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Effects Of Climate Change On Mango : इस बार आम की मिठास में आई कमी! कृषि वैज्ञानिकों ने कहा- 'क्लाइमेट चेंज का असर' - Bihar News

‍Agriculture News इन दिनों आम और लीची का सीजन है. बिहार में भी लोग खूब आम लीची खा रहे है, लेकिन खासकर इस बार आम में न वो मिठास है और न ही लीची में. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो इस बार तापमान में बढ़ोतरी होने से आम और लीची के फसल में वो मिठास नहीं है (sweetness of mango decreasing), जो पहले हुआ करती थी. पढ़ें पूरी खबर

बिहार में इस बार आम की मिठास में आई कमी
बिहार में इस बार आम की मिठास में आई कमी
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Published : Jun 9, 2023, 1:55 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 3:03 PM IST

पटना: हर साल मई महीने के आखिरी और जून की शुरुआत में ही बिहार के बाजारों में आम आना शुरू हो जाते हैं. लेकिन, बिहार में आम पर इस साल मौसम की ऐसी मार पड़ी है कि आम की मिठास कम हो गई और पल्प (गूदा) भी कम है. गूदा कम होने का सबसे बड़ा कारण आम का आकार छोटा होना है. इसके पिछे जलवायु परिवर्तन को (Effects Of Climate Change On Mango) माना जा रहा है, जिस वजह से इस बार आम के मिठास में भी कमी देखी जा रही है.

ये भी पढ़ें: बिहार में इस साल आम पर मौसम की मार, मंजर के बाद टिकोले हो रहे नष्ट

तापमान में बढ़ोतरी.. इसलिए आम पकने में देरी : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के सह निदेशक, अनुसंधान और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) प्रोफेसर एसके सिंह ने बताया कि यह जलवायु परिवर्तन का असर है. उन्होंने कहा, आमतौर पर मई में हवा में नमी की मात्रा कम होने और तापमान 32 से 38 डिग्री की बजाय 42 डिग्री तक पहुंच जाने से आम के फल का विकास रुक गया है.

''तापमान बढ़ने से आम का आकार छोटा हो गया और मिठास भी कम है. इस बार मंजर के समय बारिश हुई और बाद में तापमान बढ़ गया. जब आम पकने का समय आया तो तापमान सामान्य से अधिक हो गया. इससे आम की गुणवत्ता पर असर पड़ा है.'' - प्रोफेसर एसके सिंह, सह निदेशक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा

मालदह आम टूटने में देरी : एस के सिंह ने बताया कि फिलहाल बाजार में मालदह आम तो दिखाई दे रहा है, लेकिन अभी इसके टूटने में समय शेष है. उन्होंने कहा कि मालदह, जर्दालु, बंबइया आम अधिक प्रभावित होगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी सिंचाई से भी लाभ नहीं मिलता है. इससे फल टूटने लगेगा.

बिहार में आम की किस्म
बिहार में आम की किस्म

मौसम में बदलाव से लीची-आम को नुकसान : इधर, आम व्यापारी भी इस बार जलवायु परिवर्तन से निराश हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस मौसम से लीची और आम दोनों को नुकसान हुआ है. आम की क्वालिटी में कमी आने से दाम भी कम मिल रहा है. हालांकि, बिहार के आम की विदेशों में खूब डिमांड है.

जर्दालु आम की विदेशों में डिमांड
जर्दालु आम की विदेशों में डिमांड

आम की राष्ट्रीय उपज करीब 8.80 टन प्रति हेक्टेयर : बता दें कि देशभर में आम की खेती की बात करें तो यूपी, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और बिहार में आम की बंपर पैदावार होती है. देश में करीब 2316.80 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिसमें से 20385.85 हजार टन आम का उत्पादन होता है. बता दें कि आम की राष्ट्रीय उपज करीब 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है.

राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बिहार में आम का उत्पादन : वहीं बिहार में आम की खेती करीब 160.30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है, जिसमें 1550 हजार टन उत्पादन होता है. बिहार में आम की अत्पादकता 9.67 टन प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा ज्यादा है.

पटना: हर साल मई महीने के आखिरी और जून की शुरुआत में ही बिहार के बाजारों में आम आना शुरू हो जाते हैं. लेकिन, बिहार में आम पर इस साल मौसम की ऐसी मार पड़ी है कि आम की मिठास कम हो गई और पल्प (गूदा) भी कम है. गूदा कम होने का सबसे बड़ा कारण आम का आकार छोटा होना है. इसके पिछे जलवायु परिवर्तन को (Effects Of Climate Change On Mango) माना जा रहा है, जिस वजह से इस बार आम के मिठास में भी कमी देखी जा रही है.

ये भी पढ़ें: बिहार में इस साल आम पर मौसम की मार, मंजर के बाद टिकोले हो रहे नष्ट

तापमान में बढ़ोतरी.. इसलिए आम पकने में देरी : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के सह निदेशक, अनुसंधान और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) प्रोफेसर एसके सिंह ने बताया कि यह जलवायु परिवर्तन का असर है. उन्होंने कहा, आमतौर पर मई में हवा में नमी की मात्रा कम होने और तापमान 32 से 38 डिग्री की बजाय 42 डिग्री तक पहुंच जाने से आम के फल का विकास रुक गया है.

''तापमान बढ़ने से आम का आकार छोटा हो गया और मिठास भी कम है. इस बार मंजर के समय बारिश हुई और बाद में तापमान बढ़ गया. जब आम पकने का समय आया तो तापमान सामान्य से अधिक हो गया. इससे आम की गुणवत्ता पर असर पड़ा है.'' - प्रोफेसर एसके सिंह, सह निदेशक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा

मालदह आम टूटने में देरी : एस के सिंह ने बताया कि फिलहाल बाजार में मालदह आम तो दिखाई दे रहा है, लेकिन अभी इसके टूटने में समय शेष है. उन्होंने कहा कि मालदह, जर्दालु, बंबइया आम अधिक प्रभावित होगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी सिंचाई से भी लाभ नहीं मिलता है. इससे फल टूटने लगेगा.

बिहार में आम की किस्म
बिहार में आम की किस्म

मौसम में बदलाव से लीची-आम को नुकसान : इधर, आम व्यापारी भी इस बार जलवायु परिवर्तन से निराश हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस मौसम से लीची और आम दोनों को नुकसान हुआ है. आम की क्वालिटी में कमी आने से दाम भी कम मिल रहा है. हालांकि, बिहार के आम की विदेशों में खूब डिमांड है.

जर्दालु आम की विदेशों में डिमांड
जर्दालु आम की विदेशों में डिमांड

आम की राष्ट्रीय उपज करीब 8.80 टन प्रति हेक्टेयर : बता दें कि देशभर में आम की खेती की बात करें तो यूपी, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और बिहार में आम की बंपर पैदावार होती है. देश में करीब 2316.80 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिसमें से 20385.85 हजार टन आम का उत्पादन होता है. बता दें कि आम की राष्ट्रीय उपज करीब 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है.

राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बिहार में आम का उत्पादन : वहीं बिहार में आम की खेती करीब 160.30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है, जिसमें 1550 हजार टन उत्पादन होता है. बिहार में आम की अत्पादकता 9.67 टन प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा ज्यादा है.

Last Updated : Jun 9, 2023, 3:03 PM IST
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