पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर लगातार बिहार में सियासी बयानबाजी हो रही है. गुरुवार को सहकारिता मंत्री और बीजेपी नेता सुबाष सिंह (Subash Singh) ने कहा कि जातीय जनगणना से ज्यादा जरूरी आर्थिक जनगणना है. सुबाष के इस बयान पर हम (Hindustani Awam Morcha) ने पलटवार किया है.
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हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, 'जातीय जनगणना का विरोध वही लोग कर रहे हैं जो शुरू से बाबा साहेब द्वारा लिखे गए संविधान के विरोधी हैं. जब जाति का टाइटल लोग लगाते हैं तो विरोध किस बात का है. जितनी इनकी संख्या है उससे अधिक सत्ता में भागीदारी ली है. उन्हें ताकत छिनने का डर सता रहा है. इसीलिए वे लोग जातीय जनगणना का विरोध कर रहे हैं.'
"हमारी पार्टी का मानना है कि जातीय जनगणना होने से समाज के सभी वर्गों को लाभ मिलेगा. कुछ लोग ऐसे हैं जो नहीं चाहते कि बिहार में जातीय जनगणना हो. ये लोग शुरू से संविधान विरोधी रहे हैं. ऐसे लोग संविधान विरोधी ही नहीं, बल्कि देशद्रोही भी हैं."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम
बता दें कि बीजेपी कार्यालय में लगे सहयोग कार्यक्रम में सुबाष सिंह ने कहा है कि जातीय जनगणना जरूरी नहीं है. जनगणना आर्थिक आधार पर होना चाहिए. हमारा नारा है 'सबका साथ, सबका विश्वास'. हम लगातार यही सोचकर जनहित के काम कर रहे हैं. कहीं भी कोई भेदभाव नहीं करते हैं. जातीय आधार बनाकर कभी भी किसी तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचाया जा सकता. जो लोग ऐसा कह रहे हैं वे बताएं कि क्या राशन कार्ड भी जाति देखकर बनाया जाएगा.
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