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छत्तीसगढ़ में 22 जवानों की शहादत पर दीपांकर भट्टाचार्य ने जतायी संवेदना, केंद्र पर साधा निशाना

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए. इस घटना को लेकर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

Dipankar Bhattacharya expressed condolences on martyrdom of 22 soldiers in Chhattisgarh
दीपांकर भट्टाचार्य, महसचिव, भाकपा माले
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Published : Apr 5, 2021, 6:02 PM IST

पटना: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला स्थित सुकमा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में केंद्रीय सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो गए. इसको लेकर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने गहरी संवेदना जतायी है. साथ ही उन्होंने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

ये भी पढ़ें- 'शराबी को जेल, माफिया को बेल, यही है नीतीश कुमार का खेल'

भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सुरक्षा बलों के 22 जवानों का शहीद होना निंदनीय और दुखद है. शहीद जवानों के परिजनों के प्रति हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से बार-बार दोहराए जाने वाले दावे की पोल खुल रही है.

सरकार के सभी दावे गलत साबित हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा कर रहे थे कि आदिवासियों के बीच काम करने वाले अलोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं की धरपकड़ और नोटबंदी जैसी कार्रवाई माओवादी हिंसा और टकराव को खत्म कर देगी. लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है.

ठोस कार्रवाई की मांग
इस घटना को लेकर सरकार को बताना चाहिए कि क्यों इंटेलिजेंस एजेंसी और सरकारी की कोशिश पुलवामा और सुकमा जैसी घटनाओं को रोकने में बार-बार नाकाम हो जाती है. सरकार को इस विषय पर जवाब देना चाहिए और ठोस कार्रवाई भी करनी चाहिए ताकि इस तरीके की घटनाएं फिर से नहीं हों.

पटना: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला स्थित सुकमा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में केंद्रीय सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो गए. इसको लेकर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने गहरी संवेदना जतायी है. साथ ही उन्होंने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

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भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सुरक्षा बलों के 22 जवानों का शहीद होना निंदनीय और दुखद है. शहीद जवानों के परिजनों के प्रति हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से बार-बार दोहराए जाने वाले दावे की पोल खुल रही है.

सरकार के सभी दावे गलत साबित हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा कर रहे थे कि आदिवासियों के बीच काम करने वाले अलोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं की धरपकड़ और नोटबंदी जैसी कार्रवाई माओवादी हिंसा और टकराव को खत्म कर देगी. लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है.

ठोस कार्रवाई की मांग
इस घटना को लेकर सरकार को बताना चाहिए कि क्यों इंटेलिजेंस एजेंसी और सरकारी की कोशिश पुलवामा और सुकमा जैसी घटनाओं को रोकने में बार-बार नाकाम हो जाती है. सरकार को इस विषय पर जवाब देना चाहिए और ठोस कार्रवाई भी करनी चाहिए ताकि इस तरीके की घटनाएं फिर से नहीं हों.

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