पटना: क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार ने पटना में रविवार को अपने सदस्यों की विशेष बैठक बुलाई. जिसमें कई एजेंडों पर चर्चा हुई. इस बैठक में एसोसिएशन से जुड़े 38 जिलों के अधिकारी मौजूद रहे. बैठक में लॉकडाउन पीरियड में खिलाड़ियों को पैसा नहीं मिलने का मामला उठाया गया और इस बाबत लीगल एक्शन लेने का निर्णय लिया गया.
'बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पैसे का बंदरबांट'
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने बताया कि एसोसिएशन की वजह से ही बिहार को 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद क्रिकेट की मान्यता मिली और खेल पटरी पर लौट कर आया. उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से लगभग 11 करोड रुपए मिले. ये राशि सीनियर और जूनियर लेबल के खिलाड़ियों की मदद के लिए था. जबकि किसी खिलाड़ी को पैसा नहीं मिला और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों ने पैसे का आपस में बंदरबांट कर लिया.
'बीसीए ने डकार लिया पैसा'
सचिव आदित्य वर्मा ने कहा कि खिलाड़ियों के डीए, टीए और मैच फीस का पैसा बीसीए ने डकार लिया और सीएबी और बीसीए को भी अब नहीं छोड़ेगा. उन्होंने कहा कि बीसीए के खिलाफ सीएबी विधि सलाहकार से सलाह लेकर लीगल कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि उनका एसोसिएशन राज्य में नई तरह से उतरा है और एसोसिएशन का नारा है 'सबको देखा बार-बार अब आ रहा है क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार'. आदित्य वर्मा ने कहा कि राज्य के 38 जिले में क्रिकेट के इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास सिर्फ क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार ही कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के काल में बीसीसीआई जिस प्रकार आईपीएल का आयोजन करा रहा है. वह बधाई का पात्र है और देश के हजारों क्रिकेटर घरेलू क्रिकेट खेल कर ही आगे बढ़ते हैं. इसलिए घरेलू क्रिकेट का आयोजन आईपीएल के बाद शुरू हो इसको लेकर एसोसिएशन के तरफ से बीसीसीआई को पत्र भी लिखा जाएगा.