर कनक लता ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है मेरे ससुर जी कहते थे कि जब तक मैं जिंदा हूं दोनों बेटों को राजनीति में नहीं आने दूंगा. रामनाथ ठाकुर जी को भी उनके निधन के बाद ही एमएलसी बनाया गया. वह समाज सेवा में थे. ऐसे डॉक्टर के रूप में मेरे पति भी समाज सेवा ही करते रहे. पहले नौकरी में थे इसलिए राजनीति में नहीं गए लेकिन अब तो सेवानिवृत हो गए हैं अब राजनीति में जाएंगे.
मेरे रग-रग में पॉलिटिक्स: कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ठाकुर की बेटी डॉ जागृति ठाकुर पहले ही राजनीति में चली गई हैं.जन सुराज के साथ हैं अब बेटे डॉ अभिनव विकास भी राजनीति में आना चाहते हैं. उनका कहना है कि बिहार में सभी दल के नेता दावा तो जरूर करते हैं लेकिन सही में कोई उनके सिद्धांतों पर चलकर तो दिखाए. सिर्फ 24 जनवरी और 17 फरवरी को उन्हें याद कर लिया जाता है. क्या आप भी पॉलिटिक्स में आने की इच्छुक हैं अभिनव विकास ने कहा कि बिल्कुल मेरे रग-रग में पॉलिटिक्स है.
कौन थे कर्पूरी ठाकुर?: कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहने वाले पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी नेता थे. वो पहली बार दिसंबर 1970 में सात महीने के लिए मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद में 1977 में वो दो साल के लिए मुख्यमंत्री बने थे. वो प्यार से 'जन नायक' (जनता के नेता) के रूप में जाने जाते थे. उनका निधन 1988 में हो गया था. पिछले साल 2024 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया है.
भी पढ़ें:
'36 साल का संघर्ष..' कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, 'जननायक' के गांव पितौंझिया में जश्न
'कर्पूरी ठाकुर के लिए मैंने आवाज उठाई तो केंद्र ने डर से दिया भारत रत्न', लालू यादव का दावा
जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न, जानें राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
पद्म पुरस्कारों का ऐलान, बिहार की शांति देवी समेत इन इन हस्तियों को मिला सम्मान