पटना:राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद पिछले कई दिनों से चल रहा है, लेकिन बुधवार की देर शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक राजभवन पहुंचकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से मुलाकात की. उसके बाद राजभवन की ओर से कहा गया कि मुलाकात उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय को लेकर हुई है. वहीं बीजेपी की ओर से सरकार पर हमला जारी है.
'दलित होने के चलते सरकार कर रही अपमानित'- सम्राट चौधरी: बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि बिहार में राज्यपाल और सरकार के बीच कभी विवाद नहीं रहा है. सरकार सबसे लड़ना चाहती है. राज्यपाल दलित वर्ग से आते हैं इसलिए सरकार का नजरिया उनके प्रति ठीक नहीं है. सम्राट चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल, सिंडिकेट की अध्यक्षता कुलपति करते हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारी उसके सदस्य होते हैं. ऐसे में कैसे शिक्षा विभाग के अधिकारी विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन रोक सकते हैं?
"कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी राजभवन बनाती है, तो शिक्षा विभाग ने कैसे आवेदन जारी कर दिया? नीतीश कुमार अविलंब शिक्षा विभाग के असंवैधानिक कदमों को रोकें या बिहार की जनता को बता दें कि उन्होंने सारे नियम- कानून लालू यादव के चरणों में समर्पित कर दिए हैं."- सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार बीजेपी
बोले जेडीयू प्रवक्ता- 'कहीं कोई विवाद नहीं है': वहीं बीजेपी के आरोप पर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज ने कहा कि राजनीति में चोर बोले जोर से. संसद भवन के शिलान्यास में दलित राष्ट्रपति को बुलाया नहीं जाता है और जब संसद भवन का उद्घाटन था, तब भी आदिवासी राष्ट्रपति को नहीं बुलाया जाता है. नीरज ने कहा कि राजभवन की विज्ञप्ति भी बीजेपी के लोग नहीं पढ़ते हैं. सम्राट चौधरी को पढ़ाई लिखाई से क्या मतलब है वे तो कैलिफोर्निया पब्लिक यूनिवर्सिटी से आए हैं. राज भवन ने ही विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि उच्चतर शिक्षा को लेकर मुख्यमंत्री के साथ बातचीत हुई है.
"संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना हमारा संस्कार है .संवैधानिक संस्थाओं का न तो हम दुरुपयोग करते हैं और ना ही अपमान करते हैं. कोई भी विवाद नहीं है. पिछले 18 साल में संवैधानिक संस्थाओं के साथ कोई भी विवाद नहीं हुआ है. विधायिका का अपना स्थान है, न्यायपालिका का अपना स्थान है. ये लोग (बीजेपी नेता) छुर छुरी पटाखा हैं, कभी भी कुछ भी बोल देते हैं. इन लोगों के बातों का कोई महत्व नहीं है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू
राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकरावः दरअसल बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए राजभवन के बाद सरकार की ओर से विज्ञप्ति निकालने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार शाम पांच बजे राज्यपाल से राजभवन में जाकर मुलाकात की. राज्यपाल व कुलाधिपाति कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे हस्तक्षेप, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन बंद करने के मामले के साथ ही उनके वित्तीय अधिकार को रोकने और विश्वविद्यालय के बैंक खातों को फ्रीज करने संबंधित आदेशों की जानकारी सीएम को राज्यपाल ने दी. 15 मिनट की मुलाकात के बाद राजभवन सचिवालय की ओर से एक विज्ञप्ति भी जारी की गई. ऐसे में सवाल उठता है कि अब यह विवाद थम चुका है क्योंकि बीजेपी की ओर से हमले जारी हैं.
इन कारणों से बढ़ता गया विवाद: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बीते दिनों बिहार के विश्वविद्यालयों और प्रति कुलपति की बैठक बुलाई थी. बैठक में बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रति कुलपति नहीं पहुंचे थे. नाराज होकर केके पाठक ने कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन रोक दिया था. उनके वित्तीय अधिकारों पर रोक लगा दी थी. इस आदेश के 24 घंटे के अंदर राजभवन की ओर से केके पाठक के आदेश पर रोक लगा दी गई. साथ ही विवि कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन को बहाल करने के साथ-साथ उनके वित्तीय अधिकार भी बहाल कर दिए गए.