पटना: राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी के बाजार में छठ की खरीदारी शुरू हो गई है. छठ पूजा में बांस से बनी टोकरी और सूप को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध माना गया है. छठ पूजा में बांस से बनी सूप में पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य देने का विधान है. वहीं टोकरी में पूजा के सामान रखकर छठ घाट पर ले जाया जाता है. ऐसे में बाजार सूप और टोकरी से सज गए हैं. धीरे-धीरे खरीदारों के भीड़ उमड़ रही है. छठ पर्व में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूप और फलों को रखने के लिए टोकरी का प्रयोग किया जाता है.
सूप और टोकरी का है खास महत्व: बांस से बनी टोकरी और सूप को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा बांस के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह मिट्टी और पानी के बिना सहयोग से भी आसानी से काफी बड़ा हो जाता है. बांस को वंश वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्य पूजा में बांस से बनी टोकरी का और सूप का प्रयोग किया जाता है.
टोकरी और सूप से सजा बाजार: श्री राम जानकी ठाकुरवाडी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल पांडे ने कहा कि विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस को शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस से बनी टोकरी शुभ होती है. उसका पूजा पाठ में प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में मसौढ़ी में बाजार टोकरी और सूप से सज गया है. छठ पर्व करने वाले श्रद्धालु बाजार में टोकरी और सूप खरीद रहे हैं.
"विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस को शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस को वंशवाद वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्य पूजा में इससे बनी टोकरी और सूप का प्रयोग किया जाता है."-गोपाल पांडे, पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरवाडी मंदिर, मसौढ़ी