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लॉकडाउन में पशु-पक्षी के जीवन पर संकट, दाना पानी के बिना हो रही है मौत - bihar latest news

मंदिर के पुजारी अजीत कुमार झा कहते हैं कि मंदिर में ताला लटक गया है. मैं भी मंदिर नहीं आ पाता हूं. ऐसे में डेढ़ दर्जन हंसों को भोजन और पानी देने वाला कोई नहीं है. मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. पिछले दिनों दो हंसों की मौत भी हो चुकी है अगर लॉक डाउन लंबा चला तो ऐसी स्थिति में इनकी संख्या और कम होती चली जाएगी.

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Published : Apr 6, 2020, 4:52 PM IST

पटनाः कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए पूरे देश में लॉक डाउन लागू है. लोग घरों के अंदर कैद हैं. वहीं, लोगों के घरों के अंदर कैद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित पशु पक्षी हुए हैं. दाना-पानी के बिना पशु पक्षी और हंसों की मौत भी हो रही है.

मां सरस्वती की सवारी हंस भोजन-पानी के बिना
राजधानी पटना के सचिवालय स्थित नौलक्खा मंदिर परिसर में हंसों का बसेरा है. 1990 के दशक में किसी श्रद्धालुओं ने मंदिर के नाम दो हंस दान किए थे. हाल के दिनों में संख्या बढ़कर 26 तक पहुंच गई थी. लेकिन आज की तारीख में 18 अंश ही बचे रह गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

दाना-पानी के बिना पशु-पक्षी और हंसों की मौत
आपको बता दें कि भारतीय साहित्य में हंस को विवेक की पक्षी कहा गया है और ऐसा माना जाता है कि हंस पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक से युक्त है. आज की तारीख में यह एक दुर्लभ जीव है.लॉक डाउनलोड होने से इन हंसों को भोजन और पानी देने वाला कोई नहीं है इनके पास चीखने और चिल्लाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.

मंदिर में लटका ताला
मंदिर के पुजारी अजीत कुमार झा कहते हैं कि मंदिर में ताला लटक गया है. मैं भी मंदिर नहीं आ पाता हूं. ऐसे में डेढ़ दर्जन हंसों को भोजन और पानी देने वाला कोई नहीं है. मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. पिछले दिनों दो हंसों की मौत भी हो चुकी है अगर लॉक डाउन लंबा चला तो ऐसी स्थिति में इनकी संख्या और कम होती चली जाएगी.

पटनाः कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए पूरे देश में लॉक डाउन लागू है. लोग घरों के अंदर कैद हैं. वहीं, लोगों के घरों के अंदर कैद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित पशु पक्षी हुए हैं. दाना-पानी के बिना पशु पक्षी और हंसों की मौत भी हो रही है.

मां सरस्वती की सवारी हंस भोजन-पानी के बिना
राजधानी पटना के सचिवालय स्थित नौलक्खा मंदिर परिसर में हंसों का बसेरा है. 1990 के दशक में किसी श्रद्धालुओं ने मंदिर के नाम दो हंस दान किए थे. हाल के दिनों में संख्या बढ़कर 26 तक पहुंच गई थी. लेकिन आज की तारीख में 18 अंश ही बचे रह गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

दाना-पानी के बिना पशु-पक्षी और हंसों की मौत
आपको बता दें कि भारतीय साहित्य में हंस को विवेक की पक्षी कहा गया है और ऐसा माना जाता है कि हंस पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक से युक्त है. आज की तारीख में यह एक दुर्लभ जीव है.लॉक डाउनलोड होने से इन हंसों को भोजन और पानी देने वाला कोई नहीं है इनके पास चीखने और चिल्लाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.

मंदिर में लटका ताला
मंदिर के पुजारी अजीत कुमार झा कहते हैं कि मंदिर में ताला लटक गया है. मैं भी मंदिर नहीं आ पाता हूं. ऐसे में डेढ़ दर्जन हंसों को भोजन और पानी देने वाला कोई नहीं है. मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. पिछले दिनों दो हंसों की मौत भी हो चुकी है अगर लॉक डाउन लंबा चला तो ऐसी स्थिति में इनकी संख्या और कम होती चली जाएगी.

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