पटना: राज्य में अचानक से कोविड मरीजों की संख्या में वृद्धि होने लगी है. ऐसे में होली में लोग एक दूसरे से सभी गिले-शिकवे भूल गले लगते हैं और एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं. मगर प्रदेश में जिस प्रकार से एक बार फिर से कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा है, सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य हो गया है. डॉक्टर लोगों से अपील कर रहे हैं कि होली में दूर से ही एक दूसरे को रंग गुलाल लगाएं और एक दूसरे की बॉडी टच करने से बचें. चेहरे पर रंग लगाने वक्त आंख बंद रहे इसका ध्यान रखें और अगर आंख में रंग चला भी जाता है तो तुरंत साफ पानी से आंख को धोएं. प्लेन ईयर ड्रॉप आता है जिससे आंख की जलन कम होती है उसका यूज कर सकते हैं.
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कोरोना में बॉडी टच से बचें लोग
राजधानी के वरिष्ठ डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि हर्बल और नेचुरल कलर का ही प्रयोग करें, केमिकल युक्त रंगों का कतई प्रयोग ना करें, साथ ये भी कहा कि इस बार होली के समय पूरे भारत और बिहार में जिस प्रकार से संक्रमण तेजी से फैलना शुरू हुआ है. होली के दौरान कोविड-19 के सभी एप्रोप्रियेट बिहेवियर को अपनाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के तीन एप्रोप्रियेट बिहेवियर हैं और पहला है मास्क का प्रयोग करना, दूसरा एक दूसरे से 6 फीट की दूरी मेंटेन करना और तीसरा हैंड हाइजीन मेंटेन करना. होली के दौरान यह तीनों कोविड-19 गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है अन्यथा आने वाले दिनों में संक्रमण की स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है. ऐसे में अभी के समय यह प्रयास करना चाहिए कि एक दूसरे से बंद कमरे में ना मिले और किसी ओपन एरिया में एक दूसरे से मिले और होली खेले मगर इस दौरान भी प्रॉपर डिस्टेंसिंग मेंटेन रखें.
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होली खेलने से परहेज करें
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अभी के समय जिस किसी को भी सर्दी जुकाम, बुखार, बदन दर्द और किसी अन्य प्रकार का हेल्थ इश्यू है तो उन्हें होली खेलने से परहेज रखें, होली के दौरान खुद को आइसोलेट रखें. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि होली के बाद लोगों में स्किन डिजीज की समस्याएं बढ़ जाती हैं और आंखों में जलन के भी काफी अधिक मामले सामने आते हैं ऐसे में डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि यह सब केमिकल वाले रंगों के कारण होता है. यह होली के बाद की एक सामान्य समस्या है. ऐसे में इससे बचाव का उपाय है कि शरीर में तेल की अच्छी मोटी लेप चढ़ा लें ताकि केमिकल युक्त रंग शरीर की त्वचा को नुकसान न पहुंचा पाए.