पटना: आईजीआईएमएस (IGIMS) में डेडीकेटेड अस्पताल बनाकर लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का इलाज किया जा है. आज आईजीआईएमएस में 3 मरीजों की मौत हुई है. जिसमें 2 मरीज ब्लैक फंगस से ग्रसित थे. अभी भी आईजीआईएमएस में कुल 115 ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है.
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ब्लैक फंगस के 3 नए मरीज
आज आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के 7 मरीजों का ऑपरेशन किया गया है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल के अनुसार अभी तक आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के 112 मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है. आज भी आईजीआईएमएसमें ब्लैक फंगस के 3 नए मरीज भर्ती किये गए हैं. वहीं आईजीआईएमएस में चल रहे कोरोना वार्ड में अभी भी कोरोना के 158 मरीज भर्ती हैं.
232 ऑक्सीजन बेड खाली
आज 10 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज भी किया गया है. फिलहाल आईजीआईएमएस में 232 ऑक्सीजन बेड खाली है. जबकि आईसीयू और वेंटिलेटर के एक भी बेड यहां उपलब्ध नहीं हैं. बिहार में लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) को ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है.
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इलाज के लिए ओपीडी भी शुरू
यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी भी शुरू किया गया है.
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) (mucormycosis) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.
कैसे होता है ब्लैक या व्हाइट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस(White Fugus) कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.
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क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.