पटना: मुकेश हिसारिया आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. शायद ही इनके फोन की घंटी बजना बंद होती होगी. हमेशा फोन पर ब्लड से संबंधि कॉल आते रहते हैं. मंत्री से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी तक और आम आदमी को जब भी खून की जरूरत होती है तो मुकेश हिसारिया से संपर्क करते हैं. मुकेश बताते हैं कि एक दिन में हर घंटे 10 कॉल आते हैं.
70000 से अधिक लोगों की सेवा: बिहार के मुकेश हिसारिया को 'ब्लड मैन ऑफ बिहार' के नाम से जाना जाता है. इस नाम के पीछे इनकी मेहनत और लगन की हर कोई तारीफ करते हैं. यही कारण है कि मुकेश अब तक 70000 से अधिक जरूरत मंद लोगों को ब्लड उपलब्द करा चुके हैं. यही नहीं मुकेश कुमार सामाज सेवा भी लगन से करते हैं. गरीब बेटियों की निशुल्क शादी कराना भी इन्हें पहचान दिलायी.
ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने एक पुरानी घटना बतायी. इसी घटना से इन्होंने रक्तदान करना निश्चय किया. साल 1991 की बात है. मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी. इलाज के लिए वेल्लोर लेकर गए थे. वहां देखते थे कि मरीज के परिजन ब्लड के लिए परेशान रहते थे. जिसे ब्लड मिल जा रहा है उसके चेहरे पर सुकून रहती थी. ये सब देख रहे थे कि इसी दौरान डॉक्टर ने उन्हें कहा 'मां का ऑपरेशन करना होगा. ऑपरेशन में उनकी जान भी जा सकती है.' हालांकि ऑपरेशन सफल रहा.
मां के ठीक होने पर पहला रक्तदान: मुकेश बताते हैं कि ब्लड की समस्या देख उन्होंने रक्तदान करने की सोची लेकिन नहीं पता था 18 वर्ष की उम्र के बाद रक्तदान किया जाता है. उन्होंने मां के ऑपरेशन के दौरान ही डॉक्टर के सामने कह दिया कि 'अगर उनकी मां ठीक हो जाती है तो वह ब्लड डोनेट करेंगे.' ऑपरेशन के डेढ़ महीने बाद मां ठीक हो जाती हैं. इसके बाद वे सबसे पहले रक्तदान करते हैं. इसके बाद वह साल में एक से दो बार पीएमसीएच के ब्लड बैंक में जाकर लगभग 15 वर्षों तक ब्लड डोनेट करते रहे.
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23518864_blood-man-info-copy.jpg)
2006 में आया टर्निंग प्वाइंट: मुकेश हिसारिया ने बताया कि साल 2006 में वह गोविंद मित्रा रोड में अपने दवा दुकान पर बैठे थे. इसी दौरान उन्हें एक 12 साल का बच्चा रोते हुए दिखाई पड़ा. वह बच्चे के पास गए और पूछा कि क्यों रो रहे हो. बच्चे ने बताया कि 'उसकी मां पीएमसीएच में एडमिट है. जान बचाने के लिए बी पॉजिटिव ब्लड की जरूरत है.' इस समय उन्हें 1991 का वह दिन याद आ गया जब वह अपनी मां को लेकर अस्पताल में एडमिट थे.
दोस्तों से पड़ी थी डांट: मुकेश हिसारिया ने कहा कि उस समय सोशल मीडिया पर एक ऑरकुट प्लेटफॉर्म होता था. सुबह- सुबह की बात थी उन्होंने अपने अकाउंट पर पोस्ट कर दिया कि बी पॉजिटिव ब्लड की आवश्यकता है. उनके कई दोस्तों ने फोन कर डांट भी लगाई कि 'सुबह-सुबह क्या खून से संबंधित पोस्ट कर दिए हो. यह सब नहीं करना चाहिए, इस पर एंटरटेनमेंट की बातें किया करो.' इसी दौरान उनके पोस्ट को देखकर उनके एक मित्र संजय अग्रवाल ने जाकर उसे बच्चों के लिए ब्लड डोनेट किया.
महिला ने पकड़ ली थी पैर: मुकेश हिसारिया ने बताया कि वह इस बात को भूल ही गए थे. लगभग 10- 15 दिनों बाद उनकी दुकान पर वही बच्चा अपनी मां के साथ था. बच्चे की मां ने उनका पैर पकड़ ली. मुकेश ने बताया कि इस समय वह हैरान रह गए, क्योंकि ना तो उन्होंने खून दिया था ना ही इलाज में उनकी कोई भूमिका थी.
