पटना : चुनावी साल में जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती को लेकर बिहार में सियासी बिसात बिछ चुकी है. विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर दावेदारी की जा रही है. जदयू, राजद और बीजेपी सभी इस मौके पर अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही, नई पार्टी जन सुराज ने भी कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर अपने कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है.
अति पिछड़ा को 70 सीट देने की घोषणा : प्रशांत किशोर ने पटना के मिलर स्कूल मैदान में कार्यक्रम आयोजित कर जदयू और राजद को संदेश देने की कोशिश की है. यहां उन्होंने अति पिछड़ा वर्ग को 70 सीटें देने की घोषणा की. प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उनके द्वारा मिलर स्कूल मैदान में कार्यक्रम आयोजित करने का उद्देश्य दोनों प्रमुख दलों तक अपनी आवाज पहुंचाना था, क्योंकि वे बिहार की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. इस कार्यक्रम में कर्पूरी ठाकुर की पोती और बहू भी शामिल हुईं, जो इसे एक विशेष संदर्भ देते हैं.
''कर्पूरी जी के सामाजिक और राजनीतिक विचारों को कोई आगे बढ़ा रहा है तो वह लालू प्रसाद यादव ही हैं. कर्पूरी ठाकुर की सोच के अनुसार ही लालू प्रसाद यादव काम करते रहे हैं. गरीबों, पिछड़ों को आवाज दी है.''- रामचंद्र पूर्वे, आरजेडी वरिष्ठ नेता
राजद और जदयू में दावेदारी की जंग : राजद के नेता इस समय दावा कर रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं, जदयू के नेता इसे नीतीश कुमार की देन मानते हैं और कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर की विरासत को नीतीश कुमार ही आगे बढ़ा रहे हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता भगवान सिंह कुशवाहा का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर के विचारों को नीतीश कुमार ने अपने कार्यों से पूरी तरह से जीवित रखा है और अति पिछड़ा वर्ग के लिए जितना काम नीतीश कुमार ने किया है, वह काबिले तारीफ है.
''बिहार में यदि अति पिछड़ा के लिए किसी ने काम किया है और कर्पूरी के पदचिन्ह पर चलने की कोशिश की है तो केवल नीतीश कुमार है लालू प्रसाद यादव कर्पूरी ठाकुर के साथ क्या-क्या किया है उसे बोला भी नहीं जा सकता है अति पिछड़ा के लिए जितना कम नीतीश कुमार ने किया है कर्पूरी जी की जयंती मनाने का अधिकार केवल नीतीश कुमार को ही है.''- भगवान सिंह कुशवाहा, एमएलसी, जेडीयू
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान : बीजेपी भी इस चुनावी साल में कर्पूरी ठाकुर के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करने से पीछे नहीं रही है. केंद्र सरकार ने पिछले साल कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने की कोशिश की है. बीजेपी के नेता भी कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर कार्यक्रमों का आयोजन कर इस वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं.
पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की राजनीति : बिहार में अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग मिलाकर कुल 63% वोट बैंक बनाता है. इनमें से 36% अति पिछड़ा और 27% पिछड़ा वर्ग है. नीतीश कुमार ने जातीय गणना कर अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने की घोषणा की थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है. ऐसे में चुनावी साल में इस वर्ग को साधने के लिए कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर सभी दलों की नजरें टिकी हुई हैं.
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