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प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन नाटक 'कसाई' का किया गया मंचन

पटना स्थित बिहार आर्ट थियेटर में तीन दिवसीय प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसके दू्सरे दिन गुरुकुल के कलाकारों ने गुंजन कुमार के निर्देशन में नाटक 'कसाई' का मंचन किया. इस दौरान समाज के कई आईने दिखाए गए.

मंचन
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Published : Jan 29, 2021, 4:12 AM IST

Updated : Jan 29, 2021, 6:29 AM IST

पटना: राजधानी पटना स्थित बिहार आर्ट थियेटर में तीन दिवसीय प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसके दूसरे दिन गुरुकुल के कलाकारों ने गुंजन कुमार के निर्देशन में नाटक कसाई का मंचन किया.

'कसाई' नाटक का मंचन
'कसाई' नाटक का मंचन

नाटक में यह दिखाया गया है कि किस तरीके से नई पीढ़ी के द्वारा अपने फैसले को अपने माता-पिता के अनुभव से ज्यादा बेहतर मान कर अपने मन मुताबिक करते है. कार्य करने से जीवन में आगे बढ़ने पर दुष्परिणाम भुगतने का भयानक चित्र प्रस्तुत करता है. इस नाटक में रिश्तों के दरमियां अभाव और इंसानियत के पतन का चित्रण किया गया है.

नाटक 'कसाई' का मंचन
नाटक में नादान पूजा असलम के प्रेम जाल में फस जाती है और अपने मां-बाप से बगावत कर जाति धर्म मजहब की सरहदों को लाघकर शादी कर लेती है. बदलते समय के साथ असलम का उत्साह छिन होता जाता है. बेरोजगारी का दंश चलता और गलत राह पर चलने वाला असलम दिनोंदिन पतन के गर्त में गिरता जाता है.

देंखे रिपोर्ट

पढ़ें: पटना: कलाकारों ने किया नाटक 'जुर्म' का मंचन

लिहाजा पूजा की स्थिति नरक बन जाती है. अपनी नजरों में गिर कर पूजा अपने मायके जाने का साहस नहीं कर पाती है. असलम हाथों से निकलकर शराबी और ऐयाश बन जाता है. पूजा को अपनी बेटी की इज्जत खतरे में दिखती है. असलम एक दिन अपनी बेटी का सौदा करता नजर आता है जिसके बाद परिस्थितियां इस कदर करवट लेती है कि एक ही झटके में पूजा असलम का परिवार है उसने सो जाता है और उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाती है.

कसाई नाटक का पात्र
कसाई नाटक का पात्र

नाटक का साइड समाज के सामने ऐसे कई प्रश्न खड़े करता है जो भले आज अनुत्तरित हैं. पर इन सवालों के जवाब हमें ढूंढने होंगे. अन्यथा आगे चलकर समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाएगी. जिसका अंतिम समय में कोई समाधान नहीं हो पाएगा.

पटना: राजधानी पटना स्थित बिहार आर्ट थियेटर में तीन दिवसीय प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसके दूसरे दिन गुरुकुल के कलाकारों ने गुंजन कुमार के निर्देशन में नाटक कसाई का मंचन किया.

'कसाई' नाटक का मंचन
'कसाई' नाटक का मंचन

नाटक में यह दिखाया गया है कि किस तरीके से नई पीढ़ी के द्वारा अपने फैसले को अपने माता-पिता के अनुभव से ज्यादा बेहतर मान कर अपने मन मुताबिक करते है. कार्य करने से जीवन में आगे बढ़ने पर दुष्परिणाम भुगतने का भयानक चित्र प्रस्तुत करता है. इस नाटक में रिश्तों के दरमियां अभाव और इंसानियत के पतन का चित्रण किया गया है.

नाटक 'कसाई' का मंचन
नाटक में नादान पूजा असलम के प्रेम जाल में फस जाती है और अपने मां-बाप से बगावत कर जाति धर्म मजहब की सरहदों को लाघकर शादी कर लेती है. बदलते समय के साथ असलम का उत्साह छिन होता जाता है. बेरोजगारी का दंश चलता और गलत राह पर चलने वाला असलम दिनोंदिन पतन के गर्त में गिरता जाता है.

देंखे रिपोर्ट

पढ़ें: पटना: कलाकारों ने किया नाटक 'जुर्म' का मंचन

लिहाजा पूजा की स्थिति नरक बन जाती है. अपनी नजरों में गिर कर पूजा अपने मायके जाने का साहस नहीं कर पाती है. असलम हाथों से निकलकर शराबी और ऐयाश बन जाता है. पूजा को अपनी बेटी की इज्जत खतरे में दिखती है. असलम एक दिन अपनी बेटी का सौदा करता नजर आता है जिसके बाद परिस्थितियां इस कदर करवट लेती है कि एक ही झटके में पूजा असलम का परिवार है उसने सो जाता है और उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाती है.

कसाई नाटक का पात्र
कसाई नाटक का पात्र

नाटक का साइड समाज के सामने ऐसे कई प्रश्न खड़े करता है जो भले आज अनुत्तरित हैं. पर इन सवालों के जवाब हमें ढूंढने होंगे. अन्यथा आगे चलकर समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाएगी. जिसका अंतिम समय में कोई समाधान नहीं हो पाएगा.

Last Updated : Jan 29, 2021, 6:29 AM IST
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