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नप गए 'बोरा बेचने वाले' मास्टर साहब, शिक्षा विभाग ने कर दिया निलंबित.. जानें पूरा मामला

कटिहार में बोरा बेचकर शिक्षा विभाग के आदेश का विरोध करने वाले मास्टर साहब को निलंबित कर दिया गया है. शिक्षक पर शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने का आरोप लगा है.

बोरा बेचने वाले शिक्षक पर कार्रवाई
बोरा बेचने वाले शिक्षक पर कार्रवाई
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Published : Aug 9, 2021, 9:51 AM IST

पटनाः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश के विरोध में बोरा बेचने वाले कटिहार के शिक्षक पर कार्रवाई की गई है. मध्यान्ह भोजन योजना समिति (MDM Program) ने शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने और इस प्रदर्शन को नियमावली के खिलाफ बताकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी, जिसके बाद उस शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- गजबे हैं 'सुशासन बाबू'! यहां पढ़ाने के बजाए शिक्षक बेच रहे बोरा, जानें क्या है माजरा

बता दें कि रविवार को कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र के कदवा सौनैली बाजार में एक सरकारी शिक्षक मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे मील) के तहत स्कूलों में आए राशन के खाली बोरे बेचते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि वे सरकार से मिले आदेश के बाद ऐसा कर रहे हैं.

देखें वीडियो

शिक्षक ने यह भी कहा था कि अगर वे बोरे बेचकर पैसे विभाग को नहीं देते हैं, तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे. दरअसल, कांताडीह कदवा प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यक मो. तमिजुद्दीन सरकार के इस फैसले का इस तरीके से विरोध कर रहे थे, जो अब उन्हें और भी महंगा पड़ गया है.

दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

शिक्षा विभाग के इसी आदेश का शिक्षक मो.तमिजुद्दीन ने विरोध किया था. अकेले मो.तमिजुद्दीन ने ही नहीं, बल्कि अन्य शिक्षकों ने भी इस फैसले से नाराजगी जताई है. क्योंकि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी.

इसे भी पढ़ें- 'मैं बिहार के सरकारी स्कूल का शिक्षक हूं, सरकार के आदेश पर बोरा बेच रहा हूं'

मो.तमिजुद्दीन ने कहा था कि काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि हम चाहते हैं कि 'बच्चे हमारे पास पढ़ने के लिए आएं न कि बोरे खरीदने के लिए'.

पटनाः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश के विरोध में बोरा बेचने वाले कटिहार के शिक्षक पर कार्रवाई की गई है. मध्यान्ह भोजन योजना समिति (MDM Program) ने शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने और इस प्रदर्शन को नियमावली के खिलाफ बताकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी, जिसके बाद उस शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है.

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बता दें कि रविवार को कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र के कदवा सौनैली बाजार में एक सरकारी शिक्षक मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे मील) के तहत स्कूलों में आए राशन के खाली बोरे बेचते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि वे सरकार से मिले आदेश के बाद ऐसा कर रहे हैं.

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शिक्षक ने यह भी कहा था कि अगर वे बोरे बेचकर पैसे विभाग को नहीं देते हैं, तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे. दरअसल, कांताडीह कदवा प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यक मो. तमिजुद्दीन सरकार के इस फैसले का इस तरीके से विरोध कर रहे थे, जो अब उन्हें और भी महंगा पड़ गया है.

दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

शिक्षा विभाग के इसी आदेश का शिक्षक मो.तमिजुद्दीन ने विरोध किया था. अकेले मो.तमिजुद्दीन ने ही नहीं, बल्कि अन्य शिक्षकों ने भी इस फैसले से नाराजगी जताई है. क्योंकि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी.

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मो.तमिजुद्दीन ने कहा था कि काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि हम चाहते हैं कि 'बच्चे हमारे पास पढ़ने के लिए आएं न कि बोरे खरीदने के लिए'.

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