![Blood Man Mukesh Hisaria](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23518864_mukeshh.jpg)
"मैं तो सिर्फ वह एक माध्यम था जिससे बच्चे को ब्लड उपलब्ध हो गया. इसके बाद निर्णय कर लिया कि अब से वह ऐसे जरूरतमंदों की सेवा करेंगे. इसके लिए ब्लड डोनेशन कैंप लगवाना शुरू किया. ब्लड डोनेशन जुनून बन गया. लोगों को जागरूक करना शुरू किया. ब्लड डोनेशन के बाद सारा ब्लड पीएमसीएच के ब्लड बैंक में जमा होता था." -मुकेश हिसारिया
2022 में ब्लड बैंक की शुरुआत: 2006 से करवां यूं ही चलता रहा, लेकिन पीएमसीएच बहुत बड़ा अस्पताल है और यहां गरीब मरीजों को काफी ब्लड की जरूरत होती है. ऐसे में कई बार लोग यह शिकायत करते थे कि वह तो लोगों की मदद के लिए ब्लड डोनेट करते हैं, लेकिन जब उन्हें जरूरत पड़ती है तो ब्लड नहीं उपलब्ध हो पता है. ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया कि ब्लड बैंक शुरू किया जाए.
"मां वैष्णो देवी सेवा समिति नाम का संगठन तैयार कर संगठन के नाम से साल 2022 में ब्लड बैंक शुरू की. मां वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी आकर वैष्णो देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा किये और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था." -मुकेश हिसारिया
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एक यूनिट ब्लड से तीन जिंदगी: एक यूनिट ब्लड से तीन से चार लोगों की जान बचाई जा सकती है. उनके पास तमाम एडवांस लेवल के ब्लड कलेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग के हाईटेक उपकरण मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि यहां एक यूनिट ब्लड से प्लाज्मा, पीआरबीसी, प्लेटलेट्स के साथ-साथ क्रायो अलग-अलग किया जाता है. क्रायो का इस्तेमाल ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी जैसे लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट में किया जाता है. एक यूनिट ब्लड से तीन यूनिट क्रायो तैयार होता है.
16500 यूनिट ब्लड उपलब्ध: ब्लड बैंक जब से शुरू हुआ है 12500 यूनिट डोनेशन प्राप्त हुए हैं. 16500 यूनिट लोगों को उपलब्ध कराया गया है. बताया कि सरकारी ब्लड बैंक में कीमत 500 प्रति यूनिट है. उनका भी यही रेट है. प्रोसेसिंग में लगभग ₹1450 खर्च होते हैं. यदि कोई महिला ब्लड के लिए आती है, जिसका कोई अटेंडेंट नहीं होता है तो उसे वह निशुल्क दिया जाता है. जिनका पटना में पहचान नहीं है और डोनर ढूंढना मुश्किल है तो उसे निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों को भी वह निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराते हैं.
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कुंडली भले ना मिले ब्लड मिलाना जरूरी: मुकेश हिसारिया का मानना है कि शादी करते समय लड़का लड़की का कुंडली मिलान भले ना लेकिन खून का HBA2 जांच कर मिलान जरूर कराना चाहिए. ताकि पता चल सके की थैलेसीमिया माइनर की शादी थैलेसीमिया माइनर से तो नहीं हो रही. ऐसी में बच्चों को थैलेसीमिया होने के चांसेस काफी अधिक होते हैं. बच्चों को हर 15 दिन पर ब्लड चढ़ाना होता है.
पीएम को लिखा पत्र: मुकेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग भी की है कि 10th एग्जाम के समय मार्कशीट अथवा एडमिट कार्ड पर एक ब्लड का कॉलम हो. जिसमें यह जानकारी हो कि ब्लड थैलेसीमिया माइनर है अथवा नहीं. इतना होने से यह पता चल जाएगा की भविष्य में जब शादी करनी है तो थैलेसीमिया माइनर की शादी थैलेसीमिया माइनर से ना हो.
थैलेसीमिया के बारे में: पीएमसीएच में जब ब्लड डोनेशन करने जाते थे तो देखते थे कि कुछ बच्चे एक अंतराल पर आ रहे हैं. पता चला कि यह थैलेसीमिया पीड़ित है. हर 15 दिन पर एक यूनिट ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है. अभिभावक की सभी खुशियां खत्म हो गई हैं. नाते रिश्तेदार भी उनसे कट रहे हैं. बच्चों से जब उन्होंने पूछा कि नाश्ता कर लिया तो बच्चों ने कहा कि आज खून चढ़ाने का दिन है आज नहीं करेंगे. फिर 14 दिन तो नाश्ता करना ही है.
