पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम आवास के संकल्प में खाद की किल्लत (Shortage Of Fertilizer In Bihar) को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि, केंद्रीय मंत्री से बातचीत हुई है और 1 सप्ताह में पर्याप्त खाद बिहार को मिल जाएगा.
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बिहार के विभिन्न जिलों के कई इलाकों से खाद की किल्लत की खबरें लगातार मिल रही हैं. किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. ऐसे शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि मंत्री ने भी आश्वासन दिया था कि, जल्द ही खाद की समस्या दूर हो जाएगी. रबी फसल में किसानों को हो रही मुश्किल को लेकर यह बैठक बुलाई गई है, इसमें आगे की रणनीति तैयार होगी. सीएम के साथ इस समीक्षा बैठक में बिहार के कृषि मंत्री और वरीय अधिकारी मौजूद हैं.
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देश में क्यों हो रही खाद की किल्लत: भारत के खाद मार्केट में डाई अमोनियम फास्फेट (diammonium phosphate) यानी डीएपी भारी तादाद में चीन से आयात होता है. भारत में इस खाद का करीब 20 फीसदी हिस्सा ही निर्मित होता है. बाकी के 80 फीसदी के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है. लागत अधिक पड़ने से भारतीय कंपनियों ने डीएपी के आयात (DAP import) को सीमित कर दिया है, नतीजन बाजार में डीएपी की भारी कमी हो गई है. इन हालात के लिए भारत-चीन के बिगड़े हुए रिश्ते भी जिम्मेदार हैं. चीन से आने वाले डीएपी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई है. ऐसे में खाद के लिए कई जगहों पर हंगामा (Uproar For Fertilizer In Bihar) भी हो चुका है.
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खाद का आयात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. भारत की निर्भरता अब यूरोपियन देशों पर ज्यादा हो गई है. जहां से आने वाली डीएपी पर लागत ज्यादा पड़ रही है. जाहिर है कि कंपनियां नुकसान झेल कर डीएपी मंगाना नहीं चाह रही हैं. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है. किसान खाद के लिए दुकानों पर चक्कर काट रहे हैं. बुवाई के समय ही डीएपी डालना होता है. महंगा होने के कारण कंपनियां इसे खरीद नहीं पा रही हैं. भारत में 40 फीसदी तक डीएपी चीन से आता रहा है.
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