पटना: राजधानी पटना के मसौढ़ी में भूमिहीन गरीबों को बसाने के लिए उनके हाथों में पर्चा थमा दिया गया है. मसौढ़ी प्रखंड के दिनकर नगर में पर्चा मिलने के बाद भी भूमिहीनों को सरकार बसा नहीं पाई है. इस स्थिति में गरीब लोग सरकार के द्वारा दिये गये जमीन की खोजबीन कर रहे हैं. बताया जाता है कि राज्य सरकार ने 13 साल पहले मसौढ़ी के दिनकर नगर में 45 डिसमिल जमीन गरीब भूमिहीनों के लिए निकाला था. लेकिन कुल 41 डिसमिल जमीन बच गया है. ऐसे में गायब हुए 4 डिसमिल जमीन का मामला तूल पकड़ रहा है.
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Body:मसौढ़ी के दिनकर नगर में 15 नट जाति के परिवारों को बसाने के लिए बीते 13 साल पहले उन्हें 3 डिसमिल जमीन का बासगीत पर्चा दिया था. जिसके बावजूद आज तक वे लोग उस जमीन पर दखल नहीं कर पाये थे. कुछ दिनों के बाद उन सारे जमीनों पर स्थानीय कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है. उन दबंगों को वहां से हटाने के लिए वहां के महादलित परिवार अंचल कार्यालय से लेकर मुख्यालय तक विरोध प्रदर्शन किया है.
जमीन की नापी की गई: वहीं इस मामले की जांच करने अंचलाधिकारी पहुंचे तो सीमांकन में 15 महादलित परिवारों का 45 डिसमिल जमीन के बजाय महज 41 डिसमिल जमीन की नापी हुई. जिसके बाद अंचलाधिकारी ने कहा कि 45 डिसमिल में 41 डिसमिल जमीन सही मिल पाया है लेकिन और 4 डिसमिल जमीन कहां गया..? जिसके बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि इस जमीन के बगल से सड़क बनाया गया है, उसी सड़क में 4 डिसमिल जमीन चला गया है.
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जमीन की मापी होने के बाद महादलित परिवारों का कहना है कि हम सबको 45 डिसमिल जमीन चाहिए. जिसके बाद अंचल अधिकारी ने कहा कि 45 डिसमिल के बजाय 41 डिसमिल जमीन में ही रहना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि इतने ही जमीन में सारे लोगों को बसाया जायेगा लेकिन वे लोग अंचलाधिकारी की बात मानने को तैयार नहीं हुए.
'15 महादलित परिवारों का 45 डिसमिल जमीन के बजाय महज 41 डिसमिल ही जमीन है. 45 डिसमिल के बजाय 41 डिसमिल जमीन में ही आप सबको अर्जेस्ट करना होगा'- मृत्युंजय कुमार, अंचलाधिकारी, मसौढ़ी अंचल