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बिहार में खाद की किल्लत को लेकर CM नीतीश कर रहे हैं समीक्षा बैठक - Uproar For Fertilizer In Bihar

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में खाद की किल्लत को लेकर पटना में एक समीक्षा बैठक (CM Nitish Review Meeting) कर रहे हैं. सीएम खाद की किल्लत को लेकर इससे पहले भी कई बार चिंता जता चुके हैं. पढ़ें पूरी खबर..

cm nitish review meeting on shortage of fertilizer
cm nitish review meeting on shortage of fertilizer
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Published : Dec 9, 2021, 1:29 PM IST

Updated : Dec 9, 2021, 1:42 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम आवास के संकल्प में खाद की किल्लत (Shortage Of Fertilizer In Bihar) को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि, केंद्रीय मंत्री से बातचीत हुई है और 1 सप्ताह में पर्याप्त खाद बिहार को मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें- 'बिहार में 2 लाख मीट्रिक टन खाद की कमी'.. लेकिन तेजस्वी का नाम लेते ही भड़क गए कृषि मंत्री

बिहार के विभिन्न जिलों के कई इलाकों से खाद की किल्लत की खबरें लगातार मिल रही हैं. किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. ऐसे शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि मंत्री ने भी आश्वासन दिया था कि, जल्द ही खाद की समस्या दूर हो जाएगी. रबी फसल में किसानों को हो रही मुश्किल को लेकर यह बैठक बुलाई गई है, इसमें आगे की रणनीति तैयार होगी. सीएम के साथ इस समीक्षा बैठक में बिहार के कृषि मंत्री और वरीय अधिकारी मौजूद हैं.

खाद की किल्लत पर सीएम नीतीश की समीक्षा बैठक

यह भी पढ़ें- सुपौल में खाद की किल्लत से किसान परेशान, NH-106 को किया जाम

देश में क्यों हो रही खाद की किल्लत: भारत के खाद मार्केट में डाई अमोनियम फास्फेट (diammonium phosphate) यानी डीएपी भारी तादाद में चीन से आयात होता है. भारत में इस खाद का करीब 20 फीसदी हिस्सा ही निर्मित होता है. बाकी के 80 फीसदी के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है. लागत अधिक पड़ने से भारतीय कंपनियों ने डीएपी के आयात (DAP import) को सीमित कर दिया है, नतीजन बाजार में डीएपी की भारी कमी हो गई है. इन हालात के लिए भारत-चीन के बिगड़े हुए रिश्ते भी जिम्मेदार हैं. चीन से आने वाले डीएपी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई है. ऐसे में खाद के लिए कई जगहों पर हंगामा (Uproar For Fertilizer In Bihar) भी हो चुका है.

यह भी पढ़ें- मधेपुरा में खाद की किल्लत से किसान परेशान, विरोध में किया सड़क जाम

खाद का आयात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. भारत की निर्भरता अब यूरोपियन देशों पर ज्यादा हो गई है. जहां से आने वाली डीएपी पर लागत ज्यादा पड़ रही है. जाहिर है कि कंपनियां नुकसान झेल कर डीएपी मंगाना नहीं चाह रही हैं. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है. किसान खाद के लिए दुकानों पर चक्कर काट रहे हैं. बुवाई के समय ही डीएपी डालना होता है. महंगा होने के कारण कंपनियां इसे खरीद नहीं पा रही हैं. भारत में 40 फीसदी तक डीएपी चीन से आता रहा है.

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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम आवास के संकल्प में खाद की किल्लत (Shortage Of Fertilizer In Bihar) को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि, केंद्रीय मंत्री से बातचीत हुई है और 1 सप्ताह में पर्याप्त खाद बिहार को मिल जाएगा.

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बिहार के विभिन्न जिलों के कई इलाकों से खाद की किल्लत की खबरें लगातार मिल रही हैं. किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. ऐसे शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि मंत्री ने भी आश्वासन दिया था कि, जल्द ही खाद की समस्या दूर हो जाएगी. रबी फसल में किसानों को हो रही मुश्किल को लेकर यह बैठक बुलाई गई है, इसमें आगे की रणनीति तैयार होगी. सीएम के साथ इस समीक्षा बैठक में बिहार के कृषि मंत्री और वरीय अधिकारी मौजूद हैं.

खाद की किल्लत पर सीएम नीतीश की समीक्षा बैठक

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देश में क्यों हो रही खाद की किल्लत: भारत के खाद मार्केट में डाई अमोनियम फास्फेट (diammonium phosphate) यानी डीएपी भारी तादाद में चीन से आयात होता है. भारत में इस खाद का करीब 20 फीसदी हिस्सा ही निर्मित होता है. बाकी के 80 फीसदी के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है. लागत अधिक पड़ने से भारतीय कंपनियों ने डीएपी के आयात (DAP import) को सीमित कर दिया है, नतीजन बाजार में डीएपी की भारी कमी हो गई है. इन हालात के लिए भारत-चीन के बिगड़े हुए रिश्ते भी जिम्मेदार हैं. चीन से आने वाले डीएपी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई है. ऐसे में खाद के लिए कई जगहों पर हंगामा (Uproar For Fertilizer In Bihar) भी हो चुका है.

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खाद का आयात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. भारत की निर्भरता अब यूरोपियन देशों पर ज्यादा हो गई है. जहां से आने वाली डीएपी पर लागत ज्यादा पड़ रही है. जाहिर है कि कंपनियां नुकसान झेल कर डीएपी मंगाना नहीं चाह रही हैं. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है. किसान खाद के लिए दुकानों पर चक्कर काट रहे हैं. बुवाई के समय ही डीएपी डालना होता है. महंगा होने के कारण कंपनियां इसे खरीद नहीं पा रही हैं. भारत में 40 फीसदी तक डीएपी चीन से आता रहा है.

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Last Updated : Dec 9, 2021, 1:42 PM IST
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