पटना: बिहार में जाति आधारित गणना का काम चल रहा है. दूसरे चरण का कार्य बख्तियारपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को शुरू किया था. जातीय जनगणना में दूसरे राज्यों और देश से बाहर रहने वाले लोगों की भी गणना की जा रही है. उसके लिए भी कोड निर्धारित किया गया है. 239 देश, 35 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों का कोड तय किया गया है. साथ ही बिहार के 38 जिलों का कोड भी तय किया गया है. अररिया को एक नंबर दिया गया है, वहीं वैशाली का 38 नंबर है. जिलों का कोड भी हिंदी अल्फाबेट के अनुसार ही तय किया गया है.
कोड के अनुसार ही होगी जाति की गणना: आज से गणना में दूसरे देशों में रहने वाले लोगों की कोड के अनुसार ही गणना की जाएगी. इससे पता चलेगा कि बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में कितने लोग रह रहे हैं. साथ ही देश से बाहर बिहार के लोग कहां-कहां रह रहे हैं, यह भी पता चलेगा. बिहार में पहले चरण के जातीय गणना का काम जनवरी में समाप्त हुआ था, जिसमें मकानों की नंबरिंग की गई थी और अब दूसरे चरण का काम शुरू है. 15 मई तक यह काम चलना है, जिसमें जातियों की गणना के साथ उनकी आर्थिक स्थिति की जानकारी ली जाएगी. जो बिहार से बाहर रह रहे हैं, उनकी भी रिपोर्ट परिवार और उनके घर के अगल-बगल रहने वाले लोगों से प्राप्त की जाएगी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी बात कर जनगणना कर्मी उनकी पूरी डिटेल्स को भरेंगे.
215 जातियों की गणना का काम: बिहार सरकार जातीय गणना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. 215 जातियों की गणना की जा रही है. गणना के लिए कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है और लगातार इसकी जिला और मुख्यालय स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है. जो भी समस्या आ रही है, उसे दूर करने की कोशिश भी हो रही है. जनगणना में 17 जानकारियां इकट्ठा की जा रही है और उसे ऐप के माध्यम से भरने की कोशिश है. हालांकि पहले दिन ऐप में कई जगह परेशानी का सामना जातीय गणना करने वाले कर्मियों को हुई है और अधिकारियों के अनुसार उसे भी दूर करने की कोशिश की जा रही है.