57 बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट: थैलेसीमिया पीड़ित 57 बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवा चुके हैं. इन बच्चों को एक नई जीवन मिली है. साल 2012- 13 में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचकर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए गुहार लगानी शुरू की. परिणाम यह हुआ कि आज बिहार से देश के तीन अस्पतालों में सरकारी खर्च पर बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो रहा है. राज्य सरकार लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर रही. केंद्र सरकार से 3 लाख रुपए मिल रहा है.
15 बच्चों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट का लक्ष्य: बिहार के 40 से अधिक ऐसी महिलाएं हैं, जिनके पति ने उन्हें इसलिए छोड़ दिया है क्योंकि उनका बेटा थैलेसीमिया पीड़ित है. उनका लक्ष्य है कि कम से कम इस वर्ष इनमें से 15 बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करा दिया जाए. सारा खर्च मां वैष्णो देवी सेवा समिति की ओर से होता है.
ब्लड बैंक के सहयोगी भी देते डोनेशन: मुकेश बताते हैं कि इस समिति में ब्लड बैंक के संचालन के लिए 40 ऐसे लोग हैं. हर माह 5000 डोनेट करते हैं. इसके अलावा समय-समय पर अलग-अलग लोग और संगठन भी ब्लड बैंक को आर्थिक मदद देते हैं. लोग इसलिए देते हैं क्योंकि उनकी सेवा पर लोगों को विश्वास है. गूगल पर ब्लड बैंक को 1300 से अधिक रिव्यू मिले हैं. सभी सराहना किए हैं.
नि:शुल्क शादी भी कराते हैं: ब्लड मैन से पहचान बनाने बाले मुकेश हिसारिया समाज सेवा में भी आगे हैं. गरीब लड़कियों की नि:शुल्क शादी भी कराते हैं. पिछले कई वर्षों से 51 जोड़ों की शादी करा रहे हैं. अब तक 550 से अधिक उन्होंने शादियां करा दी हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का भी इसमें सहयोग मिलता है. आर्थिक स्वावलंबन के लिए सिलाई मशीन भेंट किया जाता है. पटना के कुछ बिजनेसमैन वर वधु के शादी का जोड़ा उपलब्ध कराते हैं. यह हर साल जून महीने में होता है.
"सोशल मीडिया पर एक ग्रुप है जो लोगों की मदद के लिए है. देश के किसी कोने में यदि कोई परेशान है तो वहां तक मदद पहुंच जाती है. जब साल 2013 में केबीसी में गए थे तो अमिताभ बच्चन ने कहा था कि जब आप ब्लड बैंक खोलेंगे तो उसमें सबसे पहला सहयोग राशि मेरा होगा. हर यूनिट ब्लड के प्रोसेसिंग में जितना खर्च होगा उसमें 100 रुपया किसी अन्य सेलिब्रिटी से सहयोग कराएंगे." -मुकेश हिसारिया
व्यवसायियों का मिला सहयोग: मुकेश ने बताया कि जब ब्लड बैंक खुल रहा था तो अमिताभ बच्चन से संपर्क नहीं हो पाया. पटना के व्यवसायियों ने ही इतना कर दिया कि ब्लड बैंक के लिए जमीन और मशीन भी उपलब्ध हो गयी. कहा कि जब तक उनकी सांसे हैं वह निरंतर इसी सेवा भाव से लोगों की सेवा में लगे रहेंगे.
शाहरुख खान के साथ मंच साझा: मुकेश हिसारिया 19 वर्षों से स्वयं रक्तदान करने के साथ-साथ लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता लाकर बड़े ब्लड डोनेशन कैंप कर रहे हैं. रक्तदान के क्षेत्र में में बेमिसाल कार्य करने के कारण मुकेश हिसारिया को साल 2015 में शाहरुख खान के साथ उनकी फिल्म फैन के प्रमोशन के दौरान मंच साझा करने का अवसर मिला. इसके अलावा मुकेश हिसारिया को साल 2016 में कपिल शर्मा शो में भी जाने का मौका मिला है. यह मुकेश की वह उपलब्धियां है जो सुर्खियों में रही हैं.
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